Pushya Mitra : अगर यह अवमानना है तो सोचता हूँ, थोड़ी सी सविनय अवमानना मैं भी कर लूं। खबर है कि इस ट्वीट के लिये प्रशांत भूषण जी पर न्यायालय की अवमानना का मुकदमा हुआ है।
Vijay Shankar Singh : सीजेआई जस्टिस बोबड़े की एक फोटो एक महंगी मोटर बाइक पर खूब चर्चित हुयी और उसी का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट कर दिया।
अब उस ट्वीट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना की नोटिस जारी कर दी है।
यह भी खबर थी कि वह बाइक एक भाजपा नेता की थी, और जस्टिस बोबडे बिना हेलमेट के उस बाइक पर बैठे थे। न्यायमूर्ति अरुण मिश्र अवमानना पीठ के अध्यक्ष हैं। यह मामला वह सुनेंगे।
प्रशांत भूषण का ट्वीट इस प्रकार है,
CJI rides a 50 Lakh motorcycle belonging to a BJP leader at Raj Bhavan Nagpur, without a mask or helmet, at a time when he keeps the SC in Lockdown mode denying citizens their fundamental right to access Justice!
इस ट्वीट में कौन से तथ्य मिथ्या हैं ? बाइक बीजेपी के नेता की है, सीजेआई, न तो मास्क लगाए हैं, और न हैलमेट। लॉक डाउन चल भी रहा था और अदालतें बंद भी थीं। फिर यह खुन्नस है या सच मे अदालत की तौहीन अब यह जब अदालत तय करे तो पता चले !
Jitendra Narayan : केवल प्रशांत भूषण पर ही क्यों? हम सब पर भी चलाओ अवमानना का केस…देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप मे आपकी हरकतें निंदनीय है और मुख्य न्यायाधीश के पद की गरिमा के खिलाफ है…आपके दिए कई फैसले भी पूर्णतः पक्षपातपूर्ण और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है!
Bhavi
July 22, 2020 at 5:07 pm
Koi agar khadi bike par bethkar pic le le to kya hua. Lekin kathit logo ke pet me marod uth jaati he. Are bhai unki bhi personal life he lekin Kya kare freedom of speech he. Bhushan ji par dusre mamle ko lekar aisa hua he.
Adhura gyan ghatak hota he
Lol
lav kumar singh
July 22, 2020 at 5:42 pm
आपकी जानकारी अधूरी है। अदालत की अवमानना के नोटिस का कारण बना मुख्य ट्वीट वो है जिसमें प्रशांत भूषण ने अपने अनुकूल निर्णय नहीं आने पर पिछले छह वर्षों में लोकतंत्र के कथित विनाश (प्रशांत भूषण के अनुसार) का आरोप लगाया है और इसके पीछे सर्वोच्च न्यायालय की भी भूमिका होने का आरोप लगा दिया है। प्रशांत भूषण ने इस आलोचना में पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों पर आरोप लगाकर उन्हें भी लपेट लिया है। यह एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि प्रशातं भूषण एक तरफ तो न्यायाधीशों पर गंभीर आरोप लगा देते हैं और फिर उन्हीं की कोर्ट में न्याय मांगने पहुंच जाते हैंं और जब फैसला मनोकूल नहीं आता तो फिर आरोप लगा देते हैं।