अरविंद, आपने पूछा है कि क्या मेरी मां चाचा के साथ सोई थी। क्या तुम ऐसे सवाल अपनी मां से कर लेते हो? किस घर्मग्रंथ से तुमने ऐसे सवालों की प्रेरणा पाई है मेरे मित्र। मेरी मां देवी हो या न हो, वो मां है इसीलिए मेरी नज़र कभी उसके सामने उठ भी नहीं सकती। वैसे भी मेरी मां तो भारत माता है। दोस्त मैं माफी चाहता हूं। मैं अपनी भारत माता से ये सवाल नहीं कर सकता। वैसे तुम लोगों की हिन्दी भी बहुत ख़राब है। आप जिस विचारधारा के गुप्त गुंडे हैं, आप भारत माता का अपमान कर सकते हैं लेकिन मैं नहीं कर सकता क्योंकि इससे तो उन शहीदों का अपमान हो जाएगा जिन्होंने भारत माता के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। गुप्त गुंडे इसलिए कहा कि आप ये ट्वीट न तो अपनी बहन को दिखा सकते हैं, न अपनी मां को या पत्नी को। ज़ाहिर है आप कभी सामने नहीं आएंगे। आप अपने पिता को भी नहीं दिखा सकते।
मित्र पता है मुझे लगता है कि कोई तुम्हें ब्लैक मेल कर रहा है। अभी तुमसे मुझे गाली दिलवा रहा है। एक दिन वो तुमसे कहेगा कि अब तुम अपनी मां को गाली दो नहीं तो पूरी दुनिया को बता देगा कि तुम्हीं हो जिसने रवीश कुमार की मां को गाली दी थी। ये जिस भी आई डी से, जिस भी संगठन के आई टी सेल से तुमने ये गाली लिखी है वो उसके रिकार्ड में है। वहां कोई सी सी टी वी कैमरा भी होगा। इसलिए मुझे तुम्हारी चिन्ता हो रही है। क्योंकि मुझे पता है कि तुम जब मेरी मां से मिलोगे तो तुरंत पांव छू लोगे। हम और तुम जिस धर्म परंपरा से आते हैं उसमें इतना तो सीख ही लेते हैं। मैं भी तुम्हारी मां के पैर ही छुऊंगा। वैसे मेरी मां रोज़ तुलसी की पूजा करती है। साल में अनगिनत व्रत रखती है। सूरज को जल चढ़ाती है। मैं उसे तीर्थ यात्राओं पर भी ले जाता हूं। तुम्हारी मां भी यही करती होगी। नहीं भी करती होंगी तो कोई बात नहीं। ईश्वर तो दिल में होता है। पर हम तो पत्थर को भी भगवान मानते हैं और तुम इतने पत्थर हो गए कि मेरी मां को क्या क्या कह गए। कोई बात नहीं। मैं तुम्हारे भीतर मौजूद वैचारिक पत्थर को भगवान मानता हूं। उसे पूजना चाहूंगा। जल चढ़ाना चाहूंगा। मैं अपनी मां से कहूंगा कि अरविंद अच्छा लड़का है। उसे अपना ही बेटा समझ कर माफ कर देना। मैंने कहां और कब हिन्दुओं के खिलाफ ज़हर उगला है एक प्रमाण तो दे दो। इस तरह की बातें लिखकर, व्हाट्स अप पर फैला कर आप हिन्दू धर्म को उसी तरह बदनाम कर रहे हैं जिस तरह आतंक की राह पर जाकर, आईसीस की तरफ जाकर कई लोग इस्लाम को बदनाम कर चुके हैं। माल्दा में जिन गुंडों ने यह हरकत की है उन्होंने कोई शान नहीं बढ़ाई है। मैं उस घटना पर भी लिखूंगा। मैं तुम्हारे लिए लिखूंगा क्योंकि मुझे पता है कि तुम दादरी की हकीकत के लिए कितने बेचैन थे। तुमने इखलाक के हत्यारों को सज़ा दिलवाने के लिए कैसे दिन रात एक कर दी थी।
इस तरह के कई मैसेज आए हैं । जिनके हिसाब से मैं पठानकोट हमले की रिपोर्टिंग कर रहा हूं। आप सब जानते हैं कि मैं छुट्टी पर हूं। मैं कैसे आतंकवादियों की मदद के लिए संवेदनशील सूचनाएं दे सकता हूं। इस तरह के अफवाह व्हाट्स अप पर फैला रहे हैं। असलियत यह है कि किसी भी चैनल ने लाइव रिपोर्टिंग नहीं की है। मैंने पठानकोट आपरेशन को असफल साबित करने का कोई प्रयास नहीं किया है। कई लोग कह रहे हैं कि असफल ही है। सेना के भी लोग कह रहे हैं। क्या सवाल उठाने वाले पूर्व सैनिक अधिकारी भी आतंकवादियों की मदद कर रहे हैं।
इस मैसेज के हिसाब से मैंने कहा है कि सैनिक कार्रवाई में मारे गए लोगों को आतंकवादी कहना गलत है। हद है। जब मैं छुट्टी पर हूं तो कब कह दी ऐसी बात। और मैं आतंकवादी को क्यों न आतंकवादी कहूंगा। वैसे प्रधानमंत्री ने मानवता के दुश्मन कहा है। इंडिया युनाइटेड नाम से भेजे गए इस मैसेज में कहा गया है कि मैंने ऐसा कह कर शहीदों का अपमान कर दिया है।
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क्या आपको भी व्हाट्स अप पर मुझे लेकर अफवाहें, लतीफे और गालियों वाले मैसेज मिल रहे हैं। क्या आपने इन गालियों को भेजने वाले की राजनीतिक और वैचारिक सोच के बारे में पता किया है ? अगर आप महिला हैं, लड़की हैं तो ऐसे गाली देने वालों से सावधान रहिएगा। इनकी प्रोफाइल नकली हो सकती है मगर कोई लिखने वाला तो होगा ही। किसी जगह से जुड़ा होगा। इनकी सोच नकली नहीं है। आपकी आज़ादी पर हमला न हो इसलिए आप लड़कियों के लिए ये पोस्ट लिखा है।
असहमतियाँ हो सकती हैं लेकिन गालियों और धमकियों की प्रवृत्ति दिन ब दिन घिनौनी होती जा रही है । इन्हें नोटिस में लाना जरूरी है । मुझसे असहमत होने वाले भी जान सकेंगे कि इस तरह सीमा पार कर जाने के बारे में उन्होंने भी नहीं सोचा होगा। मैं इन्हें भाव नहीं देता लेकिन हमारी राजनीति और समाज में असहमति के इस रूप को लेकर हम इतने सहज कैसे होते जा रहे हैं । इस बीमारी को रोकिये । कोई हमारे लोकतंत्र को बीमार कर रहा है।
मित्रों, हम किसके लिए सनक रहे हैं। क्या इस देश में बहुत सारे अच्छे और सस्ते अस्पताल बन गए हैं, क्या सरकारी स्कूलो की हालत इतनी बेहतर हो गई है वहां एडमिशन के लिए लोग मार कर रहे हैं, क्या सबको नौकरी मिल गई है। क्या दवाएं सस्ती हो गईं हैं, क्या सबके पेंशन का इंतज़ाम हो गया है, । प्लीज आई टी सेल में बर्बाद हो रहे हमारे नौजवानों को बचा लीजिए । इन लड़कों का कोई क़सूर नहीं है । कोई इन्हें अपने हित में जला रहा है । मैंने उन्हें बचाने के लिए लिखा है । अपनी माँ के लिए नहीं, भारत मां के बेटों के लिए लिखा है । जय माँ भारती, जय हिन्द ।
जाने माने पत्रकार रवीश कुमार के ब्लाग कस्बा से साभार.
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