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बनारस के दो पत्रकारों विनय मौर्य और विजय विद्रोही ने देहदान कर मीडियाकर्मियों का सिर उंचा किया

बनारस के दो पत्रकारों ने देहदान कर युवाओं को प्रेरणा दी है. खबर विजन दैनिक समाचार पत्र के कार्यकारिणी संपादक विनय कुमार मौर्य और अमर उजाला में कार्यरत विजय शंकर विद्रोही ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मेडिकल कालेज जाकर शरीर संरचना विभाग में अपना देहदान कर दिया. दुर्भाग्य देखिए कि कंबल और फल वितरण की खबर छापने वाली वाराणसी मीडिया ने इस नेक खबर को प्रकाशित नहीं किया. इससे बनारसी मीडिया का दोगलपन एक बार पुन: सामने आ गया है.

बनारस के दो पत्रकारों ने देहदान कर युवाओं को प्रेरणा दी है. खबर विजन दैनिक समाचार पत्र के कार्यकारिणी संपादक विनय कुमार मौर्य और अमर उजाला में कार्यरत विजय शंकर विद्रोही ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मेडिकल कालेज जाकर शरीर संरचना विभाग में अपना देहदान कर दिया. दुर्भाग्य देखिए कि कंबल और फल वितरण की खबर छापने वाली वाराणसी मीडिया ने इस नेक खबर को प्रकाशित नहीं किया. इससे बनारसी मीडिया का दोगलपन एक बार पुन: सामने आ गया है.

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बनारस की पूंजीपतियों की पिछलग्गू मीडिया ने एक बार पुन: सिद्ध कर दिया है कि उन्हें सामाजिक सरोकार का कोई वास्ता नहीं है. मंगलवार को खबर विजन दैनिक समाचार पत्र के कार्यकारिणी संपादक विनय कुमार मौर्य और अमर उजाला में कार्यरत विजय शंकर विद्रोही ने सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में साहसिक पहल किया. इन दोनों युवाओं ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शरीर संरचना विभाग जाकर अपना देहदान कर दिया. इस दौरान इलेक्ट्रानिक मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया के पत्रकार हौसला अफजाई के लिए मौजूद रहे.

पूरे दिन व्हाट्सअप पर मीडियाग्रुपों में यह खबर तैरती रही लेकिन टीआरपीखोर मीडियाकर्मियों ने यह खबर न तो प्रकाशित किया और न ही प्रसारित किया. अमर उजाला ने तो अपने ही कर्मचारी की हौसला अफजाई के लिए खबर नहीं छापी. सुखद पहलू यह है कि संपादक विनय कुमार मौर्य पिछले महीने भर से लोगों को यह प्रेरणा दे रहे हैं कि अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीवन दूसरों के लिए भी होनी चाहिए. मरने के बाद आखिर शरीर का कोई औचित्य नहीं होता इसलिए देहदान हर एक व्यक्ति को करना चाहिए.

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0 Comments

  1. murda insaab

    April 14, 2016 at 7:03 pm

    खाल के व्यापारी देहदान का मतलब क्या जानें? ये तो बने ही सड़-सड़ कर मरने के लिए। इसलिए इनके मरने के बाद इनकी हराम की कमाई को इनकी औलादें तब तक उड़ाएंगी जब तक खुद भिखारी नहीं हो जाएंगी। उसके बाद पीढिय़ां प्रायश्चित्त करेंगी अपने पत्रकार बाप दादाओं के गुनाहों का।

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