Connect with us

Hi, what are you looking for?

आवाजाही

संकट के दौर में सहारा को फिर याद आए उपेंद्र राय, सहारा मीडिया की सौंपी कमान

उपेंद्र राय को सहारा समूह ने संकट में फिर याद किया है. उन्हें अबकी पूरे पावर के साथ सहारा मीडिया की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उपेंद्र राय को सहारा मीडिया और सहारा नेटवर्क का एडिटर इन चीफ के साथ-साथ सीईओ भी बनाया गया है. अब तक सहारा मीडिया के हेड रहे राजेश सिंह के बारे में चर्चा है कि उन्हें बाहर निकाल दिया गया है. वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि राजेश सिंह अपने पुराने काम की ओर लौट गए हैं यानि जयब्रत राय के पीए हुआ करते थे और फिर से वही पीए वाला काम करने लगे हैं.

<p>उपेंद्र राय को सहारा समूह ने संकट में फिर याद किया है. उन्हें अबकी पूरे पावर के साथ सहारा मीडिया की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उपेंद्र राय को सहारा मीडिया और सहारा नेटवर्क का एडिटर इन चीफ के साथ-साथ सीईओ भी बनाया गया है. अब तक सहारा मीडिया के हेड रहे राजेश सिंह के बारे में चर्चा है कि उन्हें बाहर निकाल दिया गया है. वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि राजेश सिंह अपने पुराने काम की ओर लौट गए हैं यानि जयब्रत राय के पीए हुआ करते थे और फिर से वही पीए वाला काम करने लगे हैं.</p>

उपेंद्र राय को सहारा समूह ने संकट में फिर याद किया है. उन्हें अबकी पूरे पावर के साथ सहारा मीडिया की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उपेंद्र राय को सहारा मीडिया और सहारा नेटवर्क का एडिटर इन चीफ के साथ-साथ सीईओ भी बनाया गया है. अब तक सहारा मीडिया के हेड रहे राजेश सिंह के बारे में चर्चा है कि उन्हें बाहर निकाल दिया गया है. वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि राजेश सिंह अपने पुराने काम की ओर लौट गए हैं यानि जयब्रत राय के पीए हुआ करते थे और फिर से वही पीए वाला काम करने लगे हैं.

उपेंद्र राय ने सहारा ग्रुप के साथ तीन पारियां खेली हैं. पहले उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक बेहद सामान्य साधारण सहाराकर्मी के रूप में की. लेकिन अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए. उसके बाद उपेंद्र राय सहारा छोड़ कर स्टार न्यूज के हिस्से बन गए. स्टार न्यूज से सहारा मीडिया के हेड के रूप में उपेंद्र राय ने वापसी की. उसके बाद कई उतार चढ़ावों को झेलते हुए वे सहारा की मुख्य धारा से मझधार की धारा और फिर किनारे की धारा की ओर कर दिए गए. ऐसा सब कुछ प्रबंधन के बदले हुए रुख के चलते हुआ. बेहद अकेलेपन के बीच उपेंद्र राय ने सहारा को अलविदा कह दिया और कुछ वक्त जी न्यूज के साथ गुजारा. चर्चा है कि उपेंद्र राय कोई अपनी मैग्जीन भी प्रकाशित करने लगे थे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब जबकि सहारा में सब कुछ दांव पर लगा हुआ है, सेलरी संकट से जूझ रहे कर्मी आंदोलनरत हैं, सहाराश्री जेल से निकल नहीं पा रहे हैं, सारे वेंचर चौपट होने की ओर हैं, सहारा समूह ने इस परम मुश्किल में उपेंद्र राय को याद किया है. उपेंद्र को सारी ताकत सौंप दी गई है. उन्हें सहारा मीडिया व नेटवर्क का सीईओ व एडिटर इन चीफ बनाया गया है. देखना है कि मुश्किल दौर से गुजर रहे सहारा समूह और सहारा मीडिया की नैया की उपेंद्र राय कैसे पार लगा पाते हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. द्रोणाचार्य

    November 6, 2015 at 12:31 am

    सर आपसे उम्मीद है की जो लोग सहारा को छोड़ चुके हैं उनका बकाया भुकतान जल्द से जल्द करें और जो काम कर रहे हैं उनको तनख्वाह दे दें , और कुछ नहीं तो उन लोगोँ को दीपावली तो मनाने दें सर. पिछले 1.5 सालों में आपके वर्कर ने किनती भयावह स्थिति का सामना किया है आप को अंदाजा भी नहीं होगा। अगर माननीय सहारा श्री या मैनजमेंट में बैठे उच्च कोटि के लोगों के बच्चे का नाम स्कूल से काटा जाता तो ये हमारी परिस्थिति समझते। आपसे आपके वर्कर को कुछ उम्मीदे हैं सर कृपया उनका ख्याल रखे.
    नमस्कार

  2. द्रोणाचार्य

    November 6, 2015 at 1:20 am

    भड़ास सर आपके पोर्टल पर कमेंट्स आज लिखो और वो दो दिन बाद दिखाई देता है इस समस्या का समाधान कीजिये

  3. Insaf

    November 6, 2015 at 2:13 am

    सहारा को जिलाने का एक ही मूलमंत्र है, करमचारियों का पैसा.

  4. insaaf

    November 7, 2015 at 5:52 am

    अब सहारा उर्दू समूह संपादक सैयद फ़ैसल अली का क्या होगा। जो श्री उपेंद्र राय जी को राजेश के साथ मिलकर बाहर करवाने में सबसे आगे थे.- राय जी के जाने के बाद उनकी हरस्थान बुराई करना उनका काम हो गया था। सहारा प्रेस में जो आयकर विभाग ने छापा माराथा, इसके बारे में सैयद फैसल अली और राजेश कहते रहे हैं कि यह सब उपिंदर राय ने कराया है। लेकिन जैसे ही राय जी की वापसी हुई है। सैयद फैसल अली उनके पीछे पीछे दिखाई दे रहे हैं।
    क्या उपिंदर राय जी उर्दू सहारा के लिए किसी उर्दू जानने वाले पत्रकार को जिम्मेदारी देंगे?
    यदि ऐसा करें तो बहुत अच्छा होगा। क्योंकि उर्दू अखबार संपादक उसी को ही बनाया जाना चाहिए जो उर्दू लिखना पढ़ना जानताहो।
    सैयद फैसल अली उर्दू तो लिख ही नहीं पाते। वह दिल्ली में राम पूरी जी से लखोाकर संडे को सहारा उर्दू पत्र में अपने नाम से छाप देते हैं।

  5. ek sahariyan.

    November 9, 2015 at 9:19 pm

    अब लगता है उपेन्द्र जी अगुवाई में सहारा का पुराना गौरव वापस आ जायेगा. उपेन्द्र जी से आग्रह है जो योग्य व्यक्ति है , जो वंचित रह गया है उसे आप तवज्जो दें. इतने दिनों में आपको समझ में आ गया होगा कि कंपनी और आपका कौन हितैषी है. आपने जिसे भरपूर दिया क्या वैसे लोगों ने आपका साथ दिया. साथ देने कि बात दूर क्या वैसे लोगों ने आपको याद किया. आपने कुछ लोगों को नहीं जानते हुए भी मदद की है. वैसे लोगों ने आपके लिए क्या किया . बुरे दिनों में आपका साथ दिया. सर, जो योग्य है, जो वंचित है उनपर भी विश्वास कर देखिये. आप उन सभी कर्मियों के बारे में जानते है जो कंपनी के लिए हमेशा आगे रह सकते है. जो हर मामले में योग्य हैं.

  6. ek sahariyan.

    November 9, 2015 at 9:20 pm

    फैज़ल साहेब एक योग्य कर्मी है. दुष्प्रचारित मत करो.

  7. insaaf ali

    November 10, 2015 at 6:38 am

    एक सहारीन जी!
      करपिया करके हम सबको बताया जाए कि क्या सहारा उर्दू पेपर के समूह प्रमुख सैयद फेजल अली जी उर्दू जानते हैं?
      यदि हां … तो ठीक है।
      और अगर नहीं जानते … तो फिर यूगया कैसे हो गए?

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement