Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

23 मार्च शहीद दिवस पर विशेष : निर्णायक संघर्षों के साथी बने रहेंगे भगत सिंह

भगत सिंह निर्णायक संघर्षों के साथी हैं। वह कल भी एक बेहतर मागदर्शक थे, आज भी है। संघर्ष हमारे व्यक्तिगत जीवन में बदलाव के लिए हो या राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए, शहीदेआजम हमेशा हमारे साथ कदम ताल करने के लिए तैयार खड़े दिखते हैं। उनका इंकलाब सड़ी-गली समाज-व्यवस्था में सब कुछ बदलने की बात करता है। खुद के व्यक्तिगत जीवन में वह कभी निराश नहीं रहे।

<p>भगत सिंह निर्णायक संघर्षों के साथी हैं। वह कल भी एक बेहतर मागदर्शक थे, आज भी है। संघर्ष हमारे व्यक्तिगत जीवन में बदलाव के लिए हो या राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए, शहीदेआजम हमेशा हमारे साथ कदम ताल करने के लिए तैयार खड़े दिखते हैं। उनका इंकलाब सड़ी-गली समाज-व्यवस्था में सब कुछ बदलने की बात करता है। खुद के व्यक्तिगत जीवन में वह कभी निराश नहीं रहे।</p>

भगत सिंह निर्णायक संघर्षों के साथी हैं। वह कल भी एक बेहतर मागदर्शक थे, आज भी है। संघर्ष हमारे व्यक्तिगत जीवन में बदलाव के लिए हो या राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए, शहीदेआजम हमेशा हमारे साथ कदम ताल करने के लिए तैयार खड़े दिखते हैं। उनका इंकलाब सड़ी-गली समाज-व्यवस्था में सब कुछ बदलने की बात करता है। खुद के व्यक्तिगत जीवन में वह कभी निराश नहीं रहे।

अपनी गिरफ्तारी से लेकर 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ाये जाने तक कभी उदास नहीं दिखे। जेल में अपनी क्रांतिकारी बातों से वह साथियों को हिम्मत देते रहे। तरह-तरह की यातनाओं का सामना करते हुए उन्होंने जीने का फलसफा कुछ यूं ढूंढ निकाला कि जिंदगी अपने दम पर जी जाती है, गैर के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठते हैं। उन्हें उन रास्तों से प्यार था जो उन्होंने चुने थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उस जमाने का अखबार ‘पीपुल्स’ लिखता है कि केवल क्षणिक उत्तेजना के चलते जिंदगी में इस तरह का रास्ता चुनने वाला इतनी कठिन अग्नि-परीक्षा नहीं दे सकता।… उनका अदम्य उत्साह, उच्च आदर्श, किसी के आगे सिर न झुकने वाली निर्भीकता सदियों तक न जाने कितने लोगों को रास्ता दिखाती रहेगी। आज भारतीय समाज में जिंदगी के दोराहे पर खड़े युवाओं के लिए भगत सिंह से बेहतर साथी और मागदर्शक कौन हो सकता है, जिनके विचार हमेशा ऊर्जा देते रहेंगे। थक-हारकार बैठ जाना भगत सिंह नहीं जानते थे। उनकी जिदंगी इंकलाब के लिए चेतना के बंद दरवाजों पर लगातार दस्तक देती दिखती  है, लाहौर षड्यंत्र में जेल से छूटते ही वो काकोरी दिवस मनाने की तैयारी करने लगे। उन्होंने काकोरी कांड में शामिल युवकों के चित्र इकट्ठे कर मैजिक लालटेन के जरिये स्लाईड बनाकर लाहौर के ब्रेडला हाल में जब कांति की हिमायत की तो घबराये ब्रिटिश हुक्मरानों ने निषेधाज्ञा जारी कर दी थी। साफ है, असफलता से घबराकर बैठ जाना भगत सिंह नहीं जानते थे। वह हमेशा नये रास्ते तलाशकर आगे बढ़ते रहे। उनका जीवन संदेश देता है कि राहें और भी हैं, दस्तक तो दो।

भगत सिंह व्यवस्था परिवर्तन के समर्थक थे। उनका संघर्ष सत्ता के गलियारों में चक्कर लगाकर बेदम नहीं होता, बल्कि परिवर्तन की राह थामे आम जन के जीवन में इन्कलाब का बीज बोना चाहता है। परिवर्तन के छ्द्म नारों के बोझ तले दबे, हालात से बेजार और न उम्मीद हो चुके लोगो को ये भरोसा दिलाता है, कि क्रांति का मतलब केवल खूनी लड़ाइया और व्यक्तिगत वैर निकालना नहीं है। क्रांति का मतलब उस व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म करना है, जो अन्याय और शोषण पर टिकी रहते हुए सिर्फ अपना हित पोषण करती है। उनके षब्दों में… जब तक ये काम हम नहीं करेंगे, तब तक मानव मुक्ति और शांति की बातें केवल ढोंग साबित होंगी। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

कैरियर या क्रांति, भ्रष्टाचार या परिवर्तन, विरोध या मौन के बीच कुछ कर गुजरने का जस्बा जब खामोशी से ‘बस इसके बाद करते हैं’, वाक्य का जाप करते हुए खुद के लिए सुरक्षित जगह की तलाश में दिशाहीन, भटकते हुए मुसीबतों से छुटकारा दिलाने के लिए मसीहा तलाश रहा हो तो एक साथी की तरह भगत सिंह के विचारों का हाथ जैसे आगे आकर कहता है, थाम लो मुझे और चल पड़ो, मुझे रचाओ, बसाओं खुद के अन्दर, रेंगो मत, छलांग भरो, पार कर जाओ सारे निषेधों को, उनके शब्दों में उसी दिन मुक्ति के युग का शुभांरभ होगा, जिस दिन आप अपनी लड़ाई को इस नजरिये से लड़ेंगे कि न तो राजा बनना है, न तो पुरस्कार प्राप्त करना है। हमे तो बस मानवता की गर्दन में दासवृत्ति का जुआ उतार फेंकने और मुक्ति और शांति स्थापित करने के लिए इंकलाब का रास्ता अपनाना होगा। 

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement