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लखनऊ में धरना देते समय विक्रम राव और कामरान में हुई तकरार, देखें वीडियो

जिम्मेदार वरिष्ठ पत्रकारों / इन्साफ पसंद पत्रकार नेताओं से एक पत्रकार की गुजारिश

नीचे दिए गए वीडियो को ध्यान से देखिये। ये मौका था दिल्ली मे पत्रकारों के साथ बदसलूकी के खिलाफ हजरतगंज स्थित गाँधी प्रतिमा के नीचे विरोध प्रदर्शन का। इस तरह का मुजाहिरा पत्रकार एकता और एकजुटता की दलील भी देता है। लेकिन यहाँ का मंजर तो मकसद से विपरीत पत्रकारों के मतभेद, खंडित होने और बिखराव के साथ पत्रकार खुद बदसलूकी का शिकार होता दिखाई दिया। दो के बीच जमकर हुयी तकरार में एक वरिष्ठ था और एक उनसे काफी कनिष्ठ। एक युवा और एक बुजुर्ग। बुजुर्ग महोदय सम्मानित, जाने-पहचाने और राष्ट्रीय स्तर की ट्रेड यूनियन के संस्थापक अध्यक्ष हैं। दो पीढ़ियों के पत्रकारों के हुजूम के बीचो-बीच दो पीढ़ियों के इन दो पत्रकारों की तकरार मे दोनों मे कोई एक गलत और कोई एक सही होगा।

<p><span style="font-size: 12pt;">जिम्मेदार वरिष्ठ पत्रकारों / इन्साफ पसंद पत्रकार नेताओं से एक पत्रकार की गुजारिश</span> </p> <p>नीचे दिए गए वीडियो को ध्यान से देखिये। ये मौका था दिल्ली मे पत्रकारों के साथ बदसलूकी के खिलाफ हजरतगंज स्थित गाँधी प्रतिमा के नीचे विरोध प्रदर्शन का। इस तरह का मुजाहिरा पत्रकार एकता और एकजुटता की दलील भी देता है। लेकिन यहाँ का मंजर तो मकसद से विपरीत पत्रकारों के मतभेद, खंडित होने और बिखराव के साथ पत्रकार खुद बदसलूकी का शिकार होता दिखाई दिया। दो के बीच जमकर हुयी तकरार में एक वरिष्ठ था और एक उनसे काफी कनिष्ठ। एक युवा और एक बुजुर्ग। बुजुर्ग महोदय सम्मानित, जाने-पहचाने और राष्ट्रीय स्तर की ट्रेड यूनियन के संस्थापक अध्यक्ष हैं। दो पीढ़ियों के पत्रकारों के हुजूम के बीचो-बीच दो पीढ़ियों के इन दो पत्रकारों की तकरार मे दोनों मे कोई एक गलत और कोई एक सही होगा।</p>

जिम्मेदार वरिष्ठ पत्रकारों / इन्साफ पसंद पत्रकार नेताओं से एक पत्रकार की गुजारिश

नीचे दिए गए वीडियो को ध्यान से देखिये। ये मौका था दिल्ली मे पत्रकारों के साथ बदसलूकी के खिलाफ हजरतगंज स्थित गाँधी प्रतिमा के नीचे विरोध प्रदर्शन का। इस तरह का मुजाहिरा पत्रकार एकता और एकजुटता की दलील भी देता है। लेकिन यहाँ का मंजर तो मकसद से विपरीत पत्रकारों के मतभेद, खंडित होने और बिखराव के साथ पत्रकार खुद बदसलूकी का शिकार होता दिखाई दिया। दो के बीच जमकर हुयी तकरार में एक वरिष्ठ था और एक उनसे काफी कनिष्ठ। एक युवा और एक बुजुर्ग। बुजुर्ग महोदय सम्मानित, जाने-पहचाने और राष्ट्रीय स्तर की ट्रेड यूनियन के संस्थापक अध्यक्ष हैं। दो पीढ़ियों के पत्रकारों के हुजूम के बीचो-बीच दो पीढ़ियों के इन दो पत्रकारों की तकरार मे दोनों मे कोई एक गलत और कोई एक सही होगा।

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मोहम्मद कामरान ifwj के राष्ट्रीय पार्षद चुने गये हैं। उन्होने दर्जनों बार ifwj के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. विक्रम राव और upwju के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी से यूनियन के संविधान की जानकारी के लिये इन लोगों से यूनियन के कार्यालय में सम्पर्क किया। कई बार ई-मेल के जरिये संविधान माँगा। ये महत्वपूर्ण सवाल किया कि यूनियन के चुनाव बिना वोटरों / सदस्यों को किसी भी प्रकार की सूचना दिये बिना कैसे हो जाते हैं? अगर सूचना दी जाती है तो किस माध्यम से दी जाती है?  जब इन सवालों का जवाब नहीं मिला तब कामरान ने सार्वजनिक तौर पर पत्रकारों के समक्ष सवाल पूछने की कोशिश की।

राव साहब कह रहे हैं कि सबकुछ ifwj की website मे मौजूद है। यदि कामरान जी के सवालो का हर जवाब ifwj की website में मौजूद है तो आपको कामरान को गलत ठहराना पड़ेगा और उसे बेवजह परेशान किये जाने और नाहक सियासत करने का दोषी माना जाना चाहिये। यदि website मे ऐसी कोई जानकारी नही है तो आपको ifwj / upwju की कार्यशैली के खिलाफ खुल कर सामने आना होगा। बीच का कोई रास्ता नहीं बचता। आपको बताना ही होगा क्या किसी भी पत्रकार यूनियन से जुड़ा व्यक्तित्व या बाहरी पत्रकार भी यूनियन के बारे मे या उसकी कार्यशैली से जुड़ा सवाल नहीं पूछ सकता है? क्या किसी भी elected body की transparency नहीं होनी चाहिये? अगर ifwj की website पर यूनियन की सारी बाते हैं और चुनाव की सूचना यूनियन सदस्यों को दी गयी थी, फिर भी कामरान ऐसे सवाल बेवजह कर रहे तो कामरान को गलत ठहराया जाना चाहिए लेकिन यदि ifwj वोटरो/सदस्यो को बिना सूचना दिये चुनाव करवाता है तो क्या इन चुनावों को अवैध / असंवैधानिक / नाजायज माना जाना चाहिए। 

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कामरान जी द्वारा ifwj के संविधान की जानकारी कई बार माँगने के बाद भी नही दी गयी। जब एक विरोध प्रदर्शन में पत्रकारों के बीच संविधान की जानकारी माँगने का आग्रह किया तो राव साहब ने कामरान को डाट-डपट के सबके सामने कहा कि सारी जानकारी ifwj की website पर है। यदि website पर ऐसी कोई जानकारी नहीं तो क्या जिम्मेदार पत्रकारों को ifwj के अध्यक्ष श्री के विक्रम राव जी और उनकी यूनियन को गलत नहीं ठहराना चाहिये? तकरार का ये वाकिया जिन पत्रकारों के बीच हुआ था वहाँ बहुत सारे पत्रकारों में वरिष्ठ पत्रकार, ifwj के राष्ट्रीय पार्षद, प्रेस क्लब एवं Upsacc के पूर्व पदाधिकारी सुरेश बहादुर सिंह, Upsacc के अध्यक्ष प्रांशु मिश्र और फोटो ज्रर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएम पारी के अतिरिक्त कई जिम्मेदार वरिष्ठ पत्रकार मौजूद थे। इन पत्रकार नेताओं से निवेदन है कि सम्पूर्ण मामले पर अपनी राय और अपना फैसला सुनाते हुए पत्रकारों को अवश्य अवगत कराये कि पूरे वाकिये में सही कौन है और कौन गलत है? 

संबंधित वीडियो देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

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https://www.youtube.com/watch?v=wKMWlBWoUlQ

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शुक्रिया
नवेद शिकोह   
लखनऊ
09369670660
[email protected]

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0 Comments

  1. Subhash Gupta

    February 25, 2016 at 7:13 am

    अभी यह खबर भड़ास 4 मीडिया में पढ़ी, खबर को अच्छे तरीके से लिखा गया है। पूरी तरह निष्पक्ष दिखने की कोशिश भी नजर आती है। तुरंत ही आई. एफ. डब्लू. जे. की वेबसाइट देखी। इस वेबसाइट पर संविधान एकदम मिल गया। संविधान की एक पुरानी प्रति को स्कैन करके वेबसाइट पर डाल रखा है। काश यह खबर लिखने वाले साथी इस समाचारको लिखने से पहले में यह भी बता देते कि उन्होंने इतना सारा लिखने और दोहराने से पहले वेबसाइट देखने की जहमत क्यों गवारा नहीं की? तब वह शायद और अच्छे से टिप्पणी कर पाते। कृपया अन्यथा मत लीजिए। जब हम कुछ लिखते हैं तो पहले जांच पड़ताल का दायित्व भी हम पर ही आता है।

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