यूपी में न अदालत न कानून, पुलिस जो कहे वही सही!
बनारस। न कानून न कोर्ट। यहां खाकी का विधान है। लगातार बढ़ रहे आपराधिक घटनाओं के बीच यूपी पुलिस के लोग गुडवर्क के चक्कर में आधी रात को बिना किसी महिला कांस्टेबल को साथ लिए आम नागरिकों का दरवाजा पीटते हैं। दरवाजा खुलते ही गालियां देते हुए गृह प्रवेश करते हैं। साथ ही घरवालों को धकियाते-गरियाते हुए कमरों में घुस कर तांडव करते हैं।
किसी को पकड़ कर घसीटते हुए थाने में लाकर लाकअप में ठूंस देते हैं। इसके बाद शुरू हो जाता है लाकअप में ठूंसे गये लोगों के घरवालों के मानसिक टार्चर का दौर। किसी तरह हिम्मत जुटाकर थाने की दहलीज पार कर अपनों को बाहर करने की आपाधापी में लगे घरवाले जब कुछ पूछने की कोशिश करते हैं तो कहा जाता है, असलहे की कमी नहीं है, बरामदगी दिखाकर चालान कर दूंगा तो जमानत नहीं होगी।
खौफ और डर का इन्वेस्टमेंट कर खाकी वाले अपनी जेब भरते हैं, खौफ जुबान सिल देती है और डर से सहमे लोग गूंगे बन जाते हैं। इसी के बाद पुलिस वालों को वो जमीन मिल जाती है जिस पर वो इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते चले जाते हैं।
बीते 12 अगस्त को थाना भेलूपुर क्षेत्र के सुदामापुर में खाकी ने इसी तरह के कृत्य को अंजाम दिया। रात 2 बजे के करीब कंपाउंडर का काम करने वाले राजेश यादव के घर पुलिस टीम पहुंच कर दरवाजा पीटती है। बकौल राजेश, आधा दर्जन की संख्या में पुलिस वाले दरवाजा खोलते ही बिना कुछ कहे कमरे में घुस आए। मेरी पत्नी मेरी दोनों बेटियां कमरे में सो रही थी। उनके साथ कोई महिला पुलिस नहीं थी। मूझे लाईट तक जलाने नहीं दिया। वो मोबाइल से टार्च जलाकर देख रहे थे।
मुझसे कहा गया तुम्हारे छोटे भाई के पास कट्टा है, उसे लाओ तब तुम्हें छोड़ेंगे। उसके बाद वो मुझे नंगे पांव लेकर यहां-वहा घुमाते रहे। वे लोग अन्य दूसरे लड़कों को भी मोबाइल और चेन छीनने का आरोप लगा उठाते रहे। मुझे भोर 4 बजे थाने लाकर बैठाया गया। शाम 4 बजे मुझे छोड़ा गया।
राजेश ही नहीं, दर्जनों लोगों को उठा कर उस रात लाकअप में ठूंसा गया। बाद में उनके घरवालों से लेन-देन कर उन्हें छोड़ा गया।
वैसे भेलूपुर थाना प्रभारी नागेश सिंह अपने कारनामों से कम चर्चित नहीं रहे हैं। इन्हीं के लाकअप में किसी मामले में लाए गए दो लोगों ने खुदकुशी करने की कोशिश की जिसे छुपाने में महोदय और इनकी पुलिस ने ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया मगर मामला मीडिया में आकर ही रहा।
योगी राज में बेलगाम हो चुकी पुलिस ने आम नागरिकों के उत्पीड़न की हद को पार कर दिया है। हर ओर जंगलराज का नजारा है।
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बनारस से बेबाक पत्रकार भास्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट.
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m.shakil anjum
August 21, 2019 at 7:43 pm
aisi ghatnao ko sun kar bahut takleef hoti hai.ki police ka charitar itna ghinona ho gya hai. ghatna bhi kahan ki jo modi ji ka chhetra hai bahut sharm ki bat hai ek taraf to humari police ko itna smjhane ke bad bhi yeh asar ho rha hai.darasal kuchh bate sirf dikhawe ke liye hoti hain jo dharatal par nhi autari jati hain.jabki humari up ki sarkar ke dawe to bahut achhe hain magar aunka asar yeh ho rha hai sharm aati hai. briish daur me bhi police hua karti thi .kiya qanoon tha kaise log the majal kisi ki jo kisi ki sunwai ma ho.ab to bas ilaaj hona hi chahiye