अविनाश दास का मुंबई में कई वर्षों का संघर्ष रंग लाया. वह एक ठीकठाक बजट वाली फिल्म बना रहे हैं. फिल्म का निमार्ण काम शुरू हो चुका है. फिल्म का नाम ‘अनारकली आरावाली’ है. फिल्म की लीड रोड स्वरा भास्कर निभा रही है. कोरियोग्राफर हैं शबीना ख़ान. सिनेमेटोग्राफर अरविंद कन्नाबीरन हैं. अमरोहा में फिल्म के कई हिस्सों की शूटिंग 28 दिनों में पूरी हो चुकी है और अब दिल्ली में शूटिंग चल रही है. अविनाश एनडीटीवी न्यूज चैनल में काम कर चुके हैं. ब्लागर रहे हैं और कई अखबारों में काम किए हुए हैं. अपनी फिल्म को लेकर फेसबुक पर अविनाश दास का एक स्टेटस यूं है:
”बीस दिसंबर। अनारकली की शूटिंग का आखिरी दिन था। घर से फोन आया। सामने गौरी बाबू के यहां वियोगी भाईजी [Taranand Viyogi] आये हुए हैं। हम भागे भागे शाम सात बजे तक घर आये। बैठे और लंबा बैठे। खास बात ये थी कि बाबा पर भाईजी की किताब ‘तुमि चिर सारथि’ का नया संस्करण गौरीनाथ के रचनात्मक उद्यम ‘अंतिका प्रकाशन’ से छप कर आया था। आधी रात के करीब उसकी सौ से ज्यादा प्रतियां लेकर हम दिल्ली की सड़कों पर घूमे। अपने घर से उनके ठौर तक छोड़ने के बीच बाहर-बाहर हम करीब घंटे-डेढ़ घंटे रहे। पुराने किस्से, जिसमें यह भी शामिल था – जब पटना में सुबह सुबह अरुण नारायण घर आते थे और मैं उन्हें तुमि चिर सारथि का अनुवाद डिक्टेट करता था। उस आधे-अधूरे को ज्यादा जिम्मेदारी से भाई केदार कानन ने पूरा किया। पहला संस्करण ज्ञानरंजन जी ने पहल की ओर से छापा था और हिंदी के कई दिग्गजों को इस संस्मरण ने स्तब्ध किया था। उनमें अशोक वाजपेयी भी शामिल थे। आधी रात को वियोगी भाईजी की बहन के घर पर हमने इसका औचक प्रेमार्पण किया। तस्वीर भांजे और भतीजे ने उतारी। विश्व पुस्तक मेले में यह किताब अंतिका प्रकाशन के स्टॉल पर मिलेगी। आपलोग खरीद कर पढ़ना जरूर।”
वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज ने अविनाश की नई पारी पर उनकी दो पुरानी व नई तस्वीरों को शेयर कर इस नए सपने, हकीकत व चैलेंज के बारे में कुछ यूं लिखा है:
”अविनाश। इन दोनों तस्वीरों के बीच एक सपना बुना। एक तस्वीर अपनी रेखाएं खुद गढ़ती रही। कभी मिटी,कभी गाढ़ी हुई। बस,ज़िद गहरी होती गई। कुछ का मैं गवाह रहा,कुछ का साक्षी और कुछ सुनता रहा। अविनाश मुंबई के हर प्रवास में अपनी मुट्ठी सख्त करते गए। खुद को तौलते रहे। निर्देशक की जिम्मेदारी आसान नहीं होती। एक वक़्त आता है,जब आप के विचार से सभी सक्रिय और उत्साहित होते हैं। कठिन कोशिशों के बाद आज अविनाश की एक नयी यात्रा आरम्भ हुई है। आप उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दें। और दें हिम्मत। जा अविनाश, बना ले अपनी फ़िल्म!”