देश की प्रसिद्ध समाचार एजेंसी यूएनआई में पिछले चार महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण कांट्रेक्ट पर काम कर रहे पत्रकारों ने काम रोक दिया है। कर्मचारियों ने प्रबंधन को अल्टीमेटम दिया है कि जबतक वेतन नहीं दिया जाएगा काम बंद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि वेतन नहीं मिलने से उनकी दिनचर्या पर गंभीर संकट उतपन्न हो गया है।
यूएनआई के कर्मचारियों ने अपनी पीड़ा के बारे में पत्र लिखकर प्रबंधन को अवगत कराया है लेकिन इस मामले प्रबंधन की तरफ से कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। कर्मचारियों की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि कॉन्ट्रेक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को अन्य कर्मचारियों की तुलना में बहुत कम वेतन दिया जाता है और उसके बावजूद कुछ लोगों को दिसंबर 2020 से अब तक वेतन नहीं मिला है जबकि कुछ लोगों का फरवरी से वेतन बकाया है। इस महामारी में कर्मचारियों की पीड़ा को समझने के बजाय प्रबंधन उदासीन और अडियल बना हुआ है।
इससे पहले हाल ही में कोरोना के कारण के एक कर्मचारी के मौत का मुद्दा भी इन कर्मचारियों ने उठाया। प्रबंधन की लापरवाही और बेरुखी के कारण विनोद रावत की मौत का मुद्दा भी कर्मचारियों ने उठाया लेकिन प्रबंधन कुम्भकर्णी नींद में सोया हुआ है। इस जानलेवा महामारी में जबरन विनोद को ऑफिस आने पर मजबूर किया गया और वह जब बीमार हुआ तो उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया। वेतन नहीं मिलने के कारण वह घर नहीं जा सका और जब तक वेतन मिला तबतक काफी देर हो चुकी थी। कर्मचारियों ने इस मौत के लिए प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है।
एक पुर्व कर्मचारी ने बताया कि यूएनआई में इन दिनों कोई फुलटाइम संपादक नहीं है। पिछले पांच महीने से एक कमिटी संचालन कर रहा है। उन्होंने कहा कि कमिटी के लोगों को संस्थान की कोई चिंता नहीं है अपनी मनमानी कर यूएनआई को गर्त में धकेलने में लगे है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है दूसरी तरफ लोगों की भर्ती के लिए आवेदन मंगाए गए हैं। यह बहुत ही हास्यास्पद और ढकोसला लगता है।
एक कर्मचारी ने अपना नाम गुप्त रखते हुए बताया कि कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारियों को अन्य कर्मचारियों की तुलना ने आधे से कम वेतन दिया जाता है और उन्हें किसी प्रकार की स्वास्थ्य अथवा अन्य सुविधाएं भी नहीं दी जाती है। कांट्रेक्ट पर काम करने वाले पत्रकारों का पीएफ भी नहीं काटा जाता है जो कानूनी तौर पर अपराध है।