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सियासत

भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को हिन्दुत्व के सही संस्कार नहीं दे पाएगी तो अपनी मौत मरेगी

Pushya Mitra : कल से सोशल मीडिया पर एक वीडियो चल रहा है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इसी वजह से स्वामी अग्निवेश की पिटाई हुई। उस वीडियो में स्वामी अग्निवेश ने बड़े तार्किक तरीके से हिन्दू अवैज्ञानिक मिथकों से लेकर, अमरनाथ यात्रा और कुंभ मेला तक की पोंगापंथी पर कड़े प्रहार किए हैं। कोई नासमझ आदमी ही उस वीडियो से असहमत हो सकता है। मैं उस वीडियो की हर बात से सहमत हूँ। संघी गुंडे चाहें तो मेरी भी पिटाई कर सकते हैं।

वैसे भी जो देश की हालत है उसमें हर समझदार आदमी को एक न एक दिन पिट ही जाना है। उनको भी पिटना है जो आज अपने तर्कों से इस हत्यारी विचारधारा के समर्थन में तर्क गढ़ रहे हैं। क्योंकि देर सवेर वहां तर्कों की जरूरत भी खत्म होने वाली है। सुषमा स्वराज जैसे लोगों को हुल्लाकर भगाने की शुरुआत हो चुकी है। अगर आप गाली गलौज और लाठी भाला से लैस नहीं हैं तो आप नकारा हैं।

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Sant Sameer : ख़बर है कि स्वामी अग्निवेश को भाजपा के कार्यकर्ताओं ने बुरी तरह पीटा है। कपड़े तक फाड़ दिए हैं। स्वामी अग्निवेश पर चाहे जितने किन्तु-परन्तु हों, पर जो हुआ है, बहुत बुरा है। लगता है कुछ लोगों को इस देश में हिन्दुत्व को लफङ्गई का धर्म बनाने की छूट दे दी गई है। जिस धर्म में दरवाज़े पर आए दुश्मन को भी देवता मानकर स्वागत करने की परम्परा रही हो, उस धर्म के झण्डाबरदारों में शायद अब एक वैचारिक आदमी तक का सामना करने की ताक़त नहीं बची है, जो वे लात-जूता करने पर उतारू हैं।

भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को हिन्दुत्व के सही संस्कार नहीं दे पाएगी तो अपनी मौत मरेगी, क्योंकि इस देश की मूल धारा अन्ततः अहिंसा की ही रहनी है। आप बहुसङ्ख्य हिन्दुओं को आतङ्कवादी नहीं बना सकते। सच तो यह है कि कुछ विवादों से परे हटकर देखा जाए तो स्वामी अग्निवेश जैसे लोग हिन्दुत्व के गौरव ही हैं। बात इतनी-सी है कि अग्निवेश अन्धविश्वासी नहीं हैं, और जो लोग अन्धविश्वासों का नाम हिन्दू धर्म रखना चाहते हैं, वे मूर्ख ही कहे जाएँगे। राम-कृष्ण के आदर्श और उनके धैर्य को समझिए, वरना इतिहास में आप राम-कृष्ण की विचारधारा के बलात्कारी के तौर पर ही दर्ज किए जाएँगे।

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Mahendra Mishra : इस बात को लेकर किसी को कोई भ्रम नहीं है कि सीधे और परोक्ष दोनों रूपों में इसके पीछे बीजेपी और संघ का हाथ है। दोनों अपने तरीके से अपनी फासिस्ट सत्ता को स्थापित करने के अपने मंसूबों के तहत काम कर रहे हैं। लेकिन ऐसे मौके पर उनके विरोधी यानी विपक्ष क्या कर रहा है? वो हाथ-पैर तोड़कर क्यों बैठा हुआ है? उसे इस बात को समझना चाहिए कि आज अग्निवेश हैं कल उसकी बारी होगी। आने वाले दिनों में अगर उनमें से बहुतों की हालत अफगानिस्तान के नजीबुल्लाह की हो तो किसी को ज्यादा अचरज नहीं होना चाहिए। इसलिए देश के लिए न सही, समाज के लिए न सही, किसी और के लिए न सही लेकिन खुद के भविष्य की सुरक्षा के लिए उसे आगे आना चाहिए। बावजूद इसके विपक्ष के किसी नेता में न तो कोई जुंबिश दिख रही है और न ही कोई इस बात की हिम्मत कर पा रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार पुष्य मित्र, संत समीर और महेंद्र मिश्र की एफबी वॉल से.

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