ये सड़ा गला भ्रष्ट सिस्टम एक बुजुर्ग महिला को जीते जी कागजों में मार चुका है लेकिन सच यह है कि ”…दादी अम्मा जिंदा हैं…”. आगरा के वीडियो जर्नलिस्ट फरहान खान की मदद से तैयार और भड़ास के यशवंत द्वारा संयोजित-संपादित इस डाक्यूमेंट्री से पता चलता है कि यह तंत्र अपने बुजुर्गों के प्रति भी कितना असंवेदनशील और अमानवीय हो चुका है.
सत्तर साल की एक बुजुर्ग महिला खुद को जिंदा साबित करने के लिए साल भर से संघर्ष कर रही है. जब हर दफ्तर और हर अफसर से निराश हुई तो अब सीएम योगी से गुहार करने के वास्ते जिला मुख्यालय पहुंची. पूरी डाक्यूमेंट्री एक मैसेज देती है…. प्लीज, अपने सीनियर सिटीजन्स के साथ संवेदनशील रहें… उनके साथ हो रहे अन्याय को फौरन दूर करें….
इस डाक्यूमेंट्री को फेसबुक पर साझा करते हुए भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह लिखते हैं : इसे आप भड़ासी डाक्यूमेंट्री कह लीजिए या एक सत्तर साल की बुजुर्ग महिला की पीड़ा देखकर तैयार की गई वीडियो रिपोर्ट… पर असल बात ये है कि इसे बनाने में मैं तीन दिन से कई कई घंटे खर्च कर रहा था.. अब जाकर तैयार कर पाया हूं… डाक्यूमेंट्री का नाम है- ”दादी अम्मा जिंदा हैं”.
प्रिंट मीडिया का आदमी रहा हूं, सो वीडियो एडिटिंग में पारंगत नहीं हो पाया हूं. लेकिन सीख रहा हूं. एक गुरु मिले हैं, जो मूड में होते हैं तो कभी कभार ज्ञान दे देते हैं. अब तक दिए गए उनके शुरुआती तकनीकी ज्ञान के आधार पर ही काम चला रहा हूं. लेकिन असल चीज कंटेंट है. सिर्फ तकनीकी ज्ञान तब तक काफी नहीं होता जब तक उसके लिए ठीकठाक कंटेंट न उपलब्ध हो.
जब इस स्टोरी के रॉ फुटेज देख रहा था तो हृदय द्रवित हो गया. दादी अम्मा के समर्थन में थोड़ा-सा कुछ करने का मन हो गया. आज के दौर में जब बिकाऊ मीडिया को हिंदू-मुस्लिम और इन-उन नेताओं की तूतू-मैंमैं ही दिखाने से फुर्सत नहीं तो ऐसे सोशल इशूज को भला कौन उठाएगा. सोशल मीडिया के लोगों के कंधों पर दायित्व ज्यादा आ चुका है, इसे समझने की जरूरत है.
इस दादी अम्मा की कहानी इकलौती नहीं है. अंधे सिस्टम और इसके करप्ट कारिदों के चलते जो लूटतंत्र चहुंओर जमाने से चल रहा है, उसकी मार ऐसी लाखों-करोड़ों दादी अम्माओं पर पड़ती रही है. हमें इन सीनियर सिटीजन्स के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार होना चाहिए… बुढ़ापा एक रोज सबको घेरेगा दोस्तों. सो, अपने बुजुर्गों के वास्ते आंखों में थोड़ा सम्मान और थोड़ा पानी बचा कर रखना चाहिए.
वक्त हो तो नीचे दिए ”दादी अम्मा जिंदा हैं” डाक्यूमेंट्री को देखिए और इस बुजुर्ग महिला की न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाइए… इसके लिंक को ह्वाट्सअप, फेसबुक, ट्विटर आदि पर शेयर कर हर ओर फैलाइए… देखें ये डाक्यूमेंट्री….
सुमित सारस्वत
January 10, 2018 at 10:24 am
यह हकीकत है कि सोशियल मीडिया के कंधों पर दायित्त्व बढ़ गया है, क्योंकि मीडिया अब वास्तविकता नहीं दिखा रहा। आपका प्रयास सराहनीय।