जब शासन सत्ता की तरफ से पुलिस को इनकाउंटर करने की खुली छूट दे दी जाती है तो उसका साइड इफेक्ट बड़ा भयावह होता है. कुछ भ्रष्ट पुलिस अधिकारी पैसे लेकर निर्दोष युवकों को इनामी बदमाश में तब्दील करने के लिए दिन-रात ‘मेहनत’ करने लगते हैं. बुलंदशहर के सौरभ अपने मां-पिता की इकलौती संतान हैं. मां नवोदय विद्यालय में प्रिंसिपल हैं. पिता किसान हैं.
इलाकाई थानेदार ने एक अपराधी किस्म के सपाई नेता के इशारे पर सुपारी लेकर सौरभ को इनामी बदमाश की कैटगरी में ला दिया है. सौरभ के परिजन शुरू से यहां-वहां साहब लोगों के दर पर अप्लीकेशन अर्जी देकर खुद के बेटे के बेगुनाह होने की दुहाई देते हुए न्याय के लिए याचना कर रहे हैं पर सुनता कौन है.
यह प्रकरण जब मेरे संज्ञान में आया तो अपने लेवल पर तफ्तीश कराई. मामला आपराधिक तत्वों से मिलकर पुलिस द्वारा एक निर्दोष युवक को फंसाने का निकला. तब लखनऊ में पदस्थ मीडिया के कुछ वरिष्ठ साथियों के सहयोग से डीजीपी के यहां सौरभ की अप्लीकेशन भिजवाई. डीजीपी आफिस के निर्देश पर एक जांच बुलंदशहर के सीओ के पास भेजी गई. न्याय अब तक सौरभ के लिए कोसों दूर है. निर्दोष सौरभ फिलहाल पच्चीस हजार के इनामी बदमाश बनाए जा चुके हैं.
कहां सौरभ के शादी-ब्याह की तैयारी होनी थी, अब कहां सौरभ जान बचाते यहां वहां भागते फिर रहे हैं. मां-पिता और अन्य परिजन दिन रात सौरभ की बेगुनाही को साबित करने के लिए एडीजी, कप्तान से लेकर सीओ तक टहल-भटक रहे हैं. पर आजकल के वक्त में अगर सोर्स-सिफारिश नहीं तो पुलिस किसी की सुनती कहां है. कुछ भ्रष्ट पुलिस वाले पैसे की खातिर तिल को ताड़ और ताड़ को तिल बनाने का हुनर खूब जानते हैं.
मामला बुलंदशहर के बीबी नगर थाना क्षेत्र के गांव बॉहपुर का है. यहां देवेंद्र सिंह का परिवार रहता है. इनकी पत्नी नवोदय विद्यालय में प्रिंसिपल हैं. इकलौता बेटा सौरभ गांव-घर में रहकर खेती-किसानी में पिता की मदद करता था. कभी मां के साथ हुई बदतमीजी के प्रतिरोध के एक मामले में डासना जेल में रह चुके सौरभ से गांव के ही कुछ आपराधिक किस्म के लोग रंजिश रखते हैं.
ये रंजिश गांव के कुछ लोग खुद को डॉन मनवाने और बाकियों को नीचा दिखाने वाली आपराधिक और सामंती मनोवृत्ति के चलते रखते हैं. सौरभ का स्वभाव किसी से दबने या झुकने वाला नहीं है. आत्मसम्मान और स्वाभिमान कूट कूट कर भरा होने के कारण उसे नीचा दिखाने के वास्ते गांव के कुछ आपराधिक किस्म के लोग पुलिस से मिल कर हत्या के किसी अन्य प्रकरण में फर्जी तरीके से उसका भी नाम जुड़वा देते हैं. उसके बाद धीरे-धीरे कुर्की से लेकर इनाम घोषित करने तक की कार्रवाई कर देते हैं.
सौरभ के पिता देवेंद्र का आरोप है कि बीबी नगर थाने के टाप टेन बदमाशों में से एक हरेंद्र उर्फ मांगे के इशारे पर उनके बेटे को हत्या के एक मामले में फर्जी तरीके से नाम डालकर फंसाया गया. फिर कोर्ट से कुर्की वगैरह कराने के बाद अब पच्चीस हजार का इनाम घोषित कर दिया गया है. यह सब एक सुनियोजित साजिश के तहत किया गया है. इस काम के लिए इलाकाई थानेदार ने अपराधियों से मोटा पैसा लिया और यह पैसा कई लेवल पर बंटा.
सौरभ के पिता देवेंद्र की जो अर्जी डीजीपी के पास भिजवाई, उसे यहां भी प्रकाशित किया जा रहा है. इस अर्जी के बाद का डेवलपमेंट ये है कि सौरभ के घर की कुर्की हो चुकी है, सौरभ पर पच्चीस हजार रुपये का इनाम घोषित किया जा चुका है.
इस तरह बुलंदशहर पुलिस ने अपने लॉ एंड आर्डर की फैक्ट्री से एक निर्दोष युवक को इनामी बदमाश बताकर मार्केट में लांच कर दिया है. अगर कभी सौरभ के मारे जाने की खबर छपे-मिले तो समझ लीजिएगा कि एक भ्रष्ट थानेदार ने पैसों के लालच में एक निर्दोष ग्रामीण युवक को फर्जीवाड़े के जरिए कागज पर इनामी अपराधी बनाकर मरवा डाला.
योगी सरकार के मंत्रियों, नेताओं, अफसरों, शुभचिंतकों से अपील है कि एक निर्दोष को मुठभेड़ में मारे जाने की पुलिस-अपराधी गठजोड़ द्वारा रची गई साजिश का संज्ञान लें. साथ ही दोषी पुलिस वालों के खिलाफ मुकदमा लिखकर उन्हें अरेस्ट किया जाए, ताकि वे फिर किसी निर्दोष को हत्यारा बताकर इनामी बदमाश न बना सकें, फिर किसी ग्रामीण युवक को फर्जी मुठभेड़ में मारने की साजिश न रच सकें.
लखनऊ से लेकर दिल्ली और मेरठ-बुलंदशहर के मीडिया के साथियों से अपील है कि इस केस की वे भी अपने लेवल से तफ्तीश करा लें. अगर उन्हें लगे कि सौरभ को जबरन अपराधी बनाया-बताया जा रहा है और मुठभेड़ में मारने की साजिश रची जा रही है तो कलम चलाएं, न्याय दिलाएं. गांधी जी को याद करें. सौ अपराधी भले छूट जाएं पर एक निर्दोष न जेल जाए. इसी तर्ज पर सौ अपराधी भले जिंदा रह जाएं पर एक निर्दोष न मारा जाए.
निर्दोष युवक को इनामी बदमाश में तब्दील करने वाली बुलंदशहर पुलिस के खिलाफ उठी आवाज में साथ दें. शेयर करें ताकि ये दर्द-पीड़ा सत्ता के फौलादी दरवाजों को चीर कर हुक्मरानों के कानों तक पहुंच सके.
जैजै.
भड़ास4मीडिया डॉट कॉम के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह की फेसबुक वॉल से.