एक बड़ी खबर सहारा मीडिया से है. गौतम सरकार को सहारा टीवी नेटवर्क आपरेशंस का चीफ आपरेटिंग आफिसर यानि सीओओ बनाया गया है. विजय राय को पूरे सहारा न्यूज नेटवर्क का ग्रुप एडिटर बनाया गया है. ये दोनों ही लोग उपेंद्र राय को रिपोर्ट करेंगे. इसके अलावा एक कोर कमेटी का भी गठन किया गया है जो सहारा न्यूज नेटवर्क के सभी मामलों पर फैसला करेगी. इस कमेटी में गौतम सरकार, विजय राय, सीबी सिंह और मनोज मनु को शामिल किया गया है.
उपरोक्त बदलाव उपेंद्र राय के हस्ताक्षर से जारी एक आंतरिक पत्र के जरिए सामने आया है. चर्चा है कि अभिजीत सरकार, गौतम सरकार और विजय राय को मजबूत करके सुब्रत राय ने उपेंद्र राय के समानांतर एक विकल्प तैयार कर लिया है ताकि दोनों पक्ष एक दूसरे पर तगड़ी नजर रख सकें और एक दूसरे की कमियों को उजागर कर सकें. वैसे भी सहारा में परंपरा रही है कि किसी एक को ताकतवर बनाओ तो उसके पीछे दूसरी मजबूत कड़ी तैयार कर दो ताकि ताकतवर आदमी पर निगाह रखने वाले लोग सक्रिय रहें. सहारा मीडिया में सेलरी न मिलने से लोग वैसे ही दुखी हैं. प्रबंधन उपरी स्तर पर फेरबदल / बदलावों के जरिए क्या संकेत देना चाह रहा है, इस पर सहारा वाले गासिपिंग करने में लगे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि फिर से संकट में फंस चुके सहारा मीडिया को उबारने के लिए सुब्रत राय जल्द ही कोई बड़ा धमाका कर सकते हैं.
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Insaf
April 7, 2016 at 4:47 pm
अच्छी पहल है. मै एक सहराकर्मी हूँ. एक बात मै ईमानदारी के साथ कहना चाहता हूँ. सहारा में तीसरी बार उपेन्द्र राय जी की इंट्री के बाद बहुत हद तक अच्छा काम हो रहा है. लेकिन उपेन्द्र जी का हाल का एक निर्णय सारे सहराकर्मियों के उत्साह को धो दिया है. उपेन्द्र जी ने पटना यूनिट में एक ऐसे कर्मी का वेतन १८००० रुपये बढ़ा दिया है , जिसका संस्थान में कोई योगदान नहीं है है. दिचास्प है कि उपेन्द्र जी ने पटना यूनिट के एडिटर और यूनिट हेड को विश्वास में लिए बगैर यह निर्णय ले लिया. यह यूनिट एक एक रुपया जुटाने में लगा है. दुर्भाग्य से यहाँ मशीन जल जाने से ३० लाख महिना का बोझ आ रहा है और ऐसे में उपेन्द्र जी ने यूनिट पर २.१६ लाख सालाना का बोझ दाल दिया है. ऐसे आदमी का वेतन बढाया गया जिसने हाल के विधान सभा चुनाव में संस्थान को एक बड़ी पार्टी का एक भी विज्ञापन आने नहीं दिया. यूनिट को कम से कम एक करोर का नुकसान पहुँचाया. यदि संदेह हो तो यहाँ के पूर्व के संपादक से पता कर ले. संसथान विरोधी कामों के लिए उसे बिट से हटा दिया गया था. उपेन्द्र सर , हम सब आपके शुभचिंतक हैं. कृपया अपने निर्णय को वापस ले लिजिय. किसी एक व्यक्ति के लिए हजारों सहराकर्मियों का उत्साह मारना उचित नहीं है है. चाहे जिस व्यक्ति ने सिफारिस की है उससे संस्था का भला नहीं होने वाला है. आखिर आपने यूनिट हेड और रेजिडेंट एडिटर किस लिए है जब इनकी एक भी नहीं सुनी जाएगी. अनर्थ हुआ है सर. बिलकुल अनर्थ. कही यह कदम उठाकर सहराकर्मियों को चिढाने की कोशिश तो नहीं हो रही है. सर. सहाराश्री ऐसे कदम को जायज नहीं ठहराएंगे. एक ओर आप प्रमोटे कर एक पैसा नहीं दे रहे है और दूसरी ओर सिफारसी लाल को १८ हजार की रेवड़ियाँ बांटते है. यह नाइंसाफी है. ऐसे सहारा नहीं बढेगा.
Durga
April 8, 2016 at 1:01 am
I came to know that the person who has got excellency of 15 thousand in Patna is the richest among reporters. He is a only reporter who has purchased his own flat and precious land in Patna.He has a quality to tell a lie .
alok sinha
April 8, 2016 at 2:54 am
सहारा में गुटबाजी चरम पर, वर्चस्व की लड़ाई में पिस रहे कर्मचारी… रणविजय सिंह के लॉयल लोगों को किया जा रहा है किनारे… नोएडा । किसी ने सही कहा कि अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान। यह बात राष्टीय सहारा ग्रुप के अफसरों पर सटीक उतरती है। जब से उपेंद्र राय सहारा ग्रुप में शीर्ष सत्ता पर काबिज हुआ है, उसी दिन से पूर्व समूह सम्पादक रणविजय सिंह के विश्वासपात्रों को बर्फ से लगाया जा रहा है। पहले रणविजय को अखबार से हटाया गया। उन्हें सहारा समूह के निदेशक ओपी श्रीवास्तव के साथ अटैच कर दिया गया। यही नहीं रणविजय सिंह के नजदीकी विज्ञापन विभाग के देव कुमार त्यागी और अजय तिवारी को विज्ञापन विभाग से हटाकर हाल में एचआर डिपार्टमेंट से अटैच कर दिया गया है। उपेंद्र राय के चमचे मार्केटिंग हेड जीएन सिंह पहले रणविजय से जुडे हुए थे। हवा का रुख बदलते ही जीएन सिंह ने उपेंद्र राय का पल्लू पकड लिया। जीएन सिंह ने ही अपने उपर बैठे अशोक ओहरी का पत्ता कटवाया था। सहारा के अतरंग सू़त्रों की माने तो अशोक ओहरी ने जीएन सिंह के कई विज्ञापन घोटालों को पकड़ लिया था। जीएन सिंह पर सहारा के अलावा दूसरे अखबारों के लिए विज्ञापन जुटाने का आरोप है। इन सब आरोपों की जांच अशोक ओहरी कर रहे थे। उपेंद्र राय ने सहारा में इस शर्त पर वापसी की थी कि वह सहाराश्री को जेल से निकलवा लेंगे या फिर सहारा मीडिया को लाभ में लाकर सबकी सेलरी की व्यवस्था कर देंगे। न तो सेलरी की व्यवस्था हुई और न ही सहाराश्री जेल से नहीं निकल पाये। अलबत्ता सहारा की प्रोपर्टी नीलाम होनी जरूर शुरू हो गयी। सू़त्रों का कहना है कि उपेंद्र राय अब अपने आप को अनसेफ महसूस करने लगे हैं, इसलिए उपेंद्र राय एक एक कर विरोधी खेमे को कमजोर करने के लिए या तो उनका तबादला दूर स्थानों पर कर रहे हैं या उन्हें जलील करने के लिए गैर विभागों में भेज रहे हैं। कुछ लोग प्रताड़ित होकर इस्तीफा देकर जा रहे हैं। सहारा में इस समय खलबली मची हुयी है।
besahara media facebook page
April 8, 2016 at 2:56 am
बकाया देना उपेंद्र राय की जिम्मेदारी… सेफ एग्जिट लेने के बाद भी सहारा मीडिया के कर्मचारियों का पूरा भुगतान नहीं किया गया है। पहली बारी में सेफ एग्जिट लेने वालों का पीएफ और ग्रेच्युटी कंपनी नहीं दे रही है, दूसरी बारी में सेफ एग्जिट लेने वालों का पूरा का पूरा वेतन भी फंसा हुआ है और कंपनी द्वारा तय की गई समय-सीमा भी खत्म हो गई है, वहीं कॉमर्शियल प्रिंटिंग के कर्मचारियों को तो एक पैसा भी नहीं दिया गया है, जबकि दफ्तर में काम कर रहे तमाम कर्मचारी हालात के आगे मजबूर हैं। नोएडा के उप-श्रमायुक्त (DLC) के कार्यालय में एचआर के अधिकारियों ने पैसे देने से हाथ खड़े कर दिये हैं। ऐसे में DLC ने रिकवरी चालान काटने की अगली तारीख 16 अप्रैल तय की है। कंपनी ने 14 अप्रैल तक पैसे नहीं दिये गये तो चालान कटना तय है। यानी सुब्रतो रॉय ने जिस कानूनी विवाद से बचने के लिए उपेंद्र राय को सहारा मीडिया का सर्वेसर्वा बनाया था, वही उपेंद्र राय अब सहारा मीडिया की कुर्की कराने पर आमादा है। यह सब आपसी खींचतान और अंदरुनी राजनीति के चलते हो रहा है और कहा जा रहा है कि पैसे नहीं है। एक तरफ सेबी तमाम संपत्तियों को बेचेगी जिसकी लिस्ट में मीडिया नहीं है तो नोएडा कैंपस में बैठे अधिकारी सहारा मीडिया को कुछ इस तरह से कानूनी विवाद में घसीटवा कर कंपनी और चेयरमैन को चूना लगाना चाहते हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात अब यह हुई है कि पूरे मामले की नामजद जवाबदेही तय कर दी गई है। जिसकी प्रति निम्न प्रकार से संलग्न है। इसमें श्री उपेंद्र राय (सीईओ एवं एडिटर इन चीफ, सहारा मीडिया), श्री अमिताभ चक्रवर्ती व श्री रामवीर सिंह (एचआर प्रमुख) के नाम शामिल हैं। इसका मतलब यह हुआ कि सहारा मीडिया के कर्मचारियों के बकाया नहीं मिल रहा तो उसके पीछे ये लोग ही जिम्मेदार हैं। आगे एफआईआर होती है तो इन्हीं लोगों के नाम से होगी। बेसहारा मीडिया उपेंद्र राय का क्या होगा…? एग्जिट वाले कर्मचारियों का बकाया वेतन, पीएफ, ग्रेच्युटी का पैसा लेकर कहीं वो फरार न हो जाए? कड़ी नजर रखिएगा। सुब्रतो रॉय ने एग्जिट वाले कर्मचारियों का पूरा भुगतान करने के लिए जो पैसा दिया, वो कहां गया? बकाया मद का सारा पैसा कहां गया?
Insaf
April 8, 2016 at 6:51 am
If any decision is occured to be wrong, pls do it corrected in time. Do not make it prestige issue. Pls do it in a proper channel. Upendra sir, in a company interest you rethink on Patna matter. He is not deserving candidate to boost up. There are so many sahara workers in Patna who are working in the interest of company.
Dehradun Unit
April 20, 2016 at 5:03 am
[b]उपेन्द्र राय सर, आपने देहरादून यूनिट में हुए सम्मलेन में होली से पहले सभी को मानदेय देने की बात कही थी. जिसे ‘ब्रह्मवाक्य’ माना जा रहा था, लेकिन stringers को होली क्या अप्रैल के दूसरे पखवाड़े तक भी मानदेय नहीं मिला, और अब तो अगस्त 2015 से मानदेय मिले 8 माह हो गए हैं, ‘ब्रह्मवाक्य’ से भी भरोसा टूट रहा है. कृपया संज्ञान लें. [/b]