मध्य प्रदेश सरकार ने टीवी पत्रकार अक्षय सिंह के परिवार की उस मांग को मंजूर कर लिया है, जिसमें अक्षय के विसरा की जांच प्रदेश से बाहर कराने की मांग की थी। उनके विसरा नमूने की जांच भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और केन्द्रीय फॉरेंसिंक विज्ञान प्रयोगशाला से जांच कराई जाएगी। गौरतलब है कि इसी तरह पत्रकार गजेंद्र सिंह की जांच के बाद बताया गया था कि उन्होंने तो आत्महत्या की थी! कपटी सरकारें जो न कर डालें, कोई क्या कर लेगा। दोनो पत्रकारों की मौत की सीबीआई जांच कराने से दोनो भ्रष्ट सरकारों ने इनकार कर दिया है। सत्ता के साए में अपराधियों, माफिया तत्वों के गिरोह पल रहे हैं। उनके धन-जनबल से सत्ता हासिल करनी है तो तरफदारी पत्रकारों के लिए क्यों होगी।
बताया गया है कि टीवी पत्रकार अक्षय सिंह की बहन ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर अक्षय का विसरा नमूना राज्य के बाहर जांच कराने की मांग की थी। मध्य प्रदेश के डीजीपी सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि सरकार अक्षय सिंह के शव के विसरा नमूने की भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और केन्द्रीय फॉरेंसिंक विज्ञान प्रयोगशाला से जांच कराएगी। अक्षय के परिवार के एक सदस्य ने मुख्यमंत्री से ऐसाआग्रह किया था।
अक्षय की शनिवार को झाबुआ जिले के मेघनगर में उस समय मौत हो गई थी, जब वह व्यापमं घोटाले में नाम आने के बाद एक छात्रा नम्रता डामोर के माता-पिता का इंटरव्यू करने के बाद किन्हीं संबंधित दस्तावेजों की फोटोकॉपी की अपने दो सहयोगियों सहित प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसका शव बाद में संदिग्ध परिस्थितियों में उज्जैन में रेलवे पटरियों के निकट पाया गया था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अक्षय की मौत की जांच के लिए व्यापमं घोटाले पर एसटीएफ की जांच की निगरानी कर रही एसआईटी को लिखने की बात कर चुके हैं। विपक्ष मांग कर रहा है कि सीबीआई जांच होनी चाहिए। दुरंगी चाल देखिए कि यूपी में भाजपा ने पत्रकार जगेंद्र सिंह हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग की थी। एमपी में उसकी सरकार है, जिसके साये में तीन दर्जन से ज्यादा हत्याएं व्यापमं घोटाले में हो चुकी है। उसी क्रम में देश शीर्ष मीडिया हाउस के परिवार का तेज तर्रार रिपोर्टर मार दिया गया, मगर सीबीआई जांच से वहां भी इनकार किया जा रहा है। यद्यपि आज का सीबीआई भी कोई दूध का धुला नहीं रहा। वह भी सरकार की मुट्ठी में है।