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उत्तर प्रदेश

भारतीय प्रेस परिषद ने 2018 का पत्रकारिता में उत्कृष्टता एवार्ड घोषित किया, देखें लिस्ट

ग्रामीण पत्रकारिता पुरस्कार रूबी सरकार को…

भारतीय प्रेस परिषद ने ‘पत्रकारिता में उत्कृष्टता-2018’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। वरिष्ठ पत्रकार रूबी सरकार को ग्रामीण पत्रकारिता श्रेणी के पुरस्कार के लिए चुना गया है। सुश्री रूबी को महिलाओं के भूमि अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए 14 अक्टूबर,2017 को ‘ज़मीन के पट्टे मिले, तो औरतों ने दिखाया जौहर’ शीर्षक से प्रकाशित खबर के लिए चुना गया है।

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सुश्री रूबी के साथ ही द हिंदू प्रकाशन समूह के अध्यक्ष एवं प्रख्यात पत्रकार एन.राम को प्रतिष्ठित श्रेणी के राजा राममोहन रॉय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। इसके अलावा दैनिक पुधारी, रत्नागिरि के राजेश परशुराम का चयन भी ग्रामीण पत्रकारिता के लिए, केरल कौमुदि के उप संपादक वीएस राजेश का चयन डेवलपमेंटल रिपोटिंग श्रेणी के लिए, राष्ट्रीय सहारा दिल्ली के सुभाष पॉल को फोटो जर्नलिज्म- सिंगल न्यूज पिक्चर के लिए तथा पंजाब केसरी के फोटो जर्नलिस्ट मिहिर सिंह को फोटो जर्नलिज्म -फोटो फीचर श्रेणी के लिए चुना गया है। सबको यह पुरस्कार 16 नवम्बर को राष्ट्रीय मीडिया केंद्र , दिल्ली में राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह में प्रदान किया जाएगा।

इन शख्सियतों का चयन परिषद की एक जूरी ने किया है, जिसके संयोजक अमर देवलापल्ली थे। सदस्यों में मुख्य रूप से परिषद के यूनाइटेड न्यूज ऑफ इण्डिया के संपादक अशोक उपाध्याय, डॉ. बलदेव राज गुप्ता, कमल नयन नारंग, राकेश शर्मा , सैयद राजहुसैन रिज़वी, प्रवात दास और प्रो. सुषमा यादव के नाम शामिल हैं।

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अपनी खबर में सुश्री रूबी सरकार ने यह बताने की कोशिश की है कि मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में भूमि के अधिकार पट्टे मिलने के बाद गोंड और कोरकू आदिवासी महिलाओं के जीवन में कितनी स्थिरता आई है। पहले उन्हें आजीविका की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ता था। खबर के माध्यम से उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया है, कि पितृसत्तात्मक समाज में कृषि के क्षेत्र में महिला श्रम की अत्यधिक योगदान के बावजूद उपेक्षा की जाती है। लेकिन वन अधिकार अधिनियम के तहत महिलाओं को संयुक्त भूमि अधिकार मिलने के बाद कैसे चमत्कारिक रूप से उनके जीवन में बदलाव आया है। इस समाचार से जनजातीय क्षेत्रों की महिलाओं में चुपचाप हो रहे क्रांतिकारी बदलाव का पता चलता है।

सुश्री रूबी को उनकी रपटों के लिए इससे पूर्व माजा कोयने सोशल जर्नलिज़्म अवार्ड, लाडली मीडिया एण्ड एडवरटाइजिंग जेंडर सेन्सिसिटीविटी अवार्ड 2017 के साथ ही बच्चों और महिलाओं के मुद्दों पर शोध और लेखन के लिए कई प्रतिष्ठित संस्थानों से फैलोशिप और अवार्ड मिल चुके हैं।

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