यूपी चुनाव से ठीक पहले अखिलेश यादव गेम चेंजर लगने लगे हैं। ऐसा धोबियापाठ मार रहे कि भाजपा आलाकमान को समझ में नहीं आ रहा करें क्या!
भाजपा से लगातार बड़े विकेट गिर रहे हैं। कल भाजपा के बदायूँ के विधायक आरके शर्मा ने सपा का दामन थामा था। आज यूपी की भाजपा सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफ़ा देकर सपाई रंग में नहा गए। तीन अन्य भाजपा विधायकों ने भी आज इस्तीफ़ा दिया है।
चर्चा है कि स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थन में तीन विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि अभी एक दर्जन से अधिक विधायक सपा में शामिल होंगे।
इसी बीच नई खबर आ रही है कि शाहजहांपुर के तिलहर से बीजेपी विधायक रोशन लाल ने इस्तीफ़ा दे दिया है। वहीं बांदा के भाजपा विधायक ब्रजेश प्रजापति ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है और समाजवादी पार्टी में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। कानपुर के बिल्हौर से भगवती प्रसाद सागर ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है।
एक ही दिन में चार बड़े विकेट गिरने से भाजपा में हड़कंप है। अगर स्वामी प्रसाद ने सही दावा किया है तो कुछ अन्य विधायक भी जल्द ही इस्तीफ़ा दे देंगे।
ज्ञात हो कि अब तक कुल नौ भाजपा विधायक सपा में शामिल हो चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि योगी सरकार के मंत्री श्रीराम चौहान, मंत्री दारा सिंह चौहान, मंत्री धर्म सिंह सैनी भी जल्द ही इस्तीफ़ा देकर सपा में शामिल हो सकते हैं।
पत्रकार आशीष अभिनव फ़ेसबुक पर इस घटनाक्रम पर लिखते हैं- ‘परिणाम जो भी हो अखिलेश कॉन्फिडेंस में भरे हैं और सियासत की पिच पर अब फॉर्म में दिख रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के रूप में पहला विकेट बीजेपी का गिर चुका है। सीएम छोड़िये, दिल्ली में बैठे पीएम की टेंशन भी बढ़ गई होगी। शाम तक सीएम साहब की क्लास न लग जाए।’
पत्रकार चंदन राय कहते हैं- ‘लगता है अखिलेश यादव विपक्ष में रहकर अपने पिता नेता जी की तरह चुनावी चुनावी गोटिया सेट करने में माहिर हो गए हैं… इसलिए यह भी तय है कि अगर 2022 के परिणाम सपा के पक्ष में आते हैं और अखिलेश मुख्यमंत्री बनते हैं तो यह समझना होगा कि अखिलेश अब वह 2012 से 2017 के बीच वाले अखिलेश नही रहे।’
पत्रकार संजय शर्मा का कहना है कि अगले 48 घंटे बहुत भारी है भाजपा के लिये!
ज्ञात हो कि बेरोज़गारी, महंगाई और स्वास्थ्य सुविधाओं की बुरी हालत को लेकर आम जन में काफ़ी आक्रोश है। योगी सरकार द्वारा एक जाति विशेष को संरक्षण देकर बाक़ी अन्य को निशाने पर रखा जा रहा है जिससे अन्य जातियों में ग़ुस्सा है। अखिलेश यादव एंटी-बीजेपी ध्रुवीकरण के केंद्र बनते जा रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की टिप्पणी- ‘योगी जी की कैबिनेट से स्वामी जी ने अपने को अलग किया! बताते हैं कि अब ‘समाजवादी’ बन रहे हैं! हमने कहा न, पंजाब से यूपी और गोवा से उत्तराखंड; कहीं भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है! बाकी तो मैं कभी भविष्यवक्ता रहा नहीं! पर भविष्य पर नज़र जरूर रहेगी!
नतीज़ा केंचुआ बतायेगा!’
वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार का कहना है- ‘स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव के पूर्व भाजपा छोड़ने वाले अकेले नेता नहीं हैं। उनके पहले दो विधायक सपा में शामिल हो चुके हैं। तत्काल कम से कम 3 और विधायकों के पार्टी छोड़ने की संभावना है। संख्या और बढ़ेगी क्योंकि भाजपा कुछ मंत्रियों और अनेक विधायकों को उम्मीदवार नहीं बनाने जा रही।’
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