उत्तराखंड में राज्य सरकार के खिलाफ लिखने-बोलने वाले पत्रकारों के दिन काफी समय से खराब चल रहे हैं. अब सरकारी दमन में तेजी आ गई है. खोजी पत्रकार व कई चैनलों के संचालक-संपादक उमेश कुमार पर राजद्रोह समेत कई धाराएं लगाने से उत्तराखंड पुलिस का मन न भरा तो कल गैंगस्टर भी लगा दिया. राज्य सरकार द्वारा लगातार किए जा रहे उत्पीड़न के खिलाफ उमेश कुमार ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करा दी.
उत्तराखंड सरकार और उमेश कुमार, दोनों ही तरफ से ढेर सारे भारी भरकम वकील हाजिर हुए. नैनीताल हाईकोर्ट ने उमेश कुमार की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश निर्गत कर दिया है. हाईकोर्ट ने राजद्रोह और गैंगस्टर दोनों मामलों में गिरफ्तारी पर रोक लगाई है. इस तरह उत्तराखंड सरकार की फिर से उमेश कुमार के हाथों करारी हार हुई है.
नैनीताल हाईकोर्ट में उमेश कुमार की तरफ से दिल्ली से आए तीन वकील, जाने माने एडवोकेट कपिल सिब्बल, सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान, तेजतर्रार एडवोकेट अंकुर चावला पेश हुए. उत्तराखंड सरकार की तरफ से दिल्ली से आए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और राज्य के एडवोकेट जनरल ने मोर्चा संभाला और उमेश कुमार को अरेस्ट स्टे न दिए जाने के पक्ष में कई तर्क रखे. जस्टिस रविंद्र मैथानी की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद उमेश कुमार के पक्ष में फैसला सुना दिया. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया गिरफ्तारी जैसा मामला न बनता देख उमेश को गिरफ्तार न किए जाने का आदेश पारित कर दिया.
समाचार प्लस न्यूज चैनल के संस्थापक और प्रधान संपादक रहे उमेश कुमार इन दिनों बांग्ला भारत न्यूज चैनल के अलावा कई डिजिटल न्यूज चैनल संचालित करते हैं. उत्तराखंड राज्य सरकार की नीतियों और कारनामों का लगातार खुलासा पहाड़ टीवी व अन्य डिजिटल-सोशल मीडिया माध्यमों के जरिए करने के कारण यहां के शासन-प्रशासन के निशाने पर रहते हैं. राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी लोगों व बड़े अफसरों के करप्शन से जुड़े कुछ स्टिंग कराने के चलते उमेश कुमार को उत्तराखंड सरकार ने गुपचुप मुकदमा दर्ज कर अचानक छापा मार गिरफ्तार कर लिया और पहले देहरादून जेल में रखा, फिर रांची जेल भिजवा दिया था.
उमेश जेल से बाहर आए तो फिर से उत्तराखंड सरकार की कार्यशैली के खिलाफ पोल खोल अभियान शुरू कर दिया. उमेश के वीडियोज डिजिटल मीडिया माध्यमों में खूब लोकप्रिय होने लगे. लाखों व्यूज के अलावा हजारों शेयर-फारवर्ड के चलते उत्तराखंड सरकार के कारनामों के कंटेंट वायरल होने लगे. उमेश सीधे उत्तराखंड सरकार के मुखिया पर निशाना साधते. इससे उत्तराखंड सरकार में बैठे लोग बेचैन होने लगे. नतीजे में राज्य सत्ता ने उमेश कुमार समेत उन पत्रकारों को फिर से निशाना बनाने का फैसला कर लिया जो सरकार को आइना दिखाने का काम करते हैं.
राज्य सरकार के निर्देश पर उत्तराखंड पुलिस फिर सक्रिय हो गई. राजद्रोह समेत कई धाराएं लगाकर गिरफ्तार करो अभियान शुरू कर दिया गया.
उमेश कुमार तो गिरफ्तार नहीं किए जा सके लेकिन क्राइम स्टोरी सांध्य दैनिक के संपादक राजेश शर्मा को पुलिस ने न सिर्फ आतंकवादियों की तरह रात में घर से अपहृत कर लिया बल्कि थाने में ले जाकर खूब पिटाई की. इससे देश भर के पत्रकारों में आक्रोश है कि आखिर एक पत्रकार के साथ किसी राज्य की पुलिस राजनीतिक आकाओं के निर्देश पर ऐसा सुलूक कैसे कर सकती है. इसी तरह पर्वतजन मैग्जीन व पोर्टल के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल पुलिस गिरफ्त से बचने के लिए फरार चल रहे हैं.
सत्ता के खिलाफ लिखने-बोलने वाले पत्रकारों उमेश कुमार, राजेश शर्मा आदि पर राजद्रोह जैसी धाराएं लगाने से सरकार का मन न भरा तो उमेश पर गैंगस्टर भी लाद दिया. फिलहाल उमेश कुमार उत्तराखंड सरकार के दमन से बचने में, राहत पाने में, कोर्ट से सफल हो गए हैं लेकिन भविष्य में उत्तराखंड सरकार का पूरा जोर उन्हें वैध-अवैध तरीके से प्रताड़ित करने का रहेगा. राजेश शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल जैसे जमीनी पत्रकारों को प्रताड़ना का दौर झेलना पड़ रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
उमेश कुमार का कहना है कि उत्तराखंड सरकार के हर किस्म के दमन के बावजूद वह सच को सरेआम बोलने-कहने में नहीं हिचकेंगे और आने वाले दिनों में भी वे वीडियोज के जरिए सरकार का हालचाल लेते-देते रहेंगे.
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