बंसी कौल ने रंगकर्म के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया है| उन्होंने केवल रंगकर्म ही नहीं किया, बल्कि कई कलाकरों को प्रेरित और प्रशिक्षित भी किया है। उन्होंने उन लोक रूपाकार नाटकों को सक्रिय किया जो भुलाए जा चुके थे| उक्त विचार उन्होंने अभिनव रंगमंडल उज्जैन / इंदौर द्वारा आयोजित रंग बंसी राष्ट्रीय नाट्य समारोह में बंसी कौल के सम्मान में अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कही। उन्होंने कहा कि जिन गैर हिन्दीभाषियों ने मध्यप्रदेश में रंगकर्म को लेकर क्रांतिकारी काम किया उनमें हबीब तनवीर, बी. व्. कारन्त और बंसी कौल शामिल हैं|
उन्होंने बड़े पैमाने पर युवाओं को जोड़कर सामाजिक कल्याण का काम किया है| यह काम उन्होंने बिना थके किया और हम सब जानते हैं कि उन्हें वह नहीं मिला जिसके वे हकदार थे, फिर भी उनके मन में कोई कटुता नहीं है| हम एक ऐसे समाज हैं जो कलाकारों और साहित्यकारों की चिंता नहीं करता। कलाओं से जुड़ना भी एक तरह की आध्यात्मिकता है। हम रंगमंच से जुडकर कलात्मक प्रयत्न कर सकते हैं|
मुख्य अतिथि के रूप में ख्यात अभिनेता ओम पुरी ने कहा कि बंसी कौल इतने शहरों में घूमे हैं, इतनी जगह जाकर रंगकर्म किया है कि वे किसी एक जगह नहीं रह गये हैं बल्कि वे तो विश्व नागरिक बन गये हैं। उन्होंने कहा कि बंसी कौल ने रंगकर्म के लिए इतना काम किया है कि उन्हें सदियों तक याद किया जाता रहेगा| वे अगर चाहते तो फिल्मों में जाकर अरबपति बन जाते पर उन्होंने वो रास्ता नहीं चुना जो हमने चुना। हमने समझोता कर लिया पर बंसी ने नहीं|
विशेष अतिथि के रूप में प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका कलापिनी कोमकली ने कहा कि मैंने उनके नाटक देखे हैं, मैं उन्हें प्रणाम करती हूँ| अपने सम्मान के प्रतिउत्तर में बड़े ही विनम्र भाव से बंसी कौल ने कहा कि यह मेरा नहीं बल्कि नाटकों के दर्शकों का भी सम्मान है क्योंकि बिना दर्शकों के कला और कलाकार जीवित नहीं रह सकते| इस अवसर पर उन्हें “अभिनव सम्मान” प्रदान किया गया। छह दिवसीय रंग सम्मान में बंसी जी के चार नाटक मंचित किये गये। दर्शकों की उपस्थिथि भरपूर रही। सारे दर्शकों ने खड़े होकर देर तक बंसी जी के सम्मान में तालिया बजाईं| इस अवसर पर शरद शर्मा द्वारा निर्देशित कोर्ट मार्शल का ९४वां प्रदर्शन किया गया| कार्यक्रम का संचालन रंगमंडल प्रमुख शरद शर्मा ने किया तथा आभार विकास सिहं द्वारा प्रकट किया गया|
प्रस्तुति : शरद शर्मा