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असम के चैनल ‘प्रतिदिन टाइम’ ने शॉर्टस पहने वाली लड़कियों की तुलना बंदरों से की, एडिटर इन चीफ ने मांगी माफी

असम में एक खबरिया चैनल प्रतिदिन टाइम पर प्रसारित शॉर्टस पहनने वाली युवतियों का उपहास उड़ाने वाला वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला विवादों में आ गया है। यहां तक कि कुछ लोगों ने यह भी कह दिया कि मौजूदा समय में पुलिस से ज्यादा उन्हें मीडिया से डर लगने लगा है। असम को वैसे तो महिला सशक्तिकरण के उदाहरण के तौर पर देखा जाता है, लेकिन क्षेत्रीय खबरिया चैनल प्रतिदिन टाइम ने शॉट्र्स पहनने वाली युवतियों का उपहास उड़ाकर यह बताने की कोशिश की है कि फैशन का मतलब छोटे कपड़े पहनकर अंग प्रदर्शन करने से है। वीडियो में एक बंदर को पैंट पहने हुए दिखाया गया है और असमिया भाषा में पाश्र्व से आती आवाज में तंज है कि बंदर भी कपड़े पहनना और कपड़े धोना सीख गए हैं, लेकिन गुवाहाटी की युवतियों को अपने आराम के लिए शॉर्टस पहनना पसंद है।

<p>असम में एक खबरिया चैनल प्रतिदिन टाइम पर प्रसारित शॉर्टस पहनने वाली युवतियों का उपहास उड़ाने वाला वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला विवादों में आ गया है। यहां तक कि कुछ लोगों ने यह भी कह दिया कि मौजूदा समय में पुलिस से ज्यादा उन्हें मीडिया से डर लगने लगा है। असम को वैसे तो महिला सशक्तिकरण के उदाहरण के तौर पर देखा जाता है, लेकिन क्षेत्रीय खबरिया चैनल प्रतिदिन टाइम ने शॉट्र्स पहनने वाली युवतियों का उपहास उड़ाकर यह बताने की कोशिश की है कि फैशन का मतलब छोटे कपड़े पहनकर अंग प्रदर्शन करने से है। वीडियो में एक बंदर को पैंट पहने हुए दिखाया गया है और असमिया भाषा में पाश्र्व से आती आवाज में तंज है कि बंदर भी कपड़े पहनना और कपड़े धोना सीख गए हैं, लेकिन गुवाहाटी की युवतियों को अपने आराम के लिए शॉर्टस पहनना पसंद है।</p>

असम में एक खबरिया चैनल प्रतिदिन टाइम पर प्रसारित शॉर्टस पहनने वाली युवतियों का उपहास उड़ाने वाला वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला विवादों में आ गया है। यहां तक कि कुछ लोगों ने यह भी कह दिया कि मौजूदा समय में पुलिस से ज्यादा उन्हें मीडिया से डर लगने लगा है। असम को वैसे तो महिला सशक्तिकरण के उदाहरण के तौर पर देखा जाता है, लेकिन क्षेत्रीय खबरिया चैनल प्रतिदिन टाइम ने शॉट्र्स पहनने वाली युवतियों का उपहास उड़ाकर यह बताने की कोशिश की है कि फैशन का मतलब छोटे कपड़े पहनकर अंग प्रदर्शन करने से है। वीडियो में एक बंदर को पैंट पहने हुए दिखाया गया है और असमिया भाषा में पाश्र्व से आती आवाज में तंज है कि बंदर भी कपड़े पहनना और कपड़े धोना सीख गए हैं, लेकिन गुवाहाटी की युवतियों को अपने आराम के लिए शॉर्टस पहनना पसंद है।

वीडियो में छोटे कपड़ों और शॉर्टस-टी शर्ट वाली युवतियों की फुटेज शामिल की गई है। कई लोगों ने हालांकि खबरिया चैनल का विरोध भी किया है। चैनल के विरोध में रविवार को गुवाहाटी में एक शांतिपूर्ण रैली निकाली गई, लेकिन पुलिस ने रैली में शामिल कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर उन पर कर्फ्यू तोड़ने का मामला दर्ज कर दिया। जबकि शहर में कर्फ्यू लागू होने की घोषणा नहीं की गई थी। शोधकर्ता एवं लैंगिक अधिकार कार्यकर्ता मीनाक्षी भुजबरूआ ने बताया, निजता का हनन हो रहा है। आजकल तो पुलिस से ज्यादा मीडिया से डर लगने लगा है, क्योंकि आप नहीं जानते कि कब और कहां मीडिया वाले आपको न्यूज के नाम पर पकड़ लेंगे और शर्मसार करेंगे। प्रतिदिन टाइम के एडिटर-इन-चीफ नीतूमोनी सैकिया ने फेसबुक पर माफीनाम पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि अनजाने में लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए वह माफी चाहते हैं। सैकिया ने बताया, हमने अपने चैनल पर जो कुछ प्रसारित किया, उसके लिए हम जिम्मेदार हैं। लेकिन वीडियो की पैकेजिंग और कुछ विषयवस्तु गलत थे। इस मामले में रिपोर्टर को चेतावनी दी गई है और इस तरह की भूल भविष्य में नहीं दोहराई जाएगी।

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