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एनडीटीवी पर यह व्‍यर्थ का हंगामा

लोग सही कहते हैं कि जब प्रभावशाली व्‍यक्‍ति, समूह, संस्‍था किसी निर्णय से प्रभावित होते हैं तो उसका असर दूर तक जाता है, उसके पहले भले ही कई प्रभावित होते रहे हों किंतु उनकी सुनने वाला कोई नहीं होता। ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार ने एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण के पूर्व किसी ओर चैनल के द्वारा गलत जानकारी के सार्वजनिक किए जाने के बाद दण्‍ड स्‍वरूप उस पर रोक न लगाई हो, जिसने की न दिखाने वाली सामग्री का प्रसारण किया है। पर इस बार की बात कुछ ओर है, क्‍यों कि इस बार केंद्र के घेरे में एनडीटीवी आया है, जहां रवीश जैसे श्रेष्‍ठ एंकर हैं और उसे देखनेवाले दर्शक भी देश-दुनिया में बड़ी संख्‍या में मौजूद हैं।

<p>लोग सही कहते हैं कि जब प्रभावशाली व्‍यक्‍ति, समूह, संस्‍था किसी निर्णय से प्रभावित होते हैं तो उसका असर दूर तक जाता है, उसके पहले भले ही कई प्रभावित होते रहे हों किंतु उनकी सुनने वाला कोई नहीं होता। ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार ने एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण के पूर्व किसी ओर चैनल के द्वारा गलत जानकारी के सार्वजनिक किए जाने के बाद दण्‍ड स्‍वरूप उस पर रोक न लगाई हो, जिसने की न दिखाने वाली सामग्री का प्रसारण किया है। पर इस बार की बात कुछ ओर है, क्‍यों कि इस बार केंद्र के घेरे में एनडीटीवी आया है, जहां रवीश जैसे श्रेष्‍ठ एंकर हैं और उसे देखनेवाले दर्शक भी देश-दुनिया में बड़ी संख्‍या में मौजूद हैं।</p>

लोग सही कहते हैं कि जब प्रभावशाली व्‍यक्‍ति, समूह, संस्‍था किसी निर्णय से प्रभावित होते हैं तो उसका असर दूर तक जाता है, उसके पहले भले ही कई प्रभावित होते रहे हों किंतु उनकी सुनने वाला कोई नहीं होता। ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार ने एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण के पूर्व किसी ओर चैनल के द्वारा गलत जानकारी के सार्वजनिक किए जाने के बाद दण्‍ड स्‍वरूप उस पर रोक न लगाई हो, जिसने की न दिखाने वाली सामग्री का प्रसारण किया है। पर इस बार की बात कुछ ओर है, क्‍यों कि इस बार केंद्र के घेरे में एनडीटीवी आया है, जहां रवीश जैसे श्रेष्‍ठ एंकर हैं और उसे देखनेवाले दर्शक भी देश-दुनिया में बड़ी संख्‍या में मौजूद हैं।

एनडीटीवी इंडिया को लेकर जब से यह निर्णय आया है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 9 नवम्‍बर को एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण पर एक दिन के लिए रोक का आदेश दिया है, तब से देशभर में माहौल गर्म है। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार मीडिया पर सेंसरशिप लगा रही है, लेकिन क्‍या यह सच है?  सरकार पर आरोप लगानेवालों की बाते सुनने के पहले यह भी जानना जरूरी है कि आखिर ये चैनल या मीडिया के तमाम उपक्रम ऐसा कार्य करते ही क्‍यों हैं कि उन्‍हें कटघरे में खड़ा करने में  सरकारें सफल हो जाती हैं। आज जो लोग या मीडिया से जुड़े संस्‍थान सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं, क्‍या उनके लिए ये माना जाए कि वे देश की सुरक्षा से ऊपर घटना के प्रेषण को मानते हैं ? क्‍या यह माना जाए कि उनके लिए उन तमाम नियमों का कोई अर्थ नहीं जो मीडिया के लिए भारत सरकार ने बनाए हैं? इसके मायने यह भी निकल रहे हैं कि सरकार के इस निर्णय का विरोध कर मीडिया से जुड़े ये लोग भारतीय संविधान में भी कोई विश्‍वास नहीं करते, क्‍यों कि भारत का संविधान अभिव्‍यक्‍ति की आजादी देता है, जिसमें प्रेस की आजादी भी निहित है, लेकिन साथ में यह भी स्‍पष्‍ट करता है कि कोई भी वह सूचना सार्वजनिक नहीं की जा सकती जिससे भारत संप्रभू राष्‍ट्र को उस सूचना के प्रसारण से कोई खतरा पैदा होता हो या हो सकता है।

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जरा सोचिए, एनडीटीवी इंडिया के द्वारा जब आतंकियों के हमले और आर्मी, पुलिस कार्रवाही का पठानकोट कवरेज किया जा रहा था, उस समय की सभी लाइव सूचनाओं का लाभ लेते हुए आतंकवादी अपनी रणनीति बनाते तो क्‍या अनर्थ हो जाता। देश की सुरक्षा से जुड़ी वे सभी सूचनाएँ जिन्‍हें एनडीटीवी ने सार्वजनिक किया, उसका जरा भी लाभ उठाने में यदि आतंकी सफल हो जाते तो जितना नुकसान इस हमले और आतंकियों के विरुद्ध जवाबी कार्रवाही में हुआ, उसकी तुलना में कई ज्‍यादा जान-माल का नुकसान होता। दुनियाभर में भारत की किरकिरी होती सो अलग बात है।

सभी यह ठीक से जान लें कि आखिर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित अंतरमंत्रालय समिति ने एनडीटीवी इंडिया के इस विवादित प्रसारण पर कहा क्‍या है, उसने कहा कि गत 4 जनवरी को पठानकोट के वायुसैनिक अड्डे पर जब आतंकवादी हमला हुआ था, उस दौरान एनडीटीवी इंडिया ने सामरिक दृष्टि से संवेदनशील महत्वपूर्ण सूचनाएं अपने चैनल पर प्रसारित की थीं। न्यूज चैनल ने कुछ ऐसी बातें बता दी जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती थी। इस संबंध में पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीवी चैनल को कारण बताओ नोटिस जारी किया। मंत्रालय ने इसके बाद केबल टीवी नेटवर्क(नियमन) के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करते हुए 9 नवम्बर को रात एक बजे से दस नवम्बर रात एक बजे तक पूरे देश में चैनल के प्रसारण या पुनर्प्रसारण पर केबल टीवी चैनल एक्ट की धारा 20 की उपधारा 2 व 3 का उपयोग करते हुए 24 घंटे के लिए ऑफ एयर करने का निर्देश दिया।

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विदित होना चाहिए कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने जून 2015 में प्रोग्राम कोड में संशोधन करते हुए एक नया नियम जोड़कर आतंकियों के खिलाफ पुलिस के ऑपरेशन के कवरेज को लेकर चैनलों पर बैन लगाया था। इस नियम के अनुसार, जब तक ऑपरेशन खत्म नहीं हो जाता तब तक सरकारी प्रवक्ता जो जानकारी देंगे, मीडिया बस उसे ही प्रसारित कर सकता है, इसके अलावा नहीं। फिर ऐसा भी नहीं है कि एकाएक एक दिन चैनल बंद रखने का फरमान सरकार ने सुनाया है, इसके पहले एनडीटीवी को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया लेकिन जब वे ठीक से जवाब नहीं दे पाए और अपने प्रसारण को लेकर ये नहीं बता सके कि वह प्रोग्राम इस रूप में दिखाया जाना जनता के हित में कैसे था, तब जाकर सजा के रूप में यह निर्णय लिया गया कि चैनल एक दिन के लिए बंद रहेगा।

ऐसे में भारत में जो लोग एनडीटीवी चैनल बंद का विरोध कर रहे हैं, उनसे सीधा पूछना है कि क्‍या यूरोप के किसी देश में वहां की मीडिया इस प्रकार का देश को खतरे में डालने वाला प्रसारण कर सकती है। फ्रांस, अमेरिका, इंग्‍लैण्‍ड से लेकर कौन सा देश है ? जहां आतंकवादियों ने कभी हमला न किया हो, लेकिन सुरक्षा मामलों से जुड़ी कोई भी सूचना कभी सार्वजनिक नहीं की  गई ।आज भारत का वह मीडिया जो इस निर्णय का विरोध कर रहा है, उसे यह बात अच्‍छे से समझ लेना चाहिए कि राष्‍ट्र की संप्रभुता से बढ़कर कुछ नहीं। नियमों की जो अवहेलना करे, संविधान में प्रदत्‍त मौलिक अधिकार बोलने की स्‍वतंत्रता का अर्थ जो मर्यादा विहीन हो जाना समझें, उनके खिलाफ कानूनी तौर पर सख्‍त से सख्‍त कार्रवाही होनी चाहिए। फिर ये कार्रवाही किसी चैनल, समाचार पत्र-पत्रिका या किसी ओर के खिलाफ क्‍यों न हो,  यह सदैव न्‍यायसंगत ही कहलाएगी।

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आज एनडीटीवी इंडिया पर लगाए गए एक दिन के प्रतिबंध पर केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने बिल्‍कुल सही कहा है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र उठाया गया है। भाजपा या देश के आम आदमी की ओर से जो यह कहा जा रहा है कि ‘मीडिया की स्वतंत्रता का हम समर्थन करते हैं, लेकिन राष्ट्र सर्वप्रथम है, सुरक्षा से कोई समझौता नहीं हो सकता’ बिल्‍कुल सही है। इसके विरोध में फिर भले ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, जदयू नेता शरद यादव,  ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण जैसे कुछ लोग एवं राजनेता हों, उनका यह विरोध राजनीति से ज्‍यादा कुछ ओर नजर नहीं आ रहा है। प्रश्‍न यह भी है कि इन नेताओं का यह विरोध उस समय कहां था जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। सरकार ने एएक्सएन पर दो महीने का बैन लगाया था। उस समय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का कहना था कि इसमें दिखाया गया कंटेंट अश्लील था, जिस वजह से चैनल का प्रसारण रोका गया है। इसी दौरान एफटीवी इंडिया पर दो महीने का प्रतिबंध लगाया गया था। जनमत चैनल पर 30 दिन का प्रतिबंध इसलिए लगाया गया, क्‍योंकि चैनल पर एक टीचर का स्टिंग ऑपरेशन दिखाया गया था। इन प्रतिबंधों के अलावा भी इसके पूर्व और बाद में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कई चैनलों को उनके गलत प्रसारण के कारण प्रतिबंधित किया है, तब तो कोई देश में अवाज उठाने वाला खड़ा नहीं हुआ, अब ऐसा क्‍या नया सरकार ने कर दिया है जो देशभर में इतना शोर मचाया जा रहा है।

इसके अलावा जो लोग सरकार के इस फैसले को तुगलकी फरमान बता रहे हैं उन्‍हें ये भी समझना चाहिए कि सरकार मीडिया की अभिव्‍यक्‍ति पर कोई अंकुश नहीं लगा रही। बल्कि मीडिया में विदेशी निवेश को सबसे पहले भाजपा की अटल सरकार ने ही हरी झण्‍डी दिखाई थी, जिसका कि सबसे ज्‍यादा विरोध उसी के घर में उससे जुड़े अन्‍य संगठनों ने किया था उसके बाद मोदी सरकार भी उसी रास्‍ते पर आगे बढ़ रही है। जिससे स्‍पष्‍ट होता है कि मीडिया पर सरकार का कोई अंकुश लगाने का इरादा नहीं है। भारतीय संविधान जिस अभिव्‍यक्‍ति का स्‍वातंत्र्य देता है, सरकार कहीं से भी उसका दमन नहीं कर रही है।

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लेखिका Nivedita Sharma न्‍यूज एजेंसी की पत्रकारिता से जुड़ी हैं। उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है।

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0 Comments

  1. kaushal ojha

    November 7, 2016 at 9:07 am

    आज NDTV है तो जाहिर सी आंकलन है कि कल कोई और ऑफ एयर होगा. जाहिर सी बात लगती भी है की जिन कारणों का हवाला देकर ऑफ एयर होने का निर्देश दिया गया है वो यथार्थ नही है , बस प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने के लिए ये तोहफा मिला। समझाइए जरा की पठानकोट के वक्त ऐसी क्या जानकारी थी जो केवल एनडीटीवी ने ही दिया और बाकियों ने जैसे उस दौरान एलियन की खबरे चला दी हो. मैं गलत हूँ तो मुझे ठीक कीजिए. इसे मेरी बौखलाहट भी समझी जा सकती है इसलिए कि अगर सरकार से पत्रकार सवाल नहीं करेंगे तो उनके लिए कौन सवाल करेगा जिनके अधिकारों का सरकार जाने या अनजाने में हनन कर रही होगी. जन पक्षधरता और सरकार का विरोध एक बात तो नहीं है. विरोध के बजाये आलोचक कि भूमिका निभाए जाये तो ज्यादा बेहतर होगा. क्यों सरकार को ज़ी न्यूज़ जैसे चैनेल पे नकेल नहीं कसा जा रहा है , साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने की लिए ? भ्रामक और बेहकाऊ ख़बरें परोसी जाती है वो भी सिर्फ एक पक्ष के दृष्टिकोण से, इसे पत्रकारिता तो हरगिज़ नहीं कहते बल्कि चाटुकार कहने में हर्ज़ नहीं होना चाहिए. एनडीटीवी ने बस पत्रकारिता के आदर्शो का पालन किया , जो कहता है सरकार के विपक्ष में रहना चाहिए.

  2. MANISH KHANDELWAL

    November 7, 2016 at 9:08 am

    thanks Nivedita Sharma ji

    aapne bilkl sahi likha hai, dar ashal aaj desh mein do hi cheezo se nafrat ki jaa rahi rahi hai wo hai “MODI BHAKT or RSS” , sharmaji ek baat main yanha sabhi logo se puchna chaunga ki kisi pm ka fan hona koi galat hai kyta, main ek hindu hu or RSS ko Mujhe SUPPORT karna galat hai kya, kya muslim logo ki dharmik groups ko koi kuch nahi kahta ,sahi mayne mein aaj ravish kumar ho ya barkha dutt ya or koi sabhi kisi na ksis party ke supporter rahe hai, rahi baat sudhi chaudhry (ZEE NEWS) ki to jab BJP ki goverment nahi hogi tab inko bhi or NDTV YA ravish ke supporter ko bhi dekh lenge
    agar modi ke fans ko BHAKT kaha jata hai to ,kya RAHUL GANDHI ke fans ko CHAMCHE OR arvind Kejrival ke FANS Ko ka pasa palatu ( jo ki kabhi anty congrsee ,ya other anty party rahe ho ,lekin ab inke saath hi khade ho) kaha jaye

    or RAHI BAAT RSS KI HAR HINDU Uska supporter rahega ,kyon har aadmi rajneeti mein nahi hota

    NDTV Koitna hi dar hai SUPREME COURT ke raaste open hai ,wanha jaye or RAVISH KUMAR KO MAIN ye bolna chaunga ki KOI MERE DESH SE GADDRI KARE TO INSAALLAH USKE TUKDE HONGE
    Aagar dum hai RAVISH KUMAR TO TUM APNE fb page ” I AM WITH RAVISH KUMAR” par rahul ,arvind ,mamata, mulayam ,lalu or other non bjp leader ki buarai karke batao ……………………………….

    MANISH KHANDELWAL

  3. mm

    November 7, 2016 at 7:24 pm

    Kya baat kahi hai Manish Khandelwal ji ne… In Deshdrohi Netaon aur Channels ko tabhi samajh me aayega, jab Janta inke Sir par Hathauda Maregi… Janta to marney se rahi, kyonki Congress ne itney saalon se raj kar inhein “kamchor, muft me kuchh mil jaye, dalali etc etc” na janey kya-kya sikha diya (ragon me bhar diya). Ab Modi ji ke aaney se ye sab dheere-2 bund ho raha hai, janta jaag rahi hai, hamari Military Majboot ho rahi hai, to in “Deshdrohiyon” ko issi baat ka Darr sataa raha hai. Itna hi nahi, inhein apna Soodaa saaf hota nazar aa raha hai aur ye “Baukhlaye” hue hain… Issi Baukhlahat me inhein jo milta hai, ussi par baukhlaney, jhunjhlaney lagte hain aur ghar jakar shayad apna Baal bhi Nochte honge…. ki pahli baar koi sahi neta se palaa padaa hai…
    Kuchh bhi ho, to Modi ka naam… Arrey bhaiyye (Deshdrohiyon), NDTV par ban Soochna aur Prasaran mantralaya ne ban lagaya hai, na ki Modi ne. Har bat par Modi… Modi… Ssaley, Modi ka naam le-le ke ek din Pagla jayenge… Aap dekhiyega, wah din door nahin, jab aap sunenge ki Ye Khujliwal “Modi-Modi” kerte kerte ek din “Paglaa” gaya… Ye to achchaa hua ki abhi tak iss Deshdrohi ne Delhi Pollution par ye nahin kahaa ki, “Modi ne hi itna pollution failaya hai ki mai Khanste-2 aur behal ho jaun”…!

  4. mm

    November 7, 2016 at 7:36 pm

    Nivedita Sharma ji ko badhai aur sadhuwad…. ki aapney itni achchi jankari di aur kuchh Dalalon ko ab bhi aankh kholney ka mantra diya… Lekin, ye dalal aisi mitti ke baney ya banaye gaye hain, jin par aap, hum, khandelwal ji aur na jaaney kitney deshbhakton ki baton ka koi asar padey… Ye baney hi hain sirf Modi ki aalochna kerney ke liye… Main to kehta hoon ki ab wo din door nahin, jab desh ki janta inhein sabak sikhayegi.. Yadi Janta ne nahin sikhaya, to inhein hamari Sena (Military) sikhayegi… Jai Hind, Jai Bharat

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