Yashwant Singh : दूरदराज के जिलों के थानेदारों को अक्सर ये गुमान हो जाता है कि वे खुदा से कम नहीं. यही कारण है कि वे बेखौफ होकर कुछ भी कर गुजरते हैं. बलिया के थानेदार सत्येंद्र राय ने भी यही किया. इस थानेदार से फोन करके आप लोग पूछते रहें (बलिया के भीमपुरा थाने के थानेदार सत्येंद्र कुमार राय का मोबाइल नंबर 9454402992 है) कि जो आदमी अपना पक्ष रखने थाने गया हो, उसे फौरन पकड़ कर हवालात में, फिर जेल में क्यों डाल दिया?
पूछें कि छेड़छाड़ के आरोप का जो घटनाक्रम गढ़ा गया, उसमें जो दिन व समय बताया गया, उस दिन व समय पर आरोपी कहे जाने वाला शख्स डेढ़ सौ किमी दूर ट्रेन में था, फिर उसने कैसे छेड़छाड़ कर दिया? वह आदमी अपना ट्रेन टिकट दिखाने गया था थानेदार के पास. पर थानेदार तो ठहरे थानेदार. रिश्वत में मिले नोटों की गर्मी के चलते दिमाग और कान दोनों बंद कर थानेदार ने अपना पक्ष रखने आए आरटीआई एक्टिविस्ट को सीधे हवालात में फेंका, फिर जेल भेज दिया.
वर्दी में गुंडई का शौक पालने वाले भला कानून-संविधान की कहां परवाह करते. सत्येंद्र राय को फोन कर लगातार सवाल पूछते रहिए आप लोग क्योंकि सवाल पूछना हमारा कर्तव्य और दायित्व है. जिस दिन सवाल पूछना बंद कर देंगे, यह लोकतंत्र पूरी तरह करप्ट तंत्र में तब्दील हो जाएगा.
सोशल एक्टिविस्ट Singhasan Chauhan चौहान को जमानत कराने के लिए हाईकोर्ट तक जाना पड़ा. महीनों जेल मे रहने के बाद छूटे. डेढ़ लाख से ज्यादा रुपये खर्च हुए, कोर्ट कचहरी में. परिजनों को जो मानसिक और आर्थिक यंत्रणा झेलनी पड़ी, उसका कोई हिसाब नहीं. इस थानेदार को समझाना पड़ेगा कि अब तू निर्दोष को जेल भिजवाने के अपराध में जेल जाएगा.
आज 4पीएम और दैनिक जागरण ने सिंहासन की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया. दोनों अखबारों का आभार. उम्मीद करते हैं पूर्वांचल से लेकर लखनऊ, दिल्ली तक के मीडिया वाले, पुलिस अफसर, नेता गण इस मसले का संज्ञान लेकर एक पीड़ित आदमी को न्याय दिलाएंगे.
भड़ास4मीडिया डॉट कॉम के फाउंडर और एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
उपरोक्त पोस्ट पर आए ढेरों कमेंट्स में से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं-
Laxmikant Dubey ऐसे थानेदार को बर्खास्त कर तत्काल जेल भेजना चाहिए। और पीड़ित का जो खर्च हुआ उसका दस गुना वसूलना चाहिए। दुर्भाग्य कोर्ट को भी छह महीने लग गए थानेदार की गलती समझने में।
P.c. Rath उस थानेदार को सामाजिक तौर पर भी सोशल मीडिया में अच्छी तरह चर्चित करना चाहिए जिससे उसके कारनामे उसके पड़ोसियों रिश्तेदारों तक अच्छी तरह पहुंचे.
Parul Narang जेल थानेदार नहीं, जिसने आरोप लगाया, उसे जाना चाहिए.
Yashwant Singh थानेदार को रिश्वत मिला था फर्जी मुकदमा लिखने और जेल भेजने के लिए, ऐसा आरोप है. इसलिए ईमानदारी से जांच हो तो आरोप लगाने वाली महिला, साजिश में शामिल इंस्पेक्टर, ग्राम प्रधान समेत आधा दर्जन लोग जेल जाएंगे.
Singhasan Chauhan Parul Narang दोनों ही थानेदार ज्यादा दोषी है क्योंकि वो सक्षम अधिकारी है सही और गलत रिपोर्ट का फैसला उसे लेना है
Shiivaani Kulshresthhaa सर सरकार के सामने बड़ा मुद्दा खड़ा कर दिया। सिंहासन जी के साथ वाकई बहुत बुरा हुआ। सरकार को चाहिये कि पुलिस जबावदेही बिल लाये, जिससे पुलिस मैन की जबावदेही तय की जा सकें। पुलिस का डिविजन भी किया जाये। विवेचना करने वाली पुलिस बिलकुल अलग की जाये। उनका कप्तान वगैराह भी अलग हो। इससे एक स्वस्थ विवेचना की जा सकेगी। सर मेरा इमेल आईडी [email protected] है। कृपया करके मुझे एफआईआर और इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट भेजिये। मैं फाइल पढ़ना चाहती हूं।
Singhasan Chauhan शुक्रिया यशवंत भाई आपके कारण ये मामला हाईलाइट हो सका है. कल से 7-8 पत्रकार फोन कर चुके हैं
Dev Nath मुझे भी एक दरोग़ा ने ऐसे ही धमकाया था। मैंने भी उसे अच्छे से सबक़ सिखाया था.
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Vijay Goyal
August 9, 2019 at 12:33 pm
Bhai sahi Kaha aap ne Police का raviya aam logo के parti Bahut kaharb hai. Khas कर के UP Police का। Ye log kisi को arrest karke late hai or Uske Ghar walo ko inform bhi ni kiya jata. Or to or jo usne jurm ni kiya Uske alawa भी kai or case us per thop diye jate hai. Resently happened in Noida Sec 20 thana with someone.