Girish Malviya : क्यों हमें अपना आधार का डाटा पेटीएम जैसी कम्पनियों से डीलिंक करवा लेना चाहिए? कल इसका जवाब मिल गया है। आप लोग जो पेटीएम में अपना आधार नम्बर जुड़वाकर बड़े खुश हो रहे थे, उस डाटा की कीमत पेटीएम के विजय शेखर शर्मा को उनके सहयोगियों ने 20 करोड़ बता कर ब्लैकमेल करने की कोशिश की है।
कल की खबर है कि विजय शेखर की महिला सेक्रेटरी अपने दूसरे सहयोगियों की मदद से अरबों रुपये का महत्वपूर्ण डेटा चोरी कर विजय शेखर से 20 करोड़ रुपये की मांग की थी। बाद में पुलिस ने सर्विलांस और साइबर सेल की मदद से इनकी गिरफ्तारी की है। नोएडा पुलिस के सूत्रों के मुताबिक करीब सप्ताह पहले शर्मा ने ही पुलिस को बताया था कि कोई उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है। उसका दावा था कि उसके पास शर्मा और पेटीएम का डेटा है। कल पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें शर्मा की पर्सनल सेकेट्री सोनिया धवन भी शामिल हैं।
पुलिस चोरी किए गए डेटा को भी रिकवर करने की कोशिश कर रही है। जब तक फरार आरोपी गिरफ्तार नहीं हो जाता, तब तक पुख्ता तौर पर ये नहीं कहा जा सकता कि कितना डेटा इन लोगों के पास था। पुलिस ये भी पता करने की कोशिश कर रही है कि कहीं इन लोगों ने डेटा का गलत इस्तेमाल तो नहीं किया है। अब आप खुद सोचिए कि कैसे लोगों के हाथ में आपने अपनी मेहनत की कमाई सौंप दी है?
अब इस कहानी में एक ओर पेंच भी हो सकता है कि कहीं पेटीएम वाले विजय शेखर शर्मा जी का भी #me_too होते-होते तो नहीं रह गया है? यह सिर्फ एक कयास भर है क्योंकि मैडम के बड़े जलवे थे। जागरण वाला तो कह रहा है कि विजय शेखर शर्मा की हर बिजनेस डील में सोनिया धवन जाया करती थीं। आए दिन उसका सिंगापुर हांगकांग व बंगलुरू का ट्रिप तैयार रहता था। यही नहीं, जहां कहीं भी कोई अवार्ड सरेमनी होती, सोनिया धवन की उपस्थिति के बिना कोई भी कार्यक्रम विजय शेखर का नहीं होता था। यहां तक की मीडिया में प्रत्येक खबर का प्रकाशन भी सोनिया धवन की अनुमति के बिना नहीं होता था।
जागरण का कहना है कि विजय शेखर शर्मा ने सोनिया धवन को वाइस प्रेसिडेंट भी बना रखा था और कम्पनी में उसका जबरदस्त रुतबा था। कंपनी के अंदर उसका सिक्का चलता था। बताया जाता है कि विजय शेखर का विश्वास जीत लेने के कारण कंपनी के बड़े-बड़े अधिकारी उसके सामने बौने थे। चीन की सबसे बड़ी अलीबाबा कंपनी के साथ पेटीएम को संपर्क में लाने में सोनिया धवन की अहम भूमिका बताई जा रही है।
अब ऐसी जबरदस्त रौब रुतबे वाली महिला 20 करोड़ के लिए डाटा चुरा ले, यह हजम होने वाली बात नहीं है। जो लोग कारपोरेट जगत से परिचित हैं, वह अवश्य जानते होंगे कि कारपोरेट के शीर्ष पर कितनी गहरी राजनीति होती है और सोनिया धवन इसी राजनीति की शिकार हुई लगती हैं।
समसामयिक मामलों के विश्लेषक गिरीश मालवीय की एफबी वॉल से.