मथुरा। ब्रज प्रेस क्लब के अध्यक्ष, उपजा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष कमलकांत उपमन्यु एडवोकेट पर आरोप लगाने वाली एमबीए की छात्रा न्यायालय में हुए अपने बयानों एवं लगाए शपथ पत्रों में अपनी पूर्व की कहानी से पल्ला झाड़ते हुए उपमन्यु को निर्दोष करार दिया है। कोर्ट में उसने शपथ पत्र दाखिल कर कहा है कि उसके साथ बलात्कार एवं छेडख़ानी जैसी कोई वारदात नहीं हुई थी। अपने भाई को एक मामले में जेल जाने से बचाने के लिए तथा कुछ लोगों की सलाह पर उसने कमलकांत उपमन्यु पर आरोप लगाया था जो गलत था। वादिया का 5/01/2016 को न्यायालय में शपथ बयान हुआ है। इसमें उसने अंतिम आख्या पर अपनी सहमति जताते हुए कहा है कि वह इस संबंध में न्यायालय में पूर्व में बिना किसी प्रलोभन एवं बिना किसी दबाव के अपने शपथ पत्र भी दे चुकी है।
बलात्कार के आरोप को झेल रहे कमलकांत उपमन्यु एक बार फिर पाक साफ साबित हुए हैं। आरोप लगाने वाली लड़की ने कोर्ट में अपने बयानों में खुद स्वीकार किया कि विरोधियों के कहने पर श्री उपमन्यु को फंसाने के लिए रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। कोर्ट में वादी द्वारा मामले को आगे न बढ़ाने का हलफनामा दे खुद कहा कि उसके साथ कुछ नहीं हुआ था। जो आरोप लगाए गए वह गलत थे और लोगों के कहने पर लगाए थे। उसने यहां तक कहा कि हाइवे थाने में जो रिपोर्ट दर्ज हुई उस तहरीर पर बिना पढ़े हस्ताक्षर किए थे। यहां तक कि न्यायालय में उसने दबाव में अपने बयान दिए थे। कुछ लोगों ने उनसे कहा था कि यदि उपमन्यु के खिलाफ बयान नहीं दिए तो उसे जेल जाना पड़ेगा, लेकिन अब वह सारी घटना का सच फिरोजाबाद के आईओ को दिए शपथ पत्र एवं न्यायालय एसीजेएम (चतुर्थ) के सम्मुख दिए गए शपथ पत्रों एवं अपने बयान में भी बता चुकी है। वह इस मुकद्मे को आगे लडऩा नहीं चाहती है। पीडि़ता के अनुसार इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जो पीआईएल की गई है उसमें उसकी सहमति नहीं है तथा उसमें दर्शाए गए साक्ष्य निराधार एवं मनगढ़ंत हैं।
दो जून 2015 को न्यायालय में दिए शपथ पत्र में पीडि़ता ने कहा कि उसके पडौस में रहने वाले मुकेश शर्मा पुत्र लक्ष्मीनारायण निवासी नटवर नगर मथुरा से वाद-विवाद हो गया था। उसके पिता ने इस मामले को निपटाने के लिए कमलकांत उपमन्यु से कहा तो कमलकातं उपमन्यु ने मुकेश शर्मा का सहयोग किया। इसके साथ ही उसके भाई अतुल के विरूद्ध एक तहरीर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दो दिसम्बर 2014 को दे आये थे। इस पर एसएसपी ने जांच कर गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराने के आदेश भी कर दिये। एक अन्य शिवकुमार शर्मा के प्रार्थना पत्र जो हमारे परिवार के ही विरूद्ध था, को दे आये उस पर भी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदया ने संज्ञान ले लिया था।
उसके घरवालों को इस बारे में जानकारी मिली कि मेरे भाई अतुल के विरूद्ध मुकद्दमा कायम कराने का प्रयास चल रहा है और इस प्रयास में कमलकांत उपमन्यु की भूमिका है। कमलकांत उपमन्यु ने हमारे विरूद्ध रिपोर्ट करवाने व जेल भिजवाने को कहा, तो इस मामले पर मैने तथा मेरे परिवारीजनों ने समाज के लोगों से राय ली। इसी आधार पर समाज के लोगों द्वारा टाइप कागज को बिना पढ़ाये व सुनाये एक प्रार्थना पत्र एसएसपी कार्यालय में दिलाया। इसके आधार पर रिपोर्ट संख्या कमलकांत उपमन्यु के खिलाफ बलात्कार का मामला थाना हाईवे में दर्ज हुआ।
रिपोर्ट दर्ज होने के बाद कुछ लोगों ने उसे तहरीर को पढ़ाया और कहा कि यदि तहरीर के मुताबिक बयान नहीं दिए तो तुमको जेल जाना पड़ेगा। इसी दबाव में उसने कागज में लिखे अनुसार अपने बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए। न्यायालय में दर्ज कराये गए बयान दबाव में दिये थे मेरे साथ ना ही बलात्कार हुआ, न ही मुख मैथुन, ना ही अप्राकृतिक मैथुन व ना ही कोई छेडखानी हुई थी और आज यही बात लिखकर बिना किसी दबाव के पढ़ व सुनकर शपथ पत्र दे रही हूं। यह सत्य है।
उसने कहा कि अपने परिवार व अपने इकलौते भाई को कुछ न हो और वह मुकद्दमे में जेल न जाये इस मानसिक दबाव में वह समाज के लोगों के दबाव में न्यायालय में बयान दिया था और शपथकर्ती को कानून के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसने बयान हलफी में अपनी स्वेच्छा से बिना किसी भय, दबाव अथवा प्रलोभन के इस कारण दे रही हूं कि सच्चाई श्रीमान जी के समक्ष आये और अन्याय होकर कोई गलत व्यक्ति न फंसे। मुझ शपथकर्ती द्वारा इसी संबंध में अपना बयान व शपथपत्र उपरोक्त मुकद्दमे के विवेचनाधिकारी को पूर्व में दिया जा चुका है। उसकी निजी जानकारी के अनुसार उपरोक्त मुकद्दमे में विवेचनाधिकारी द्वारा विवेचना के उपरांत मुकद्दमे में अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत कर दी गयी है। इस अंतिम रिपोर्ट में वह पूर्ण रूप से सहमत है। वह इस मुकद्दमे को आगे लडऩा नहीं चाहती है।
इसके बाद वादिया/पीडि़ता ने 19 अगस्त 2015 को एसीजेएम चतुर्थ के यहां पुन: शपथ पत्र/प्रार्थना पत्र देकर कहा-
”मैं अपनी स्वेच्छा से हलफिया बयान, बिना किसी भय, दबाव अथवा प्रलोभन के इस कारण दे रही हूं ताकि सच्चाई श्रीमान जी के समक्ष आय आये और अन्याय होकर कोई गलत व्यक्ति न फंसे। मुझ शपथकर्ती द्वारा इसी संबंध में अपना पूरा सच का बयान व शपथपत्र उपरोक्त न्यायालय में एवं विवेचनाधिकारी को पूर्व में दिया जा चुका है। मुझ शपथकर्ती द्वारा दिनांक ०२.०६.२०१५ को एक प्रार्थना पत्र मय शपथपत्र न्यायालय में स्वयं उपस्थित होकर प्रस्तुत कर दिया गया था जिसके बावजूद मेरे अधिवक्ता द्वारा मुझे सूचित किया गया है कि कुछ लोग मुझे तंग व परेशान करने की नीयत से प्रार्थनापत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर रहे हैं जिससे उपरोक्त मुकद्दमें के निस्तारण में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है उन प्रार्थनापत्रों में मुझ शपथकर्ती की कोई सहमति नहीं है तथा वह २१.०७.२०१५ को भी न्यायालय में स्वयं उपस्थित होकर एक प्रार्थना पत्र देकर मुकद्दमें के निस्तारण की प्रार्थना कर चुकी है। मुझ शपथकर्ती को मेरे अधिवक्ता द्वारा मुझे यह भी जानकारी दी गयी है कि उपरोक्त मुकद्दमे के संबंध में किसी व्यक्ति द्वारा एक पी.आई.एल. नम्बर ३८८३/२०१५ माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गयी है जिसमें मुझ शपथकर्ती की किसी प्रकार की कोई सहमति नहीं है तथा पी.आई.एल. से पूर्व पी.आई.एल.कर्ता को मेरे पिता स्वयं पत्र देकर यह सत्य बता चुके थे कि पहले दिया गया प्रार्थना पत्र गलत फहमी मे दिया गया है। फिर पीआईएल के बाद दिये गये लेटर को छिपाते हुए पूर्व में दिये पत्र को दर्शाया गया है। पीआईएल का अवलोकन करने के उपरांत यह भी जानकारी में आया है कि उसे प्रस्तुत करने में जो भी आधार लिये गये हैं वह नितांत असत्य व गलत हैं। इस प्रकरण सत्यता यह है न तो हमारा कोई समझौता हुआ है औ रन ही होर्सट्रेडिंग जैसी कोई बात। कुछ लोग इस प्रकरण को उलझाये रखने के लिए इस तरह की बेबुनियाद और असत्य बातें कर रहे हैं। उनमें कोई न कोई दम न सच्चाई है। शपथकर्ती स्वयं ने प्रार्थना पत्र डीजीपी महोदय लखनऊ कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर प्रस्तुत किया था जिसके आधार पर विवेचना को फिरोजाबाद ट्रांसफर किया गया था। अब इसमें अंतिम रिपोर्ट लग चुकी है और वह उससे पूर्ण रूप से सहमत है। वादिया को विवेचनाधिकारी द्वारा उपरोक्त मुकद्दमें में दी गई अंतिम रिपोर्ट पर कोई भी आपत्ति नहीं है तथा वह पूर्ण रूप से सहमत है। वह इस मुकद्दमे को आगे लडऩा नहीं चाहती है। कानून की जानकारी न होने एवं भाई को बचाने प्रार्थिया सामाजिक, गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है। अत: इस मामले को लेकर प्रार्थिया के विवाह में भी अड़चनें आ रही हैं।”
ज्ञात हो कि इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई है, जिस पर पीडि़ता ने एसीजेएम चतुर्थ न्यायालय में कहा कि उसकी पीआईएल में कोई सहमति नहीं है और उसमें जो तथ्य दर्शाये गये हैं वह निराधार और मनगढंत हैं। इस मामले में मथुरा न्यायालय में विजयपाल तोमर द्वारा प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल किया गया, जिस पर अदालत द्वारा यह लिखा गया कि उनको प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल करने का अधिकार नहीं है। इधर न्यायालय में पीडि़ता ने कई बार उपस्थित होकर अपने प्रार्थना पत्र एवं शपथ पत्र दिये तथा न्यायालय में उपस्थित होकर सशपथ बयान दिया कि उक्त मुकद्दमें पुलिस द्वारा दाखिल एफआर पर मैं इसका विरोध नहीं करना चाहती और इसको स्वीकार कराने के लिए मैंने स्वेच्छा से एवं बिना किसी दबाव के ही शपथ पत्र दिये हैं। और वह अंतिम आख्या स्वीकार कराना चाहती हूं। अब इस मामले में न्यायालय ने १६ फरवरी २०१६ नियत करते हुए आदेशित किया कि पीआईएल में दोनों पक्ष उपस्थित होकर उसका निस्तारण करायें।
मथुरा से Vivek Priya Arya की रिपोर्ट. संपर्क : Mobile : +91-9719910557
mantu singh
February 18, 2016 at 1:48 pm
क्या महिला को सजा भी हो सकता है। और कुछ भी हो सकता है।
mantu singh
February 18, 2016 at 1:52 pm
महिला को सजा मिलेगी क्या? और भी कोई सजा?