Anil Singh
मीडिया का गला घोंटने में माहिर है मोदी सरकार! टीवी18 और राघव बहल का नाम आपने सुना ही होगा। वही राघव बहल जो जबरदस्त मीडिया उद्यमी रहे हैं। लेकिन उन्होंने अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए रिलायंस समूह से ऋण लेने की एक गलती कर दी जिसके चलते मुकेश अंबानी के रिलायंस समूह ने उनका 4500 करोड़ रुपए का मीडिया साम्राज्य हड़प लिया।
राघव बहल को अपनी शेयरधारिता के करीब 700 करोड़ रुपए मिल गए तो वे सोच-विचार कर नया उद्यम खड़ा करने में जुट गए। उन्होंने ब्लूमबर्ग के साथ गठजोड़ कर लिया। उनके संयुक्त उद्यम ब्लूमबर्ग-क्विंट को विदेशी पूंजी निवेश की मंजूरी भी मिल गई। मगर दो साल से वे प्रसारण मंत्रालय की दर पर एडियां घिस रहे हैं और सरकार उन्हें चैनल का लाइसेंस नहीं दे रही।
आखिर क्यों? क्या रिलायंस समूह को मीडिया के क्षेत्र में इससे टक्कर मिल सकती है, इसलिए? लेकिन बिना प्रतिस्पर्धा के कोई बाज़ार कैसे विकसित हो सकता है? क्या मोदी सरकार का यह कदम मीडिया का गला घोंटना नहीं है?
उधर, एबीपी न्यूज़ को अरुप सरकार का डर भी डुबा रहा है। कुछ अर्ध-बिके बीच के पत्रकार कह रहे हैं कि पुण्य प्रसून वाजपेई को बाज़ार ने निपटा दिया। समझ में नहीं आता कि पूरे हिंदी इलाके में इतने कम समय में काफी ज्यादा लोकप्रिय हो चुके शो – मास्टर स्ट्रोक के बारे में कोई कैसे ऐसा कह सकता है!
हकीकत यह है कि एबीपी न्यूज के कर्ताधर्ता अभीक सरकार के पुत्र अरुप सरकार सत्ता से डरे हुए इंसान हैं। इस डर में वे बाज़ार शक्तियों का खेल ही नहीं समझ पा रहे। लेकिन उनके डरने से एबीपी न्यूज़ रेटिंग में 4-5वें नंबर तक गिर गया है। जल्दी ही वो बाज़ार से बाहर हो जाएगा और तब अरुप सरकार को कोलकाता में जाकर कहीं अपनी जवानी काटनी पड़ेगी।
दिल्ली और मुंबई में लंबे समय तक टीवी व प्रिंट की पत्रकारिता कर चुके वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिंह की एफबी वॉल से.
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https://www.youtube.com/watch?v=jsymg7SWyxs
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Amit
August 4, 2018 at 1:08 pm
सर आप भी सरकारी बीमारी से ग्रसित लग रहे हैं आपने कहा राघव बहल को चैनल का लाईसेंस नहीं मिल रहा लेकिन पता नहीं क्यों जानकारी होते हुए भी आप झूठ बोल रहे हैं। आप जानते हैं मार्केट में कई चैनल के लाईसेंस बिक रहे हैंं तो कुछ किराए पर देने को भी तैयार हैं ऐसे में हर वक्त सरकार को टोकना भी बीमारी से ग्रसित होना लग रहा है।
हरीश
August 5, 2018 at 4:26 am
सही कहा आपने….लेकिन पत्रकारों से ज्यादा ज्ञानी कौन हो सकता है। सब अपनी मतलब की बातें करते हैं। मीडिया में मालिकों से ज्यादा पत्रकार ही पत्रकार का शोषण करते हैं।
हरीश
August 5, 2018 at 4:24 am
मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर इतना हल्ला क्यों मजा हुआ है..एक पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी के जाने के बाद। कौन से इतने महान पत्रकार थे। कांग्रेस सरकार में जमकर दलाली खायी और अब भाजपा की सरकार में दाल नहीं गल रही है। कई मीडिया घरानों से हजारों पत्रकार बाहर निकालेगए किसी ने आवाज नहीं उठाई। आज सबको अघोषित आपातकाल लग रहा है। कभी उन पत्रकारों के लिए भी आवाज उठाएं, जिनका शोषण मालिकों से ज्यादा मैंनेजर पत्रकार और दलाल पत्रकार करते हैं। एनडीटीवी से हजारों लोगों की नौकरी गयी। कभी रवीश ने ये मामला उठाया नहीं। सब हरामी है मतलबी हैं।