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अब विज्ञापन के कूपन बेचेंगे नईदुनिया के ब्यूरो चीफ!

भले यह बात हैरत करने वाली लगे लेकिन यह भी सच है कि जागरण के आंचल में पलने वाली नई दुनिया अब ऐसे ऐसे हथकंडे अपना रही है कि माथा फोड़ने को जी चाहता है। नौ जनवरी को जबलपुर में ग्रांड समदड़िया होटल में आयोजित एक बैठक में बिजनेस बढ़ाने का एक नया हथकंडा सिखाया गया। इस बैठक में मनीष शर्मा इंदौर से खास तौर पर आए हुए थे। सारे ब्यूरो चीफ की इस बैठक में कमाल की बात यह थी कि एक भी एडीटोरियल का बंदा मौजूद नहीं था। दिन भर चली इस बैठक में मेरा चीज किसने उठाया… से प्रेरित एक कहानी सारे ब्यूरो चीफ को सुनाई गई और उन्हें प्रेरित किया गया कि हमें बिजनेस पर ज्यादा ध्यान देना है। कहानी कुछ यूं थी कि मिठाई की एक दुकान में रहने वाले दो चूहों को काफी मेहनत के बाद एक नई लड्डू की दुकान मिली। इसी तरह हमें काम कर ज्यादा बिजनेस देना है।

<p>भले यह बात हैरत करने वाली लगे लेकिन यह भी सच है कि जागरण के आंचल में पलने वाली नई दुनिया अब ऐसे ऐसे हथकंडे अपना रही है कि माथा फोड़ने को जी चाहता है। नौ जनवरी को जबलपुर में ग्रांड समदड़िया होटल में आयोजित एक बैठक में बिजनेस बढ़ाने का एक नया हथकंडा सिखाया गया। इस बैठक में मनीष शर्मा इंदौर से खास तौर पर आए हुए थे। सारे ब्यूरो चीफ की इस बैठक में कमाल की बात यह थी कि एक भी एडीटोरियल का बंदा मौजूद नहीं था। दिन भर चली इस बैठक में मेरा चीज किसने उठाया... से प्रेरित एक कहानी सारे ब्यूरो चीफ को सुनाई गई और उन्हें प्रेरित किया गया कि हमें बिजनेस पर ज्यादा ध्यान देना है। कहानी कुछ यूं थी कि मिठाई की एक दुकान में रहने वाले दो चूहों को काफी मेहनत के बाद एक नई लड्डू की दुकान मिली। इसी तरह हमें काम कर ज्यादा बिजनेस देना है।</p>

भले यह बात हैरत करने वाली लगे लेकिन यह भी सच है कि जागरण के आंचल में पलने वाली नई दुनिया अब ऐसे ऐसे हथकंडे अपना रही है कि माथा फोड़ने को जी चाहता है। नौ जनवरी को जबलपुर में ग्रांड समदड़िया होटल में आयोजित एक बैठक में बिजनेस बढ़ाने का एक नया हथकंडा सिखाया गया। इस बैठक में मनीष शर्मा इंदौर से खास तौर पर आए हुए थे। सारे ब्यूरो चीफ की इस बैठक में कमाल की बात यह थी कि एक भी एडीटोरियल का बंदा मौजूद नहीं था। दिन भर चली इस बैठक में मेरा चीज किसने उठाया… से प्रेरित एक कहानी सारे ब्यूरो चीफ को सुनाई गई और उन्हें प्रेरित किया गया कि हमें बिजनेस पर ज्यादा ध्यान देना है। कहानी कुछ यूं थी कि मिठाई की एक दुकान में रहने वाले दो चूहों को काफी मेहनत के बाद एक नई लड्डू की दुकान मिली। इसी तरह हमें काम कर ज्यादा बिजनेस देना है।

 

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बेचने होंगे कूपन
ब्यूरो ने जनवरी माह के लगभग अंसभव टारगेट को पूरा करने में मुश्किल बताई। यह कहा कि 26 जनवरी के दौरान पंचायती चुनाव की आचार संहिता लगी होने के कारण टारगेट मुश्किल होगा तो मनीष शर्मा ने एक नया प्रजेंटेशन दिया। सारे ब्यूरो को बताया गया कि हर दिन आने वाले विज्ञप्ति दाताओं को एक कूपन दिया जाए। 1200 रुपए के इस कूपन में विज्ञापन दाता को दो सौ रुपए का एक श्योर गिफ्ट मिलेगा। इस कूपन में तीन पर्चियां है। एक ग्राहक को देने पर बाकी बचे दो कूपन आफिस में जमा होंगे। इन कूपनों को एकत्र कर एक लकी ड्रा निकाला जाएगा जिससे ब्यूरो को टीवी, फ्रिज, बाइक जैसे इनाम मिल सकेंगे। इन कूपनों को 26 जनवरी के विज्ञापन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। एक शर्त रखी गई है जिसके अनुसार सारे ब्यूरो को सौ के लगभग और ज्यादा कूपन लेना होगा। जिन पर उन्हें 15 फीसदी कमीशन भी मिलेगा। कूपन बेचने की शर्त यह है कि सारे अमाउंट का पोस्ट डेटेड चैक जबलपुर दफ्तर में जमा कराना होगा। इन चैकों को बतौर सुरक्षा निधि रखा जा रहा है। मनीष शर्मा के अनुसार यह सुविधा सिर्फ जबलपुर क्षेत्र के ब्यूरो को मिली है। बाकी ब्यूरो से अग्रिम राशि ली गई है। कई ब्यूरो बाहर निकल कर कोसते देखे गए। लोगों का कहना था कि हमें अब इस हद तक नीचे जाना पड़ेगा। ऐसे में ब्यूरो की गरिमा का क्या होगा लेकिन मजबूरी है नौकरी बचाने यह हरकत करनी पड़ेगी।

दे रहे नए आइडिया
हर मीटिंग में ब्यूरो को उगाही के नए तरीके बताए जा रहे हैं। चुनाव में प्रत्याशियों से संपर्क कर राशि कलेक्ट करने को कहा जा रहा है। इसके अलावा कहा जा रहा है कि प्रत्याशियों से हनुमान चालीसा आदि निकलवाई जाए जिसमें दोनों बैक कवर पर उनका संदेश फोटो होगी। ये चालीसा 15 हजार रुपए के 300 निकाले जाएंगे। जब यह पूछा जाता है कि साहब एक दो रुपए में तो हनुमान चालिसा गीता प्रेस दे रही है तो कहा जाता है कि हम उन्हें नई दुनिया जागरण का नाम भी तो दे रहे हैं। इसके अलावा कहा जाता है कि ब्यूरो पुलिस वालों और जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर प्रहरी और व्यक्तित्व नाम से पुस्तकें निकालें। इनके रेट भी एक डेढ़ लाख रुपए रखे गए हैं। दिसंबर में सभी ब्यूरो ने कलेंडर निकाले है। सवाल यह है कि पत्रकारिता का इतना गिरता स्तर देखकर भी छजलानी जी मजबूर क्यों हैं। जागरण के आने के बाद वो सारे मापदंड गिरवी रख दिए गए हैं जिनके लिए नईदुनिया जानी जाती थी।

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कहां से आएंगे ब्यूरो
इन दिनों जबलपुर डेस्क और रीजनल कार्यालयों में कर्मचारियों की भारी कमी है। कई लोग छोड़कर जा चुके हैं। सवाल यह है कि यदि ब्यूरो भी छोड़ गए तो कौन बचेगा। कहां से आएंगी खबरें …फिर कैसे गर्व करेगें नईदुनिया वाले कि खबरों में वो अव्वल हैं। संस्थान की हाल की गतिविधियों को देखकर नए लोग आना नहीं चाह रहे। और इतने ज्यादा दबाव से तो ब्यूरो भी हटने की तैयारी कर रहे हैं।

एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. govind sharma

    January 31, 2015 at 1:24 pm

    o No
    not good for naiduania

  2. manjul mathur

    April 3, 2015 at 12:37 pm

    Naidunia ko business ki jitni jarurat hai us se jyda manish sharma ko apni naukari bachane ki unke banaye tiwari ne naiduniya jbalpur ko aesi bimari di hai ki jiska ilaj ab dikhta hi nahi ye edition dino din gart me ja raha hai manishji ko edition ko sahi karne ke bare me ssochna chahiye business to uske bad aahi jayega jabalpur aaj se 4 sal pahle jo business karta tha vo v aaj nahi ho raha hai..a

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