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सियासत

अमेरिका में सौ से ज्यादा बैंक कंगाल हो चुके हैं, अनियंत्रित तरीके से छापा जा रहा है डॉलर!

Ashwini Kumar Srivastava-

दुनिया के बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज में से एक कॉइन बेस के CTO बालाजी श्रीनिवासन ने इस वक्त अमेरिका समेत पूरी दुनिया के क्रिप्टो जगत में एक बयान से सनसनी फैला दी है। उनका कहना है कि अमेरिका के 100 से ज्यादा बैंक कंगाल हो चुके हैं और अमेरिकी सरकार उसमें जमा लोगों के पैसे लौटाने के लिए अनियंत्रित तरीके से डॉलर छाप रही है।

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बकौल श्रीनिवासन, सरकार के इस बड़े पैमाने पर डॉलर छापने के चलते डॉलर की कीमत बुरी तरह धराशाई होने वाली है। श्रीनिवासन का यह भी दावा है कि भले ही सरकार इन बैंकों की कंगाली छिपाए लेकिन अमेरिकी जनता आगामी सोमवार से अमेरिकी बैंकों से लगातार पैसे निकालने लगेगी। श्रीनिवासन लोगों को यह चेतावनी भी दे रहे हैं कि डूब रहे बैंकों से पैसे निकालने के बाद अगर कुछ और बड़े बैंकों में पैसा वापस जमा किया जाएगा तो वह भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि अमेरिका का बैंकिंग जगत अब तबाह हो चुका है। खुद अमेरिका की सरकार अब इसे नहीं बचा पाएगी।

श्रीनिवासन के दावे में क्या दम है , इसको लेकर अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के आर्थिक जगत में तगड़ी बहस छिड़ गई है। ज्यादातर आर्थिक विशेषज्ञों का यह तो मानना है कि कुछ अमेरिकी बैंक तबाही की कगार पर हैं लेकिन पूरा बैंकिंग जगत तबाह होने वाला है, इस दावे पर कोई यकीन नहीं कर रहा है।

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डॉलर ज्यादा छापने की अमेरिकी सरकार कवायद का दावा तो अमेरिका में बड़ी तादाद में लोग कर चुके हैं लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है, यह आंकड़े भी अभी तक सार्वजनिक नहीं हुए हैं।

बहरहाल, अमेरिका के डॉलर की बदहाली की खबर अब इस कदर फैलती जा रही है कि संयुक्त अरब अमीरात जैसे कई देशों द्वारा डॉलर का विकल्प खोजे जाने की खबरें भी आने लगी हैं। ऐसे में अगले कुछ महीने या साल अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की आर्थिक सेहत के लिए बड़े नाजुक गुजरने वाले हैं।

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Vishal Sharma
डॉलर बर्बाद होगा तभी तो क्रिप्टो का धंधा चमकेगा। हक़ीक़त यह है कि जब तक अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में डॉलर का वर्चस्व रहेगा, क्रिप्टो का चमकना मुश्किल है। अब अगर इतनी बड़ी अफ़वाह फैलाई जाएगी तो कहीं ना कहीं तो गणेशजी दूध पीने ही लगेंगे। दरअसल अमरीका में वित्तीय संकट की आहट तो कोविड के समय से आ रही थी लेकिन कुछ अमरीकी बैंकों का दिवाला निकालने से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ख़ासा असर पड़ना तय है।

Ashwini Kumar Srivastava
आपके दिए तर्कों पर ट्विटर पर पहले से ही जमकर बहस चल रही है। लेकिन इसमें एक पक्ष यह भी है कि कोविड के टाइम जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमराई थी तो केवल सोने में मामूली उछाल आया था और crypto समेत ज्यादातर निवेश के ठिकानों में गिरावट ही देखने को मिली थी। लोगों का तर्क यह है कि डॉलर गिरे या कोरॉना जैसी महामारी आए, अर्थव्यवस्था बरबाद होने पर लोग केवल जरूरत की चीजों जैसे रोटी और दवा पर ही खर्च करते हैं। निवेश के लिए कोई अपनी नकदी इसलिए नहीं फंसाना चाहता क्योंकि जरुरत के समय उसे वह मुनाफे के साथ नहीं मिल पाती है बल्कि कुछ घाटा ही हो जाता है। इस बार बैंकों के धराशाई होने या डॉलर के ज्यादा छापने की खबर को अफवाह नहीं माना जा रहा है क्योंकि खुद अमेरिकी सरकार ऐसी खबरों पर मौन साधे है।

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