Ajit Singh : बहुत पहले सुविख्यात उपन्यासकार Ken Follet का एक उपन्यास आया था ….. JackDaws …… बड़ा फाडू उपन्यास था। मेरी माँ हॉस्पिटल में भर्ती थी। उनकी पथरी की सर्जरी हुई थी। मैं और धर्मपत्नी उनके पास गए। रस्ते से मैंने ये किताब खरीद ली। किताब इतनी जबरदस्त की छोड़ी न जाए। ऊपर से धर्मपत्नी बार बार रोक टोक करे। माँ की सेवा करने आये हो या किताब पढ़ने। अंत में मैंने तंग आ के उनसे कहा की अब सास की सेवा तुम करो 3 घंटा। मैं अभी आया। और अस्पताल के बाहर फुटपाथ पे बैठ के मैंने 3 घंटे में Jackdaws खत्म की। ज़बरदस्त किताब थी। एक बार अगर शुरू कर दी तो छोड़ नहीं सकते।
2nd world war की कहानी है। Germans ने france पे कब्जा कर लिया है। वहाँ resistance की एक टुकड़ी उनसे लड़ रही है। यही कहानी है। Germans ने interrogation के लिए बाकायदा रिसर्च की है। interrogation और torture के भी experts होते हैं। उसमें बताया है कि एक अत्यंत संभ्रांत महिला से कुछ उगलवाने के लिए ज़ोर ज़बरदस्ती या 3rd डिग्री की ज़रूरत नहीं होती। जर्मन अफसर उसे बड़ी इज़्ज़त से सोफे पे बैठाता है। उसे बियर पिलाता है। घंटे भर बाद महिला washroom जाना चाहती है। अफसर इसकी इज़ाज़त नहीं देता। कुछ देर में उस महिला के लिए असह्य हो जाता है और उसे लगता है कि वो अब वही सबके सामने ही कपडे गीले कर देगी। मनोवैज्ञानिक रूप से टूट के वो तुरंत सारी जानकारी उगल देती है।
कल CBI ने पूर्व PM मौन मोहन सिंह जी से पूछताछ की है। interrogation के मामले में CBI भी बेहद professional है। बड़ी नफासत से पूछ ताछ करते हैं। जी हुज़ूर …..जी sir ……. जनाब……. कर के …….पर 3 घंटे में अच्छे अच्छे बड़े बड़ों का मूत निकल जाता है उनके सामने। सब उगलवा लेते हैं। सोनिया और मनमोहन वो दिन शायद भूले न होंगे जब SIT ने मोदी से CM रहते 8 घंटे पूछताछ की थी। मनमोहन सोनिया बेशक भूल जाएँ मोदी तो नहीं ही भूले होंगे। सोनिया गांधी का मनमोहन के घर तक solidarity march यूँ ही नहीं है। CBI की पूछताछ से सबको डर लगता है जी। कोयले की दलाली इतनी भी आसान नहीं। कब आएंगे अच्छे दिन? आएंगे भी या नहीं?
सोशल एक्टिविस्ट अजीत सिंह के फेसबुक वॉल से.
Razaq Khan
March 16, 2015 at 3:48 am
Gaya wale Chacha Madan Tiwary urf Baba Baklol Kahan Gaye Ab kya jawab denge aap Ajit Dada ko ? Ha ha ha