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जेसिका लाल, आरूषी की तरह सलमान खान केस में भी मीडिया ट्रॉयल शुरू हो!

वर्ष 1999 याद कीजिए. एक बिगडैल शहजादे मनु शर्मा ने शराब ना परोसने के दण्डस्वरूप दिल्ली में मॉडल जेसिका लाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उस समय यह भी बात उछली थी कि आरोपी पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा का रिश्तेदार भी था. बेहद हाईप्रोफाइल केस की चार साल तक चली सुनवाई के बाद आरोपी को निचली अदालत ने यह कहते हुए बरी कर दिया था कि उसे पुख्ता सुबूत नहीं मिले थे.

जहां तक मेरी जानकारी है, इस शर्मनाक फैसले के खिलाफ जेसिका के रिश्तेदार, कुछ एनजीओ लामबंद हुए थे और ‎NDTV‬ एनडीटीवी सहित कुछ और न्यूज चैनलों ने मुहिम को थामते हुए असली न्याय पाने की लडाई लडी थी. संभवत: राष्ट्रपति के पास प्रकरण को पुन: खोलने की मांग की गई थी तथा इजाजत मिलने के बाद मामला पुन: उपरी अदालत में चला और अन्तत: मुख्य आरोपी मनु शर्मा को 2006 में उम्र कैद की सजा हुई थी और जेसिका के परिजनों को न्याय मिला था. इस पर एक फिल्म भी बनी जिसका नाम था : नो वन किल्ड जेसिका.

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अभी ताजा मामला सलमान खान से जुडा है. अगर हम सबको लगता है कि अभिनेता सलमान खान के मामले में पैसों और रसूख के दम पर न्याय को खरीदा गया है तथा लैण्डक्रूजर कार से मारे गए लोगों के परिजनों को न्याय मिलना चाहिए तो एक बार पुन: हम सबको इस फैसले के खिलाफ उठ खडा होना चाहिए. अपने फैसले में एक न्यायाधीश ने माना है कि पुलिस ने मामले को ठीक से जांचा नहीं और ना ही सुबूत पेश किए.

मैंने पत्रकारिता में पढा है कि लोकतंत्र के तीन खम्भे— न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका किसी को न्याय दिलाने में असमर्थ होते दिखें तो फिर चौथे स्तंभ खबरपालिका को इसकी मशाल थमानी चाहिए. फिलहाल पत्रकारिता में आने को इच्छुक नई कोपलों को पढा रहा हूं और उन्हें बताता हूं कि किस तरह एनडीटीवी ने मॉडल जेसिका लाल हत्याकाण्ड में ईमानदारी दिखाई इसलिए मुझे सबसे ज्यादा उम्मीद एनडीटीवी से है.. रवीश कुमार से है और बाकी न्यूज चैनलों से भी.

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टीवी—अखबार वाले अपने समाज की संवेदनहीनता और गैरजिम्मेदारी पर बडे हमले करते हैं तब सलमान खान के मामले में चुप कैसे रहा जा सकता है.  यदि मीडिया ने ऐसा नही किया तो यह धारणा ज्यादा बलवती हो जाएगी कि चौथा स्तंभ— सिस्टम, पूंजीपतियों और रसूखदारों की रखैल हो गया है. उम्मीद जिंदा है क्योंकि अभिनेता संजय दत्त मात्र बंदूक रखने के आरोप में जेल जा सकते हैं तो सलमान खान क्यों नहीं जिसकी लैंडक्रूजर गाड़ी ने गरीबों को कुचलकर मार डाला. साफ है कि मॉडल जेसिका लाल, आरूषी की तरह ही सलमान खान केस में भी मीडिया ट्रॉयल शुरू हो.

लेखक अनिल द्विवेदी वरिष्ठ पत्रकार और रिसॅर्च स्कॉलर हैं. वे इन दिनों सन स्टार अखबार में एडिटर पद पर कार्यरत हैं. संपर्क: 09826550374

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