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अमेरिका में जेलों के अंदर का हाल भयावह है, देखें कुछ तथ्य

Prakash K Ray : निजी जेलों व डिटेंशन सेंटर की कल की पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए कुछ और सूचनाएँ. चूँकि भारत में भी यह सब होने लगा है, सो ऐसे तथ्यों को देखने से अपने देश के भविष्य का एक पहलू देखा जा सकता है.

1- अमेरिका के निजी व सरकारी जेलों में क़रीब 23 लाख क़ैदी हैं. आंकड़ा दो-तीन साल पुराना है. इनमें से लगभग आधे काम करते हैं. आठ राज्यों में सरकारी जेलों के कुछ क़ैदियों को काम के बदले पैसा नहीं मिलता. ऐसे जेलों में क़ैदियों को मिलनेवाले पैसे का राष्ट्रीय औसत 14 सेंट प्रति घंटा है. उतने ही श्रम के अच्छे मेहनताना का राष्ट्रीय औसत 63 सेंट है. मिनेसोटा व न्यू जर्सी जेल के रखरखाव में काम करने के लिए क़ैदियों को दो डॉलर प्रति घंटा तक देते हैं.

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2- भले ही क़ैदियों को श्रम क़ानूनों की सुरक्षा नहीं है, लेकिन अमेरिकी जेल फ़ैक्टरी की तरह काम करते हैं. वहाँ क़ैदियों के अधिकारों के लिए संघर्षरत संगठन इस व्यवस्था को ग़ुलामी मानते हैं. जेलों में अधिक बोलने या आदेश न मानने पर भयानक रूप से दंडित किया जाता है. यह सब क़ानूनी ढंग से होता है. एक उदाहरण देते हुए किसी ने लिखा है कि कोलोराडो यूनिवर्सिटी के लिए 2.45 डॉलर रोज़ाना में फ़र्नीचर बनाना ग़ुलामी नहीं तो, और क्या है?

3- अमेरिका में आम श्रमिकों का मेहनताना कम होने का एक कारण यह भी है कि 10 लाख से ज़्यादा क़ैदी बहुत मामूली पैसे के काम करते हैं. ये क़ैदी वालमार्ट, विक्टोरिया सेक्रेट, एटी एंड टी जैसी कंपनियों के लिए भी कौड़ी के दाम में काम करते हैं, जबकि अमेरिका में न्यूनतम मज़दूरी एक डॉलर घंटा है.

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4- साल 2000 से 2007 के बीच क़ैदियों से ग़ुलामी कराने की वजह से अमेरिका में मैनुफ़ैक्चरिंग में रोज़गार में पाँच फ़ीसदी की कमी आयी थी.

5- सिर्फ़ दो राज्यों- मैन व वरमॉंट में क़ैदी मतदान कर सकते हैं. ज़्यादातर राज्यों में सज़ा काटने के बाद भी कुछ समय या लंबे समय के लिए मतदान पर रोक है. अनेक ऐसे राज्य हैं, जहाँ अश्वेत अच्छी संख्या में हैं, वहाँ ऐसे नियम हैं. ऐसा मतदान को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. मतदाताओं को दबाने के मामले में अमेरिका का रिकॉर्ड भयानक है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे अन्तर्राष्ट्रीय क़ानूनों का घोर उल्लंघन बताया है.

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वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश के रे की एफबी वॉल से.


इसके पहले वाला पार्ट पढ़ें-

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अमेरिका में निजी जेलों का बहुत बड़ा धंधा है, भारत में पिछले दरवाज़े से निजीकरण जेलों में घुस रहा है!

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0 Comments

  1. Uday

    February 4, 2020 at 6:55 pm

    अमेरिका में न्यूनतम मज़दूरी एक डॉलर घंटा है.
    I think its wrong figure.Google is giving this-7.25 USD per hour

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