इस सिस्टम में बैठे लोग अगर झूठमूठ भी आपको परेशान करना चाहें तो बिना वजह वर्षों तक जेल में रख सकते हैं. भले ही बाद में आप पर लादे गए सारे केस फर्जी निकलें. उपेंद्र राय के मामले में यही होता दिख रहा है. सहारा मीडिया के सीईओ और एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय को बरस भर पहले तिहाड़ में बंद कर दिया गया था. अकूत कमाई करने वाली अफसरों-नेताओं की एक लॉबी उनसे नाराज थी. नाराजगी की वजह इस लॉबी के घपलों-घोटालों के कागजात उपेंद्र राय के पास होना था जिसके आधार पर वो सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किए हुए थे. कई मंत्रालयों में अफसरों की शिकायत किए हुए थे.
इस पैसे वाली पावरफुल लॉबी ने एक रोज अचानक मंत्रणा कर एक्शन मोड में आने का फैसला ले लिया. उपेंद्र राय को सीबीआई के जरिए उठवा लिया गया. आरोप लगाया गया कि इन्होंने एयरपोर्ट एंट्री पास अवैध तरीके से रखा हुआ था. खैर, उपेंद्र राय तिहाड़ गए. एक के बाद एक कई मामले लादे गए ताकि बाहर न आ सकें. बाद में वो बाहर आए और कोर्ट के जरिए एक-एक कर ये सामने आना लगा कि उन पर लगे नब्बे फीसदी से ज्यादा केस फर्जी हैं. जो दस फीसदी केस शेष हैं वे अब भी कोर्ट में जेरे बहस है.
ताजा मामला एयरपोर्ट / एयरोड्रोम एंट्री पास (AEP) से जुड़ा है. ये पूरा मामला ही उन पर झूठा व गलत फ्रेम किया गया था. मकसद बस गिरफ्तार कर प्रताड़ित परेशान करना था ताकि वह अफसरों-नेताओं की भ्रष्ट लॉबी से पंगा न लें. उपेंद्र राय ने एक आरटीआई दायर कर एयरपोर्ट एंट्री पास को लेकर जानकारी मांगी. पैरा नंबर सात पढ़िए. साफ-साफ जवाब दिया गया है कि उपेंद्र राय का एयरपोर्ट एंट्री पास पूरे नियम-कानून के तहत बना था और इसमें कहीं से कोई भी दोषी नहीं है.
खैर, उपेंद्र राय छूट चुके हैं. सहारा मीडिया के सीईओ और एडिटर इन चीफ बनकर फिर से मुख्यधारा में चमक रहे हैं. पर उनका केस उन सभी के लिए केस स्टडी है जो सत्ता के खाऊ-कमाऊ लोगों की कुंडली सुप्रीम कोर्ट से लेकर विभिन्न मंत्रालयों, प्राधिकरणों, जांच संगठनों में भेजते हुए न्याय की उम्मीद करते हैं. नतीजे में न्याय तो नहीं मिलता लेकिन अन्याय की नई लाठी भरपूर तरीके से उस पर पड़ जाती है जो न्याय की कामना में लोकतंत्र के हर उस दरवाजे को खटखटाता फिरता है जहां उसे न्याय मिलने की संभावना दिखती है या जहां न्याय देने का दावा किया जाता है.
ऐसा नहीं कि उपेंद्र राय केस सिर्फ हताश व निराश करता है. ये बताता है कि सच को तत्काल भले पराजित कर दिया जाए, उसे सीखचों में बंद कर दिया जाए लेकिन उसकी लपक देर-सबेर हर ओर फैलेगी ही. उपेंद्र राय तिहाड़ से बाहर आए तो अपने पर लगे फर्जी केसों में एक के बाद एक बरी होते गए. एयरपोर्ट एंट्री पास वाला मामला भी टांय टांय फिस्स निकला.
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One comment on “एयरपोर्ट एंट्री पास प्रकरण : …तो क्या मुंह बंद रखने के लिए उपेंद्र राय पर फर्जी केस फ्रेम किए गए थे?”
आज सुबह ही सहारा समय चैनल के दंगल व्हाट्सप्प ग्रुप में मनोज मनु के द्वारा ग्वालियर के एक अखबार में प्रकाशित एक कतरन को डाला गया है जिसमे कुछ निवेशकों ने ग्वालियर में सहारा पर अपने पैसे के वास्ते केस किया है.
मनोज मनु ने ९ बजे सुबह यह कतरन डालने के बाद तुरंत ही उसे डिलीट भी कर दिया है. इस कांड के पीछे भी मनोज मनु का ही हाथ है क्योंकि ग्वालियर के अख़बार का यह कतरन है. मनु भी वही का रहने वाला है और उसी के इसारे पर यह केस भी कराया गया है.