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रवीश कुमार को बदनाम करने वाले BJP आईटी सेल के हेड अमित मालवीय की ‘बदमाशी’ पकड़ी गई

Sanjaya Kumar Singh : भाजपा आईटी सेल के प्रमुख की कारगुजारी देखिए। पकौड़े बेचने की तरह करियर यहां भी है। ना गटर गैस की जरूरत और ना गटर के पास खड़े रहने की जरूरत। एयर कंडीशन की नौकरी है, अगर आपको पसंद आए। किसी को बदनाम कैसे किया जाता है, इनसे सीखिए। झूठ के उस्ताद हैं ये लोग। एक न एक दिन इनकी बदमाशी ऐसे ही पकड़ी जानी थी। आगे से ये ‘बदमाशी’ करने में शरम करेंगे, हिचकेंगे, इसमें संदेह है, क्योंकि जब करियर की झूठ का हो तो मजबूरी है इसको विस्तार देना।

Ravish Kumar : आईटी सेल के नौजवानों तुम ये काम मत करो, छोड़ दो… आईटी सेल आईटी सेल होता है। पिछले साल मेरे बयान का आधा हिस्सा काट कर ग़लत संदर्भ में पेश किया गया और उसे शेयर कर दिया था आईटी सेल के सरदार ने। ग़नीमत है कि प्रतीक सिन्हा ऑल्ट न्यूज़ वाले ने पकड़ लिया। आप भी देखिए ये काम कैसे होता है। आप इनके हैंडल पर जाकर देखिए। एक डॉलर 72 का हो गया उस पर ट्वीट है कि नहीं, पेट्रोल 89 रुपया लीटर हो गया उस पर ट्वीट है कि नहीं, रेलवे के परीक्षार्थियों को चार सौ रुपया वापस कब मिलेगा, उस पर ट्वीट है कि नहीं, आप नौजवानों को नौकरी कब मिलेगी उस पर ट्वीट है कि नहीं।

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पत्रकार और एंकर किस पार्टी के हो गए हैं उस पर कोई ट्वीट है कि नहीं। मुझे किसी पार्टी का बताने के लिए आईटी सेल के सरदार ने सवाल किया था। उन्हें एम जे अकबर से पूछना चाहिए था कि वे किस पार्टी के थे जब पत्रकारिता करते थे, पत्रकारिता करते करते किस किस पार्टी में गए और किस पार्टी में मंत्री बनें । एम जे अकबर से पूछ लें कि पत्रकारिता के सिद्धांत क्या हैं। जो एमजे अकबर कर गए हैं और करते हुए मोदी जी के यहाँ प्रतिष्ठित हुए हैं, उससे ज़्यादा और नया मैं क्या कर लूँगा। कोई जवाब है इसका तुम्हारे पास।

https://www.youtube.com/watch?v=jsymg7SWyxs

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इस छोटी सी स्टोरी को देखिए जो ऑल्ट न्यूज़ ने की है। रिपोर्ट पुरानी है तो क्या हुआ लेकिन आज जब इसे देखा तो लगा कि आपको फिर से याद दिला दूँ । सरदार को पता होना चाहिए कि उनके सेल के लोग भी पत्रकार मुझी को मानते हैं। कह नहीं पाते वो अलग बात है। अब वो फँस गए है तो क्या करें। उन्हें थोड़े न पता था कि राष्ट्रवाद के नाम पर आई टी सेल में भर्ती होंगे और फैलाएँगे झूठ। मैं उनकी व्यथा समझ सकता हूँ।

बोलो आई टी सेल वालों मेरी बात सही है कि नहीं। तुम फँस गए हो न। एक दिन उठा कर फेंक भी दिए जाओगे। बायोडेटा में क्या लिखोगे कि झूठ फैलाने वाले सरदार के यहाँ काम करते थे! कोई टिकट भी नहीं देगा। हंसेगा तुम्हारे ऊपर। कहेगा कि काम हो गया अब चले जाओ यहाँ से। आई टी सेल में काम करने वाले नौजवानों, अभी भी वक़्त, इस काम से अलग हो जाओ। बीजेपी में ही काम करो मगर राजनीतिक काम करो। नेता बनो। झूठ फैलाने का काम अच्छा नहीं है। गर्ल फ्रैंड पूछेगी तो शर्म से बता भी नहीं पाओगे कि आई टी सेल में काम करते हो।

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नोट- चुनाव आ रहे हैं। आठ हज़ार दस हज़ार देकर नौजवान भर्ती किए जाएँगे। आप भीतर से देखेंगे कि राजनीति कैसे बेवक़ूफ़ बनाती है। कोई भी पार्टी हो, सोशल मीडिया का काम कोई काम नहीं है। आप गाली देने झूठ फैलाने में इस्तेमाल किए जाएँगे। जब तक ये नहीं करने को बोलता है फिर भी ठीक है लेकिन किसी को बदनाम करना, फेक वीडियो बनाने का काम मत करो।

वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह और रवीश कुमार की एफबी वॉल से.

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https://www.youtube.com/watch?v=UmK1ihBhbN0

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