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हम पत्रकार जर्रे हैं, नाचीज़ हैं, पेड हैं, दलाल हैं, मिस ईरानी क्या हैं ?

चोर को चोर कहना अच्छी बात है पर चोर को चोर कहने से आप ईमानदार नही बन जाते है. ये सही है कि मीडिया आज के दौर में अपनी साख खोता जा रहा है. ये सही है कि टीआरपी के नाम पर रोज़ रोज़ न्यूज़ चैनलों में तमाशा हो रहा है और उससे दर्शक उकताने लगे हैं. ये भी सही है कि पुलिस की तरह अब मीडिया से भी लोगों को नफरत होने लगी है ? शायद इसीलिए स्मृति ईरानी ने जब आजतक के एंकर और रिपोर्टर पर चढ़ाई कीं तो जनता का बड़ा हिस्सा मिस ईरानी के समर्थन में झुक गया. हालाँकि तमाशा ईरानी भी कम नहीं कर रही थीं.

चोर को चोर कहना अच्छी बात है पर चोर को चोर कहने से आप ईमानदार नही बन जाते है. ये सही है कि मीडिया आज के दौर में अपनी साख खोता जा रहा है. ये सही है कि टीआरपी के नाम पर रोज़ रोज़ न्यूज़ चैनलों में तमाशा हो रहा है और उससे दर्शक उकताने लगे हैं. ये भी सही है कि पुलिस की तरह अब मीडिया से भी लोगों को नफरत होने लगी है ? शायद इसीलिए स्मृति ईरानी ने जब आजतक के एंकर और रिपोर्टर पर चढ़ाई कीं तो जनता का बड़ा हिस्सा मिस ईरानी के समर्थन में झुक गया. हालाँकि तमाशा ईरानी भी कम नहीं कर रही थीं.

सवाल ये नहीं है कि मीडिया को आईना दिखाने की नेकी के बदले आपको खुद आईने के आगे से हटा लिया जाए ? सवाल ये है कि आपको भी आईना क्यूँ न दिखाया जाए ?

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कभी प्रतिभा अडवाणी, कभी दिवंगत प्रमोद महाजन, कभी नितिन गडकरी तो कभी मोदी के चक्कर काटकर अगर किसी पार्टी की राजनीती में आप सीढ़ी चढ़ गयी हैं तो आपका कद बड़ा नहीं हो जाता है ? किसी कपड़े की दूकान की छत पर कैमरा पकड़कर आप देश में महिलाओं को आज़ादी दिलाने की आवाज़ नहीं बन जाती हैं ? आपके भीतर एक चापलूस ही नहीं छुपा है आप के व्यक्तित्व में विरोधाभास भी है . जिस मोदी के विरोध को लेकर आप आमरण अनशन पर बैठी उसी मोदी की आप उपासना करने लगीं ? ये किसी personality में एक बेहद ज़बरदस्त विरोधाभास है? शायद इसीलिए आप अक्सर लोगों पर बेवजह झुंझलाने लगती हैं. सार्वजनिक तौर पर अधीनस्थ पर तंज कसती हैं, उन्हें अपमानित करती हैं. आपके मत्रालय के 7 अहम अफसरों ने इसलिए आपसे छुटकारा पाया है . 

क्या आपसे हम ये नहीं पूछ सकते कि आपने रिलायंस के दलाल संजय काचरू को अपने मंत्रालय के दफ्तर में क्या सोचकर बैठाया था ? क्या आपको ये नही मालूम था कि संजय रिलायंस के कारपोरेट अफेयर मामलों की लाईजनिंग करते हैं ?

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आपने जिस शेयर दलाल राकेश झुनझुनवाला की पत्नी से 1.75 करोड़ रूपए उधार लिए, उसी कि सगी भतीजी को आपने मंत्रालय में अपना ही अतिरिक्त निजी सचिव नियुक्त कर दिया ? आपको ये नही मालूम की झुनझुनवाला देश की सबसे बड़े एजुकेशन संस्था अपटेक चलाते हैं? आपको यह नही मालूम कि झुनझुनवाला एक बड़ी निजी यूनिवर्सिटी के बोर्ड पर हैं ? क्या ये कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट का मामला नहीं है ? क्या हम देश के नागरिक की हैसियत से एक कैबिनेट मंत्री से ये सवाल नहीं पूछ सकते ? 

मित्रों जिस गाँधी ने देश की आजादी की लड़ाई में बड़ा काम किया उनकी निजी ज़िन्दगी में प्रवेश और शोध करने का हमे अधिकार है ? गाँधी की सहेलियों के बारे में देश चर्चा कर सकता है ? नेहरु के सिगरेट पीने पर हम सवाल उठा सकते हैं ? सुभाष चन्द्र बोस जैसे त्यागी और देश भक्त की जर्मन पत्नी के बारे में किताब लिख लिख कर खोज कर सकते हैं ? लेकिन हम माननीया स्मृति ईरानी की सौतन और लिखा पढ़ी में जुबिन की पहली पत्नी मोना की खबर नहीं दिखा सकते? हमे ये कहना का हक़ नहीं है कि मोना एक बेहद सुसंस्कृत और अपने पाँव पर खड़ी एक महिला उद्यमी हैं ? मोना के साथ छल हुआ है ? इस छल पर लिखना क्या पाप है ? 

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क्यूँ नहीं हम ऐसा लिख सकते ? क्या मिस ईरानी कि ज़िन्दगी गाँधी और सुभाष से अधिक पवित्र है ? क्या मिस ईरानी का देश के लिए योगदान गाँधी और नेहरु से भी अधिक है ? चलिए हम पत्रकार जर्रे हैं ..नाचीज़ हैं..पेड हैं…दलाल हैं…लेकिन फिर ये भी तय होना चाहिए कि मिस ईरानी क्या हैं ? या सोशल मीडिया पर उनके पेड समर्थकों के डर से कुछ भी लिखना खतरे से खाली नही ?

वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा के एफबी वॉल से

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0 Comments

  1. राजेश अग्रवाल

    June 8, 2015 at 11:41 am

    स्मृति ईरानी का साक्षात्कार मैंने देखा था. आज तक के रिपोर्टर के सवाल में कहीं भी अश्लीलता या कुछ भी अापत्तिजनक नहीं था, उसने पूछा कि मोदी ने आपमें क्या खूबी देखी कि उन्होंने आपको मानव संसाधन मंत्रालय जैसे भारी-भरकम विभाग का मंत्री बना दिया. स्मृति ईरानी ने सीधे-सीधे इस सवाल का जवाब देने के बजाय इसे अपने अस्मिता के खिलाफ की गई टिप्पणी बताकर बार-बार भीड़ को उकसाने की कोशिश की. हद तो यह हो गई जब भाजपा से जुड़े लोगों ने फेसबुक इसे रिपोर्टर का सेक्सिएस्ट कमेंट बताकर पोस्ट डाला. यह मोदी समर्थकों और भाजपा, आरएसएस के नेताओं की पुरानी आदत है जब आप किसी बात का तर्क से जवाब नहीं दे सकते तो सवाल करने वालों पर ही कीचड़ उछालो. शर्मनाक घटना है. पत्रकार दीपक शर्मा जी की इस पोस्ट पर कई चौंकाने वाले खुलासे हैं. काचरू और झुनझुनवाला के बारे में तो जानकारी दी गई है यदि वह सच है तो फिर तो साफ-सुथरी सरकार का दावा चलाने का दावा करने वालों को डूब मरना चाहिए.

  2. jitendra kumar

    June 9, 2015 at 4:58 pm

    मीडिया को भी अपनी गरिमा का ख्याल रखना चाहिए था , मैंने भी आजतक का वह शो देख रहा था , इस शो मे एंकर ने जिस लहजा मे सवाल किया था , उस जगह पर कोई चपरासी भी होता तो उसका जवाब उसी लहजा मे देता फिर ईरानी तो देश के केबिनेट मंत्री है , आजतक के दोनों एंकर को आजतक के स्वेता सिंह से सिखनी चाहिए या इंडिया टीवी के रजत शर्मा से कोई भी कड़ा प्र्शन पूछे , अपने लहजे से किसी को खराब महसूस नहीं होता …

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