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उत्तर प्रदेश

उप्र में ध्वस्त हुई कानून व्यवस्था, लोग अपने घरों में भी असुरक्षित

लूट, हत्या, डकैती, चोरी आदि की ताबड़तोड़ वारदातों के बाद गैंगरेप की घटनाएं अभी थमी भी नहीं कि अब हर रोज हो रहे दंगों ने उत्तर प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। अब तो लोग इसे जुर्मी प्रदेश भी कहने लगे है। लेकिन इस राज्य के युवा मुख्यमंत्री अब भी ऐसा नहीं मानते। लॉ एंड आर्डर बेहतर होने की दुहाई दे रहे हैं। शायद इसीलिए अपराधियों के हौसले बुलंद है। उत्तर प्रदेश में लगातार सांप्रदायिक दंगों और फिर रेप जैसी शर्मनाक घटनाओं की बाढ़ सी आ गयी है। इतना ही नहीं सच लिखने पर कहीं पत्रकारों पर दर्ज हो रहे मुकदमें तो कहीं हो रही गिरफ्तारी तो कही गुंडा एक्ट, जिलाबदर कर गृहस्थी लूटी जा रही है।

SG

लूट, हत्या, डकैती, चोरी आदि की ताबड़तोड़ वारदातों के बाद गैंगरेप की घटनाएं अभी थमी भी नहीं कि अब हर रोज हो रहे दंगों ने उत्तर प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। अब तो लोग इसे जुर्मी प्रदेश भी कहने लगे है। लेकिन इस राज्य के युवा मुख्यमंत्री अब भी ऐसा नहीं मानते। लॉ एंड आर्डर बेहतर होने की दुहाई दे रहे हैं। शायद इसीलिए अपराधियों के हौसले बुलंद है। उत्तर प्रदेश में लगातार सांप्रदायिक दंगों और फिर रेप जैसी शर्मनाक घटनाओं की बाढ़ सी आ गयी है। इतना ही नहीं सच लिखने पर कहीं पत्रकारों पर दर्ज हो रहे मुकदमें तो कहीं हो रही गिरफ्तारी तो कही गुंडा एक्ट, जिलाबदर कर गृहस्थी लूटी जा रही है।

मुजफ्फरनगर दंगे के पहले भी सौ से अधिक छोटे-बड़े दंगे हो चुके है। इन सारी घटनाओं में जिला प्रशासन भी उदासीन रहा। खासकर भदोही में 25 नवम्बर 2012 को आगाह के बाद भी प्रशासन की मौजूदगी में दरोपुर मुहल्ले में पूरी तैयारी के साथ दंगा हुआ। घटना के वक्त भदोही विधायक जाहिद बेग सहित डीएम, पुलिस अधीक्षक मौजूद थे। उन्हीं के सामने सपा नेता पन्नालाल यादव के घर में पहले से मौजूद सैकडों दंगाईयों ने ईट-पत्थर फेकने के साथ फायरिंग की, जवाब में दूसरे तरफ से भी जमकर पथराव हुआ। विधायक का सिर फट गया। लोगों का कहना था कि स्थानीय जनता व्यापक पुलिस बल की मौजूदगी में ताजिया उठाने की बात कर रही थी, लेकिन पहले से ही सुनियोजित कार्यक्रम के तहत विधायक ने दंगा न होने देने की जिम्मेदारी ले ली और जब रास्ते का मामला आया तो खुद ललकारने में जुट गए है।

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इसके पीछे राजनीति ये थी कि विधायक व पन्नालाल यादव अपने प्रतिद्वंदी को फंसाना चाहते थे। मामला बिगड़ता देख उस वक्त डीएम व एसपी ने विधायक को बचाते हुए पन्नालाल को जेल भेज दिया, लेकिन अपने प्रतिद्वंदी के खिलाफ डीएम-एसपी से मुकदमा दर्ज करा दिया। दरोंपुर में भड़के दंगे में विधायक जाहिद बेग, विकास यादव, शोभनाथ यादव आदि का नाम आया लेकिन माफियाओं से साठगांठ रखने वाला कोतवाल संजयनाथ तिवारी न सिर्फ इन्हें बरी कर दिया बल्कि कई निर्दोषों पर फर्जी कार्रवाई कर प्रताड़ित किया और लाखों रुपया भी वसूला। दंगे के मुख्य अभियुक्त पन्नालाल यादव पर दर्ज मुकदमें की धार पैसा लेकर कम कर दी।
 
कुछ इसी तरह की कहानी मुजफरनगर और सहारनपुर की भी रही। यहां भी पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे। सत्ता के दवाब में प्रशासन ने भी मौन रहने में अपनी भलाई समझी। इस गुंडागर्दी का ही परिणाम रहा कि कुनबे को छोड़ सपा का सफाया हो गया। छठी सीट नहीं मिल पाई। लोकसभा चुनाव के बाद दर्जन भर छोटे-छोटे दंगे और हुए। दूसरी ओर लगातार हो रही रेप की घटनाओं ने यूपी को शर्मसार कर दिया है। यूपी के बदायूं में दो बहनों को गैंगरेप के बाद पेड़ से लटका दिया गया। लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। गर्दन शर्म से झुक गई। बदायूं का मामला जब सीबीआई के पास पहुंचा तो लगा कि यह ऑनर किलिंग का मामला हो सकता है।

अभी ये तय भी नहीं हुआ था कि यह मामला सामूहिक बलात्कार और हत्या या ऑनर किलिंग का है या नहीं, कि लखनऊ के मोहनलालगंज में बलात्कार और हत्या के मामले को लेकर सनसनी फैल गई। पुलिस ने जब कहा कि मामला सुलझ गया है, यह गैंगरेप नहीं बल्कि हत्या का मामला है, तब न तो मीडिया और न ही जनता ने इस पर यकीन किया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस कांड की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया।

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हालांकि 21 करोड़ की आबादी वाले राज्य में कुल 12 लाख पुलिसकर्मी हैं (5 लाख के स्वीकृत पुलिस बल में 65 फीसद पद खाली पड़े हैं)। मतलब हर एक लाख व्यक्ति पर केवल एक ही पुलिस है। मतलब पुलिस बल का अभाव यानी पूर्वांचल राज्य का गठन जरुरी है। आजमगढ़ के बरदह में घर के बाहर खेल रही सात वर्षीय बच्ची के साथ एक युवक ने दुष्कर्म किया। पुलिस ने यह कहकर रिपोर्ट दर्ज नहीं की कि आरोपी की गिरफ्तारी के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। लखीमपुर के गोलागोकर्णनाथ में कुछ दबंगों ने खेत जा रही किशोरी के संग दुष्कर्म का प्रयास किया। नाकाम रहने पर किशोरी के घर पर धावा बोल उसके पिता व भाई को गंभीर रूप से घायल कर दिया।

जालौन के कालपी में तीन युवकों ने घर के बाहर खेल रही 13 वर्षीय किशोरी को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म किया फिर उसे जोल्हूपुर मोड़ के पास फेंककर फरार हो गए। किशोरी के अगवा होने के बाद पिता ने तहरीर दी थी, पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। हरदोई के मल्लावां में शौच के लिए गई दो नाबालिग बहनों को अगवा कर पांच युवकों ने दो दिन तक उनसे सामूहिक दुष्कर्म किया। प्रतापगढ़ में कुछ दबंग घर से युवती को उठा ले गए। फिरोजाबाद के फरिहा में पड़ोसी ने छह वर्षीय बच्ची को दरिंदगी का शिकार बनाया। जौनपुर के बख्शा में दलित युवती की हत्या के मामले में सामूहिक दुराचार का खुलासा हुआ। अमेठी में हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना में रपट शांतिभंग में दर्ज हुआ।

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प्रदेश में बच्चियों के साथ दुराचार की घटनाओं में बढ़ोतरी होना स्वीकार करते हुए सरकार ने वर्ष 2013 में पाक्सो एक्ट के तहत 1796 घटनाएं पंजीकृत होने की बात कही। विधानसभा प्रश्नोत्तर में भाजपा के अरुण कुमार के सवाल पर मुख्यमंत्री की ओर से बताया गया कि नाबालिग बच्चों से दुराचार एवं जघन्य अपराधों में बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2012 में 6033 केस दर्ज कराए गए, वहीं वर्ष 2013 में यह संख्या बढ़कर 9857 हो गई। प्रदेश सरकार की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया गया, मई और जून 2014 के बीच छह सप्ताह में सूबे में महिलाओं के साथ अपराध की 4300 घटनाएं दर्ज हुई हैं।

गुरुद्वारे और कब्रिस्तान की जमीन को लेकर चल रहे विवाद की चिंगारी ने पूरे सहारनपुर शहर को सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में ले लिया। यहां भी आगाह के प्रशासनिक लापरवाही उजागर हुई। पथराव, आगजनी और फायरिंग में पांच लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए। सात लोग लापता हैं। डेढ़ सौ बड़ी दुकानें फूंक दी गई हैं, इनमें ज्यादातर सिख समुदाय के लोगों की हैं। करोड़ों की संपत्ति के नुकसान की आशंका है। हालात काबू करने के लिए प्रशासन को पूरे शहर में कफ्र्यु लगाना पड़ा।

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पुलिस आंकड़ों के मुताबिक रोजाना बलात्कार की 10, लूट 15, हत्या 16-20 घटनाएं सामने आ रही है। वर्ष 2013 में पहली जनवरी से 31 मार्च तक बलात्कार के 1199 मुकदमें दर्ज हुए, जबकि इस साल सामान अवधि में 1284 मुकदमें पंजीकृत हुए। वहीं पिछले साल के शुरुवाती 5 महीनों में सूबे में हत्या के 1961 अभियोग दर्ज हुए जबकि इस साल 2057 मुकदमें दर्ज हुए।

सपा के बाहुबलि विधायक विजय मिश्रा के संरक्षण में अवैध बालू खनन धड़ल्ले से चल रहा है। गुंडई के बल पर जीतीं सुनीता यादव का पति विकास यादव योजनाओं में खुलकर बंदरबांट कर रहा है। लेकिन अधिकारी मौन है। हौसलाबुलंद बदमाशों ने चौबेपुर, मडुवाडीह व शिवपुर में सर्राफा करोबारी को गोली मारकर 15 लाख से भी अधिक नगदी व जेवरात लूट लिए। आगरा में पुलिस थाना के सामने सर्राफा व्यापारी राजकुमार वर्मा की हत्या कर लाखों लूट लिए तो मार्निंग वॉक पर निकले शाहबाज की गोली मारकर हत्या कर दी। जबकि राजकिशोर के बेटे सनी का अपहरण कर लाखों की फिरौती मांगी गयी।

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इलाहाबाद के उतरांव में बदमाशों ने ग्रामीण बैंक के कैशियर को गोली मारकर 9 लाख रुपये लूट लिए। जबकि धूमनगंज के कालिंदीपुरम के हाईकोर्ट के सरकारी अधिवक्ता मिथिलेश साहू के बेटे का अपहरण कर बदमाशों ने लाखों की फिरौती न देने पर हत्या कर दी। अलीगढ़ के हरदुआगंज के केनरा बैंक की शाखा में बदमाशों ने धावा बोलकर 26 लाख रुपये लूट ली। बाराबंकी बिशुनपुर के सर्राफा व्यापारी अमित सोनी को गोली मारकर 10 लाख नगदी समेत 12 लाख के जेवर लूट कर चंपत हो गए। मुजफरपुनगर में आम खिलाने के बहाने किशोरी से गैंगरेप कर बदमाश पूरे गांव की बोलती बंद कर दिए है।

लखनऊ, कानपुर, इटावा, फैजाबाद, मेरठ, आदि इलाकों में 12 व्यापारियों को गोली मारकर 32 लाख से भी अधिक बदमाश लूट लिए। बदायूं के हाइवे पर बदमाशों ने पुलिस की मौजूदगी में चालक व खलासी को गोली मारकरSG नगदी समेत लाखों के सामान से भरी टक लूट गए। सीतापुर के मिश्रिख में एक किशोरी संग बलात्कार के बाद हबसियों ने हत्या कर शव को पेड़ से लटकाने सहित मऊ, इटावा, गोरखपुर, बलिया, बरेली, महोबा, फर्रुखाबाद, इलाहाबाद, भदोही, बनारस, अलीगढ़ आदि जनपदों में किशोरियों संग हुई सामूहिक गैंगरेप की घटना ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दी है। इतना ही नहीं भयभीत आम जनमानस सपाईयों के इशारे पर तकरीबन हर जनपद में 100 से अधिक फर्जी मुकदमें दर्ज कर अवैध वसूली व प्रताड़ना आदि घटनाओं से तो लोग अब अपने बेडरुम में भी असुरक्षित महसूस करने लगी है।

 

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सुरेश गांधी

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0 Comments

  1. suresh gandhi

    July 31, 2014 at 6:05 am

    sampradayikta ki aag me jal rha uttar pradesh

  2. Mahendra

    August 1, 2014 at 1:26 am

    Bhdohi ko lootne wale aur Jaunpur ke History sheeter Patrakaar bankar apna bachaav kar rahe Suresh Gandhi ke baare mein bhadaas4media kab likhega?

  3. suresh gandhi

    August 1, 2014 at 4:21 am

    इस तरह के कमेंट करने वाले कोई और न ही सत्ता के कोतवाल पुलिस संजयनाथ तिवारी, जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी, पुलिस अधीक्षक अशोक शुक्ला सहित बाहुबलि विधायक विजय मिश्रा के दलाल पत्रकार व कार्यकर्ता है। पिछले 16 साल से भदोही में पत्रकारिता कर रहा हूं। तब किसी ने नहीं कहा, गांधी भदोही को लूट रहे है और अगर लूट रहे थे तो क्यों नहीं रपट दर्ज कराई। अब जब दलित महिला संतोषी केे बलात्कारी करोड़पति गुलाम रसूल को जेल भेजवाया, बाहुबलि विधायक विजय मिश्रा के काले कारनामों, अवैध बालू खनन, लूटपाट आदि का चिठ्ठा खोला। भदोही में दंगा कराने वालों का चेहरा बेकाब किया। आगाह के बाद भी डीएम अमृत त्रिपाठी एसपी अशोक शुक्ला सहित प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में हुए दंगे की पोल खोला। निर्दोष युवक पर लाठी बरसाने की वीडियों जारी की। और खबर चलाया। ब्लाक प्रुमुख चुनाव में सत्ता के गुंडों ने जो बेईमानी की, और फर्जी तरीके सेे चुनाव जितवाया तो उसकी खबर प्रकाशित की तो तो बैचेनी हो गई। बलात्कारी गुलाम रसूल से पैसा लेकर पुलिसिया दलाल पत्रकार नेे उसे समाजसेवी कहकर महिमा मंडित किया। वैसे भी गुंडा एक्ट, जिलाबदर, रासुका पुलिस व प्रशासन ने ही तो लगाया, जिसे हाईकोर्ट नेे एक झटके में खारिज कर दिया। पुलिस की सारी कार्रवाईयों पर रोक लगा दी। जौनपुर में जो हिस्टीसीट प्रशासन ने बनाई वह भी पुलिस ने ही तो तैयार की। पुलिस ने जितने भी फर्जी मुकदमें दर्ज किए सभी न्यायालय से खत्म हो गए। खुद जिलाधिकारी जौनपुर अनुराग यादव ने चरित्र प्रमाण पत्र जारी करते हुए कहा है गांधी पर जो आरोप है वह दुश्मनी बस दर्ज है। कोई इनके झूठे मुकदमों को आधार बनाकर परेशान न करें। इनकी पत्रकारिता में बाधा न पहुंचाएं। यह प्रमाण पत्र हिन्दुस्तान समाचार पत्र के तत्कालीन प्रधान संपादक मृणाल पांडेय को जिलाधिकारी जौनपुर ने स्वयं भेजी है। इन दलालों को मेरी सोहरत देखी नहीं गयी तो इस गुंडाराज में सत्ता के माफियाओं से मिलकर न सिर्फ फर्जी मुकदमें दर्ज करवाएं, बल्कि गृहस्थी लूटवा दी। पिछले 16 सालों से भदोही में कालीन की समस्याओं, झंझावतों व कालीन के निर्यातकों पर माफियागिरी, पैसे वसूलने वाले चेहरों को बेनकाब किया, कुछ कालीन माफियाओं द्वारा दो सौ रुपये की कालीन 2000 रुपये का इनवाइस बनाकर इक्सपोर्ट कर करोड़ों रुपये इंसेटिव के रुप में सरकार का हड़पने वालों को चेहरा बेनकाब किया तो कौन सा गुनाह कर दिया। सवाल यह है कि अगर मेरी लेखनी से किसी को कोई पीड़ा थी तो क्यों नहीं 16 साल में किसी ने संबंधित प्रेस को नोटिस भेजी या मुकदमा दर्ज कराया। बलात्कारी गुलाम रसूल को समाजसेवी के रुप में दलाल पत्रकार नेे पुलिस कोतवाल संजयनाथ तिवारी के खिलाफ हो रही जांच में कोतवाल के बचाव में खुद अपना बयान दिया। लापरवाह प्रशासन का बचाव करते हुए जगह-जगह चिढ्ढियां लिखा। अभी तक तो दलाल पत्रकारों को प्रशासन के पक्ष में लिखने का तो सुना था, लेकिन पहली बार देखा कि अब उनके बचाव में जांच में अपनी बयान भी दर्ज करा रहे है। अगर हिम्मत थी जो बयान दलाल पत्रकार ने पुलिस बचाव में दिए उसे अपने अखबार में क्यों नहीं छापा। क्यों नहीं बचाव वाले आर्टिकल पुलिस के पक्ष में छापा।

  4. suresh gandhi

    August 1, 2014 at 4:55 am

    मैं तो मुख्यमंत्री से पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने की मांग सालभर से कर रहा हूं। मुख्यमंत्री क्यों नहीं जांच का आदेश देे रहे। जांच उसी आरोपी पुलिस व प्रशासन से करा रहे है, जिसकी मैने शिकायत की है। 16 साल से तिनका-तिनका जुटाई गई मेरी मेरी गृहस्थी व विवाह में मिले सामानों, कंपयूटर, वीडियों कैमरा सहित तमाम जरुरी सामाग्रियां जिसकी कीमत 25 लाख से भी अधिक की है और कोतवाल पुलिस संजयनाथ तिवारी व दलाल ने पूर्वांचल के ईनामी माफियाओं के शरणदाता से मिलकर लूटवाया है, के मामले में जिला न्यायालय संतरविदासनगर भदोही ने आईपीसी 156 3 के तहत कोतवाली भदोही में आरोपियों के खिलाफ रपट दर्ज हुए सालभर बीत गए, लेकिन आज तक पुलिस न ही लुटेरों को पकड़ा और न ही सामान की बरामदगी की। यह पुलिस की गुंडागर्दी नहीं है तो और क्या है। जबकि न्यायालय ने इस बार तीन बार प्रगति रिपोर्ट भी तलब की।

  5. Mahendra

    August 4, 2014 at 7:19 pm

    tinka tinka vah bhi 25 lakh. lage haath yah bhi bata do bhadas4media ko ki aapki kitni factriyan hain tumhari? jis makan mein varshon rahe uska ek paisa kiraya to diya nahin. khali badi badi baaten karnen se kuchh nahin hota. bhadohi ko kitane sukoon se hain ab bhadohi wale. dhanya ho tum ishwar. der aye durust aye.

  6. suresh gandhi

    August 5, 2014 at 6:18 am

    मैं संतरविदासनगर भदोही में मेहीलाल बिल्डिंग अयोध्यापुरी कालोनी स्टेशन रोड में विवाह के बाद से ही पत्नी समेत कक्षा 10 सेजल गांधी व कक्षा 7 साहिल गांधी के साथ 15-16 सालों से किराए के मकान में रहकर पत्रकारिता करता था। 16 साल से तिनका-तिनका जुटाई गयी गृहस्स्थी, विवाह में मिले सामानो व जेवर आदि सब उसी मकान में थे। कीमत 25 लाख रुपये से भी अधिक है। मैं हमेशा सामाजिक सरोकारों, शोषितो-पीडितों की आवाज व पुलिस तथा प्रशासन की नाकामियों व ज्यादितियों को प्रमुखता से समाचार पत्र में प्रकाशित कराता रहा। एक के बाद एक हुई घटनाएं व जनप्रतिनिधियों का जनता के साथ छलावा, अवैध बालू खनन, सड़कों व कल्याणकारी योजनाओं में धांधली आदि खबरें प्रकाशित होने व टीवी चैनेल में न्यूज चलने से पुलिस व प्रशासन कुपित हो गयी। खासकर 25 नवम्बर-12 मुहर्रम के तीन दिन पहले दरोपुर व घमहापुर में ताजिया रास्ते के विवाद को लेकर छपी खबर के बाद भी एलर्ट होने के बजाएं प्रशासनिक लापरवाही से भड़की हिंसा व तोड़फोड़ की घटना पेपर की सुर्खिया बनने से हुई छिछालेदर से डीएम अमृत त्रिपाठी एसपी अशोक शुक्ला काफी खफा हो गए थे। वैसे भी डीएम अमृत त्रिपाठी नगर निकाय चुनाव के दौरान से ही खफा था। मतदान के दिन डीएम द्वारा कतार में खड़े युवक को थप्पड़ मारने के दौरान खिंची फोटो तो धौंस जमाकर डिलीट करा दी, लेकिन खबर छापी कि लोकतंत्र के पर्व पर हांफता रहा तंत्र, जगह-जगह जमकर हुई बूथ कैपचरिंग, नाकामी से खिसियाएं डीएम अमृत त्रिपाठी पत्रकार पर भड़के, जिसे पढकर वह चिढे थे। डीएम ने कार्रवाई की धमकी दी थी। महाशिवरात्रि के दिन अलसुबह हुए विस्फोट और कोतवाल संजयनाथ तिवारी की लापरवाही की खबर छपने के बाद वह सारी सीमाएं लांघकर श्री गांधी के खिलाफ बिना किसी अपराध के 18 मार्च 2013 को गुंडाएक्ट की रिपोर्ट एसपी अशोक शुक्ला के जरिए डीएम अमृत त्रिपाठी को प्रेषित की। इस बाबत गांधी ने 23 मार्च 2013 को दोपहर मे एसडीएम न्यायालय में अपना जवाब दाखिल किया कि पुलिस द्वारा दर्ज की गई की कार्यवाही के तीनोें मुकदमों मे पुलिस ने खुद फाइनल रिपोर्ट लगाई है या वह न्यायालय से दोषमुक्त है, तो कोतवाल ने मकान मालिक विनोद गुप्ता व सुमित गुप्ता निवासी काजीपुर रोड भदोही को साजिश मे लेकर रंगदारी मांगने की झूठी रपट दर्ज कर दी। रपट में कहा गया है कि दो साल से गांधी विनोद गुप्ता के मकान में किराए पर रहते है और न ही किराया देते है और न ही मकान खाली करते है। 23 मार्च को काजीपुर रोड स्थित मकान मालिक के घर में घूसकर मारपीट कर 5 लाख की रंगदारी मांगी। रंगदारी न देने पर लात घूसों से मारकर जान से मारने की धमकी दी। उसी दिन 23 मार्च की रात साढे आठ बजे दर्ज इस झूठी रपट में पुलिस ने बिना छानबीन किए दो और पत्रकारों का नाम दर्जकर मकान मालिक के चहेतो की गवाही लेकर चार्जसीट लगा दी। सवाल यह कि गांधी उस मकान में पिछले 15-16 सालों से रह रहे है। तभी से नाम व पते जगह-जगह सरकारी अभिलेखों समेत प्राइवेट संस्थानों में दर्ज है। अगर गांधी ने 23 मार्च को मकान मालिक के घर गए तो काल डिटेल के साथ ही मोबाइल लोकेशन आदि की छानबीन क्यों नहीं की गयी। जो व्यक्ति पिछले 16 सालों से पत्रकारिता कर रहा हो और तमाम प्रशासनिक आफिसर आए और चले गए तब किसी को गांधी गुंडा नजर नहीं आएं। किसी से रंगदारी नहीं मांगी और न ही किसी भी जनता ने कोई मुकदमा ही लिखाया। तो फिर अचानक तत्कालीन अफसरों की निगाह में कैसे गुंडा बन गया और सप्ताहभर में गुडांएक्ट की कार्यवाही कर जिलाबदर कर दी। खास बात तो यह है कि किराए को लेकर मकान मालिक से विवाद था तो पहले क्यों नहीं रपट लिखी गयी। मकान मालिक ने न्यायालय में क्यों नहीं बेदखली का वाद दाखिल कर गांधी को नोटिस भेजवाई। रपट उस उक्त लिखी गयी जब पुलिस के झूठे गंुडाएक्ट की कार्रवाई पर श्री गांधी ने 23 मार्च को दोपहर में एसडीएम न्यायालय में अभिलेखों व साक्ष्यों के साथ झूठे आरोपों को चैलेंज किया। इतना ही नहीं झूठे तथ्यों पर पुलिस ने गांधी सहित जिन दो और पत्रकारों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट प्रेषित की है उसमें वादी विनोद गुप्ता से 24 मार्च व 30 मार्च को लिए गए बयान में कहा गया है कि गांधी मकान खाली नहीं कर रहे है और किराया नहीं देते। 23 मार्च को घर पर आकर लात घूसों से मारने के बाद 50 हजार रुपये की रंगदारी मांग रहे है। इसके बाद 7 अप्रैल के बयान में हुबहू उन्ही पुलिसिया शब्दो व भाषा का इस्तेमाल करते हुए बयान दिया कि गांधी 5 लाख रूपये की रंगदारी मांग रहे थे और न देने पर कमरा नहीं खाली करने व जान से मारने की धमकी दी और गांधी के साथ दो और पत्रकार नशीर कुरैशी व आफताभ आलम थे। सवाल यह है कि पूर्व के बयान में विनोद गुप्ता ने न हीं दो और पत्रकारों का नाम लिया और न ही रंगदारी 5 लाख की कही, जबकि सभी बातों को पुलिस की रटी-रटाई भाषा में बयान किया। इतना ही नहीं जिन तीन और गवाह अजय मौर्या पुत्र जवाहर लाल मौर्या निवासी चैरी रोड ब्लाक के पीछे, दिनेश मौर्या पुत्र ओमप्रकाश मौर्या व अंकूर खत्री पुत्र गोपीनाथ खत्री निवासी चकइनायत ने भी एक ही पुलिसिया भाषा में रटी-रटाई बयान दी है और तीनों का घर घटनास्थल से काफी दूर है। जबकि मकान मालिक का घर लबेरोड पर है अगल-बगल कई दुकाने है और वह खुद अलग-अलग स्थानों पर बने मकानों किराए पर दी हुए है और उनके घर पर तमाम लोगों का जमावड़ा रहता है। गवाही में किसी भी स्थानीय दुकानदार या पडोसी का नाम नहीं लिया गया है गवाह वहीं है विनोद गुप्ता के बेटे सुमित गुप्ता के दोश्त है, जिसके बारे में काफी लोग जानते है। वैसे भी अंकुर खत्री व दिनेश मौर्या ने डीआईजी को भेजे गए अपने हलफनामें में पहले ही कह चुके है कि उनके सामने धमकी मारपीट आदि की घटना नहीं हुई है। ना ही श्री गांधी ने 5 लाख की रंगदारी ही मांगी है। इतना ही नहीं रपट व बयान में लात-घूसों की बात कही गयी है जबकि मेडिकल रिपोर्ट में घातक चोटो की बात है। जिस एमबीएस अस्पताल की रिपोर्ट है उसके बारे में एक-दो नहीं कई बार समाचार पत्रों में खबरे छपी है कि पैसे के बल पर एमबीएस में बनती है फर्जी मेडिकल रिपोर्ट।
    डीएम ने गांधी का पक्ष सुने बगैर 25 मार्च को नोटिस दी। इसकी शिकायत गांधी ने 26 मार्च 2013 को रजिस्टर्ड पत्र के जरिए मुख्यमंत्री, डीजीपी,प्रमुख गृह सचिव, आईजी वाराणसी, राष्टपति, राज्यपाल समेत सभी जिम्मेदार अधिकारियों व एनएचआरसी, प्रेस कौंसिल आदि से की। पत्र में कहा गया कि वह पत्रकार है। पुलिस व प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने के लिए झूठी कार्रवाई कर रही है। लेकिन सुनवाई नहीं हुई और 9 अप्रैल को डीएम ने जिलाबदर की कार्यवाही की। मेहीलाल बिल्डिंग अयोध्यापुरी कालोनी व आसपास के मुहल्ले में डुगडुगी बजाकर गांधी को गुंडा व अपराघी कहा गया। इसकी भी शिकायत गांधी ने सभी जिम्मेदार अधिकारियों से रजिस्टर्ड पत्र के जरिए की। पत्र में कहा पुलिस झूठी कार्रवाई कर रही है, उनके उपर एक दो और फर्जी मुकदमें लगा सकती है। उनकी हत्या भी करा सकती है लेकिन सुनवाई नहीं हुई। जबकि राष्टपति व राज्यपाल आदि ने गृह सचिव समेत समेत संबंधित अधिकारियों को पत्र भेजकर जांच के निर्देश दिए थे। लेकिन स्थानीय पुलिस प्रशासन नहीं सुना। गांधी के जिलाबदर के दौरान उनकी नामौजूदगी में 16 साल से तिनका-तिनका जुटाई गयी गृहस्थी व विवाह में मिले सामानो व जेवर आदि सहित 25 लाख से भी अधिक की गृहस्थी भी पुलिस ने लूटवा दिया। कोतवाल संजयनाथ तिवारी सारी सीमाएं लांघकर श्री गांधी के खिलाफ बिना किसी अपराध के गुंडाएक्ट व जिलाबदर की कार्यवाही की। जबकि गांधी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के दौरान से ही उच्चाधिकारियों समेत उच्च न्यायालय से अपने आवेदनों के जरिए कह चुके है कि पुलिस अपनी खामियों को छिपाने के लिए ही कार्रवाई कर रही है जो अब पुलिस अपने बचत में खामियों को छिपाने के लिए लूटेरों की मदद कर रही है। कालोनी में रह रहे लोगों को बयान न देने के लिए धमकी दी जा रही है। इतना ही नहीं जमानत व स्थगन आदेश के बाद पुलिस ने 13 जून को श्री गांधी को पकड़कर सरेराह मारा-पीटा व डीजीपी के कहने पर छोड़ दिया उसमें भी पुलिस मुठभेड की फर्जी रपट दर्ज की है। हालांकि उच्च न्यायालय ने पुलिस की इस झूठे कार्रवाई पर प्रोसिडिंग स्टे दे दिया है। और अब कोतवाल संजयनाथ तिवारी की सह पर मकान मालिक द्वारा पूरी गृहस्थी लूटे जाने के मामले में जिला न्यायालय के आदेश पर 156 3 के तहत कोतवाली पुलिस ने तो दर्ज कर लिया, लेकिन सामानों की बरामदगी नहीं कर रही है।

  7. suresh gandhi

    August 5, 2014 at 6:24 am

    agar aap saksham adhikari hai to jaha kahe aap mai sare sakshyo ke sath aapke pass chala aata hoo..aap hi faisala kr dijie jo saboot v gavah chahie hm denge..

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