सन टीवी नेटवर्क को लेकर अरुण जेटली और राजनाथ सिंह के मंत्रालय आमने-सामने आ गए हैं। लाइसेंस देने के लिए गृह मंत्रालय से जरूरी सिक्यॉरिटी क्लियरेंस न मिलने पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अटॉर्नी जनरल की राय मांगी है। अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि नेटवर्क को सिक्यॉरिटी क्लियरेंस मिलनी चाहिए। सन टीवी नेटवर्क ने ब्रॉडकास्टिंग लाइसेंस को 10 साल के लिए रीन्यू करने के लिए आईऐंडबी मिनिस्ट्री में ऐप्लिकेशन डाली थी। इन्फर्मेशन ऐंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री जो लाइसेंस जारी करती हैं, उसके लिए कंपनियों को गृह मंत्रालय से सिक्यॉरिटी क्लियरेंस लेना जरूरी होता है।
सन टीवी नेटवर्क ने जब सिक्यॉरिटी क्लियरेंस मांगी तो गृह मंत्रालय इसे देने से इनकार कर दिया था। दरअसल कलानिधि मारन और उनके भाई पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन के खिलाफ करप्शन के मामले पेंडिंग हैं। माना जा रहा है कि इन्हीं की वजह से गृह मंत्रालय ने टीवी नेटवर्क को सिक्यॉरिटी क्लियरेंस नहीं दी थी। जब किसी मामले को लेकर दो मंत्रालयों की राय अलग-अलग हो जाए, तब आमतौर पर अटॉर्नी जनरल की सलाह को स्वीकार कर लिया जाता है। ऐसे में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मामले पर अटॉर्नी जनरल की राय लेने के लिए हाल ही में कानून मंत्रालय से संपर्क किया था। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कलानिधि मारन के सन टीवी नेटवर्क के 33 चैनल्स को क्लियरेंस देने का समर्थन किया है।
अटॉर्नी जनरल ने अपनी राय में कहा है कि जांच एजेंसियां करप्शन की जांच कर रही हैं, न कि सिक्यॉरिटी की। उन्होंने कहा है कि इस आधार पर सिक्यॉरिटी क्लियरेंस दी जा सकती है। उन्होंने कहा है कि नेटवर्क के प्रमोटर के खिलाफ चल रही करप्शन के मामलों की जांच के आधार पर क्लियरेंस नहीं रोकी जा सकती। सूत्रों ने यह संभावना भी जताई है मंत्रालय मिलकर एक ग्रुप पर आखिरी फैसला लेने की जिम्मेदारी छोड़ सकते हैं। सन टीवी नेटवर्क देश के सबसे बड़े मीडिया ग्रुप्स में से एक है, जिसके चैनल्स लाखों घरों में देखे जाते हैं।