कन्हैया शुक्ला-
हिन्दुस्तान में अपने ज्ञान को लेकर इतराने वाले लोगों की कमी नहीं है। सच पूछा जाए तो आज की तारीख में उन लोगों की संख्या बेहद कम है जो ज्ञानी होते हुए भी अहंकारी नहीं होते। ज्ञान का भी आतंक होता है। यह एक सच्चाई है। हम सब अपने रोजमर्रा के जीवन में देखते आए हैं कि बेहतर समझदारी रखने वालों को भी कुछ ज्ञानी पुरुष और कुछ नहीं तो अंग्रेजी के अपने ज्ञान के चलते ही कमतर साबित करने की कोशिश करते रहे हैं।
कुल मिलाकर असली मुद्दा ये कि जीवन में अंग्रेजी नहीं जाना तो ये जीवन तो अकारथ गया। लेकिन इसी अंग्रेजी के अस्त्र से लोगों को लहूलुहान करने वाले लोग फिरंगियों के औसत ज्ञान के सामने दांत चियारते भी देखे सुने जाते रहे हैं। ये है एक भाषा की ब्रांडिंग का आतंक।
लेकिन उसी मुल्क में जहां से अंग्रेजी ने पूरी दुनिया में पांव पसारा और एक समय में राज किया, हिन्दुस्तान के एक पत्रकार ने न सिर्फ पूरे अभिमान के साथ हिन्दी में अपनी बात रखी बल्कि वहां मौजूद फिरंगियों और भारतीयों को हिन्दी की ताकत का एहसास दिला दिया।
अवसर था ब्रिटिश संसद के ऊपरी सदन यानी हाउस ऑफ लॉर्ड्स में वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र राय के सम्मान समारोह का। लंदन में ब्रिटिश पार्लियामेंट के हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के चामुन्ली कक्ष में सहारा न्यूज नेटवर्क के सीईओ एवं एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय को पत्रकारिता के क्षेत्र में सत्य के लिए समर्पण और साहस के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य लॉर्ड जॉन बेकेट टेलर (लॉर्ड टेलर ऑफ वारविक) ने उपेन्द्र राय को प्रशस्ति पत्र देते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों की जमकर सराहना की।
लेकिन महत्वपूर्ण ये नहीं है कि लंदन में ग्रेट ब्रिटेन की संसद की छत के नीचे उपेन्द्र राय का सम्मान किया गया। महत्वपूर्ण ये है कि लंदन के लोगों को उपेन्द्र राय ने इस बात का एहसास दिलाया कि, “छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे अब हम नई कहानी।”
लॉर्ड्स के सभागार में उपेन्द्र राय ने दुनिया के मंच पर आज की तारीख में एक मजबूत उपस्थिति रखने वाले मुल्क भारत की अपनी राष्ट्रभाषा में अपनी बात रखी और वहां मौजूद भारतीय मूल के लोगों से पूरी संजीदगी से अपील की कि जबतक आपसी संवाद में कोई अड़चन न आए हमें हिन्दी का ही प्रयोग करना चाहिए। हाउस ऑफ लॉर्ड्स में उपेन्द्र राय की इस बात तालियों की गड़गड़ाहट इस बात की गवाह थीं बात निकली है और दूर तक गई है।
अपने संबोधन में उपेन्द्र राय ने बताया कि किस तरह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हर स्तर पर राष्ट्रभाषा हिंदी के इस्तेमाल को लेकर गंभीर हैं। श्री उपेंद्र राय ने एक वाकये का जिक्र करते हुए गृह मंत्री अमित शाह के हिंदी प्रेम का उल्लेख किया। उन्होंने गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि गृह मंत्री बनने के बाद जब अमित शाह को उनके मंत्रालय के एक सीनियर अफसर ने अंग्रेजी में पत्र लिखा तो उन्होंने इसे फाड़ दिया और अपने संदेश में कहा कि अगर ये पत्र हिंदी में होता तो मुझे ज्यादा खुशी होती।
लंदन में उपेन्द्र राय का सम्मान पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों के लिए किया गया। अपनी खास स्टाइल के लिए एक अलग पहचान रखने वाले उपेन्द्र राय ने इस सम्मान के सामने विनम्रता से नतमस्तक होने की बजाय इस अवसर और अंतर्राष्ट्रीय मंच का इस्तेमाल वहां मौजूद भारतीयों में सशक्त भारत राष्ट्र और उसकी राष्ट्रभाषा की ताकत का एहसास भरने के लिए किया। उपेन्द्र राय के ये तेवर बताते हैं कि पत्रकारिता में लंबे डग भरते हुए वो एक बड़े लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।
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