श्री रोहित सरदाना जी,
जिस तरह से आपने रवीश की चिठ्ठी के जवाब में चिठ्ठी लिखी उससे ये प्रतीत होता है कि रवीश कुमार की चिठ्ठी ने आपके मनो मस्तिष्क में बहुत गहरे से प्रहार किया, आपकी चिठ्ठी पढ़कर ऐसा लगा कि रवीश कुमार की कलम ने आपको नंगा कर दिया और आप तिलमिला उठे। रवीश ने चिठ्ठी लिखी अकबर को और चोट लगी आपको, मामला संदिग्ध है, बहुत कुछ स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है क्योंकि अकबर को लिखी चिठ्ठी केवल अकबर के लिए नहीं बल्कि अकबर जैसों के लिए थी, यद्दपि अकबर जैसों में आप बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई, पुण्य प्रसून बाजपेई और आशुतोष को रखते हैं लेकिन आपका दर्द बयान करता है कि आपको ऐसा लगा कि जैसे रवीश कुमार ने ये चिठ्ठी आपको लिखी हो।। रवीश जी ने तो पहले विजय माल्या सहित बहुत लोगों को इसी अंदाज में चिट्ठियाँ लिखी है लेकिन तब आपको टीस नहीं हुई। इस चिठ्ठी को पढ़कर आपका दर्द बड़ा बेदर्द निकला।
“कुछ तो पर्दादारी है”
खैर, कुल मिलाकर रवीश कुमार का उद्देश्य पूरा हो गया। आपने रवीश को चिठ्ठी लिखकर अपने आपको रवीश के मुकाबले का पत्रकार साबित करने का प्रयास किया लेकिन आप जो थे उससे और अधिक बौने साबित हुए। आपकी चिठ्ठी में रवीश द्वारा उठाए गए सवालों का एक भी जवाब नहीं है बल्कि केवल तिलमिलाहट दिखी जैसे किसी व्यक्ति ने किसी की दुम पर पैर रख दिया हो। रवीश कुमार द्वारा उठाए गए सवालों के ऐवज में सवाल पूछना आपकी बचकाना पत्रकारिता को प्रदर्शित करता है।
रवीश कुमार किसे चिठ्ठी लिखें किसे नहीं ये उनका विवेक और उनका विशेषाधिकार है। आपने नरेन्द्र मोदी जी से क्यों नहीं पूछा कि उन्होनें शत्रुघ्न सिन्हा जी जैसे बड़े फिल्म कलाकार को तथा भाजपा के अन्य वरिष्ठ राजनीतिज्ञों को मंत्री क्यों नहीं बनाया जबकि श्रीमती स्मृति ईरानी जी जो नौटंकी की अच्छी कलाकार हैं, कम पढ़ी लिखी हैं, चुनाव हारने के बाद भी अत्यंत महत्वपूर्ण विभाग मानव संसाधन जो कि संपूर्ण भारत की शिक्षा व्यवस्था को तैय करता है का मंत्री क्यों बनाया ? आप श्री मोदी से यह भी पूछ सकते थे कि दुनिया के कथित सबसे बौद्धिक व्यक्ति श्री सुभाष चन्द्रा और स्वघोषित दुनिया के सबसे बड़े हिन्दु सम्राट श्री सुब्रमण्यम स्वामी जिनकी पत्नी रैक्सोना पारसी तथा इकलौती पत्रकार पुत्री श्रीमती सुहाषिनी हैदर जिसने एक मुस्लिम से विवाह किया है, को मंत्री क्यों नहीं बनाया ? आपने श्री मोहन भागवत जी से क्यों नहीं पूछा कि उन्होनें एक ऐसे व्यक्ति को जिसे कोर्ट ने तड़ीपार घोषित किया था को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों बनाया ? आपने श्री अमित शाह साहब से ये क्यों नहीं पूछा कि आपने उत्तर प्रदेश में अपराधिक पृष्टभूमि के नेता श्री मौर्य को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष क्यों बनाया। आप वर्तमान सरकार से ये भी पूछ सकते हैं कि “थूक कर चाटने” के मुहावरे का व्यवहार में प्रयोग कैसे होता है।।
खैर, ये आपका विवेक और विशेषाधिकार है कि आप किस से कैसे सवाल पूछें या ना पूछें, इस पर हमें प्रश्न नहीं उठाना चाहिए।
आपको विधि का एक सामान्य सिद्धांत का ज्ञान होना चाहिए कि अपराधिक और नैतिक दायित्व व्यक्तिगत होता है। बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई, आशुतोष, पुण्य प्रसून बाजपेई या अन्य के किसी कृत्य में आपको नैतिक अपराध दिखाई देते हैं तो उसके लिए रवीश कुमार कैसे जिम्मेदार हैं ? और कौनसा सिद्धांत प्रतिपादित है कि रवीश कुमार अगर एम जे अकबर को चिठ्ठी लिखें तो इन्हें भी लिखें। चलिए रवीश कुमार ने इन्हें नहीं लिखा तो आप लिख देते। आप कुछ सवाल अपने सहयोगी मित्र सुधीर “तिहाड़ी” से भी पूछ लेते। अगर बरखा दत्त जी के किसी कृत्य के लिए रवीश कुमार जिम्मेदार हैं सुधीर “तिहाड़ी” के कृत्य से आप कैसे मुक्त हो सकते हैं?
खैर, इस विषय को भी जाने दो।
रवीश कुमार ने एम जे अकबर को चिठ्ठी इसलिए लिखी की अकबर इतने मौकापरस्त हैं कि वो सत्ता के साथ कभी महाराणा प्रताप बन जाते हैं और कभी अकबर हो जाते हैं दोनों महान शख्सियत थी इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन कोई भी सियार शेर और बाघ की खाल पहन कर शेर या बाघ नहीं हो जाता है बल्कि वो रंगा सियार कहलाता है। मुझे आश्चर्य है कि आप अपने आपको बौद्धिक पत्रकार के रूप मे स्थापित करने का भरसक परन्तु नाकाम प्रयास करते हैं लेकिन आप कभी भी बौद्धिकता के उस स्तर को नहीं छू पाए जहाँ रवीश पंहुच चुके हैं।
आप को राष्ट्रवाद का वास्तविक अर्थ तक नहीं पता, राष्ट्रवाद क्या है इसके लिए नागपुर से ग्रसित ब्रेन को किसी बढ़िया डिटर्जेंट से धोकर रविन्द्र नाथ टैगोर और महात्मा गाँधी को निश्छल भाव से पढ़ना। आप सही मायने में आज तक हिन्दु होने के धर्म से भी अनभिज्ञ हैं हिन्दु कैसा होता है हिन्दु को कैसा होना चाहिए के लिए विवेकानन्द और महात्मा गाँधी को पढ़िए। आपको पता होना चाहिए कि कट्टर राष्ट्रवाद कहीं ना कहीं मानवता पर प्रहार करता है। आपकी पत्रकारिता शुद्ध रूप से नागपुर को प्रभावित करने के इर्द-गिर्द घूमती है।
आपकी यह चिठ्ठी आपकी संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है क्योंकि किसी व्यक्ति के सवाल उसकी बौद्धिकता का परिचायक होते हैं। रवीश की चिठ्ठी में एम जे अकबर एक प्रतीकात्मक चरित्र है, रवीश का प्रहार उन सभी अवसरवादी पत्रकारों पर था जो सुविधा और सत्ता के राष्ट्रभक्त होते हैं जो सुविधा और सत्ता के लिए हिन्दुत्व का चोला पहनते हैं और अचानक अकबर से राणा प्रताप हो जाते हैं। याद रखिए व्यक्ति की महानता उसके चरित्र से देखी जाती हैं ना कि उसके नाम और पद से।
मोदी जी जैसे प्रधानमंत्री के मंत्री एम जे अकबर को रवीश कुमार का इस अंदाज चिठ्ठी लिखना ही रवीश कुमार की बौद्धिकता, सत्यनिष्ठा और कर्तव्यनिष्ठा का परिचायक है। आप पत्रकारिता के पेशे में तो लेखनी की कला को भी समझने का बोध रखिए, रवीश कुमार की अकबर को ये चिठ्ठी हर उस पत्रकार के नाम है जो कमोबेश एम जे अकबर की शैली में पत्रकारिता करते हैं तथा सत्ता के साथ रंग बदलते रहते हैं। आप एम जे अकबर की श्रेणी में आते हैं या नहीं ये आप स्वयं आईने के सामने खड़े होकर, हिन्दु हो तो ईश्वर को साक्षी मानकर अपने सच्चे हृदय से पूछ कर तैय करना। आपने तो अपनी माँ को उन गालियों से बचा लिया है जो रवीश कुमार रोजाना विवेकशून्य अतार्किक कुंठित विक्षिप्त अंधभक्तों से सुनते अथवा पढ़ते हैं क्योंकि आप रेप्टिलिया प्रजाति (रीढ़विहीन) में अपनी सुविधा के अनुसार ढ़ल जाते हैं। जब जिंदगी रीढ़ विहीन सिद्धांतों पर विचरण करती है तो बहुत सी सुविधाएँ और सत्ता सुख प्राप्त होते हैं लेकिन जमीर खो जाता है।
खैर, आपको जमीर की जरूरत भी क्या है ? हो सके तो अगली चिठ्ठी सुधीर ‘तिहाड़ी’ और एम जे अकबर को आप भी लिखना और पत्रकारिता के कुछ मूलभूत सिद्धांत सीख लेना।
धारे के मुआफिक बहना तो,
तौहीन ऐ दस्तो बाजू है।।
डा विभूति भूषण शर्मा
एडवोकेट
हाईकोर्ट
राजस्थान
Facebook.com/vibhutibhushansharma
Comments on “राजस्थान हाईकोर्ट के वकील डॉ. विभूति भूषण शर्मा ने भी दिया रोहित सरदाना के पत्र का जवाब”
Vibhuti bhushan sharma ji you are genious
I like it vibhuti ji
बहुत ही सुंदर एंव तार्किक अभिलेख ।
Thanks a lot for publishing my letter.
Thanks a lot for Publishing my letter.
डा विभूति भूषण शर्मा ki asliyat is https://en.wikipedia.org/wiki/Vibhuti_Bhushan_Sharma link main aasani se pata chalti hai ki vakil sahab congress ke paltu kute hain jo congress ke tukdon pe palte hain is isliye sayad Antonia Maino(sonia gandhi) ne inhe ravish ki madad karne ke liye bheja hai.
sare seculariye sach sunkar tilmila gaye. ye bhi to pappu, kejri, lalu, nitish bhakt h. rohit n sahi kaha h. sabko sawal karne ka adhikar h. ap kyo rohit s sawal puch rahe hl ap puch sakte h to vo bhi kar sakte h sawal lakin apk pss jawab nahi kewal ungli uthate ho ap kyo kr rahe ho sawal. bada to khajur ka ped bhi hota hl.rahiman hera kb kahe lakh hamaro mol. rajdep, prasunn ravish, thanvi jaise log vipkch k pravata h jo bjp modi or rss ko nishana banate h kutarko se, ap sarvjanik bahs kr lo hm tayar h. desh ki janta sab pahchanti h. ap log expose ho chuke ho. ravish ko to emergency ka bh ghayan nahi h black screen dikhate h. hamne dekhi h bhogi h emergency sharma g, ap jb sawal krte ho to theek rohit kre to galt ye kunghit mansikta hl
Ravish Ki kheez Ka jawab Rohit Ne diya, Rohit Ki kheez Ka jawab Wakil sahab ne diya, ab wakil sahab ki kheez ka jawab dekhte hain kaun deta hai. kheez se mukt to ye wakil bhi nahi ho paye.. bhasha se sab saaf dikhta hai.
विभूति जी मैने ईन कमेंटस में एक मिश्रा जी का कमेंट पढ़ा जौ अपनी उत्कृष्ठ भाषा शैली से भाजपाईयोंका असली चेहरे की पहचान करा रहे हैं
Dear Mr. Vibhuti Bhushan,
You have left behind all pet dogs of congress.
Good work at your end, May be if congress comes in power, your Bharat Ratna is confirmed.
https://en.wikipedia.org/wiki/Vibhuti_Bhushan_Sharma
Shame on You