वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल का फेसबुक अकाउंट अगर शिकायतों के आधार पर मार्क जकरबर्ग की टीम ने ब्लॉक कर दिया है, तो वे इसकी शिकायत फेसबुक से कर सकते हैं. साथ ही नई मेल आईडी बनाकर अपना एक दूसरा फेसबुक अकाउंट भी बना सकते हैं. जहां तक मेरी जानकारी है, इसके पहले (इंडिया टुडे ग्रुप जॉइन करते वक्त) एक बार वे खुद ही अपना अकाउंट डिलीट कर चुके हैं. तब उन्होंने फेसबुक पर अपना नया अकाउंट बनाया था या पुराने अकाउंट को ही restore किया था, पक्के तौर पर मुझे पता नहीं.
लेकिन दिलीप मंडल का फेसबुक अकाउंट बंद होने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को कोसना किसी भी सूरत में उचित नहीं है. मोदी सरकार के कार्यों-आचार-विचार पर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी समेत कई लोग टिप्पणी करते रहते हैं, जो जरूरी नहीं है कि हर वक्त मोदी सरकार के फेवर में ही हो. उन सबका अकाउंट तो बंद नहीं हुआ?
सो अगर कुछ -भक्तों- की शिकायत पर दिलीप मंडल का एफबी अकाउंट बंद हुआ है, तो उचित मंच पर शिकायत के बाद यह दोबारा एक्टिवेट भी हो जाएगा. मुझे नहीं लगता कि इस मसले का केंद्र सरकार से कोई लेनादेना है.
नाहक तिल का ताड़ ना बनाइए. एक-दो बार मेरा एकाउंट भी बंद हो चुका है जो बाद में खोल दिया गया था.
अभी-अभी फेसबुक पर दिलीप जी का पक्ष किसी की वॉल पे देखा. फेसवैल्यू पे ये मान रहा हूं कि ये लिखा दिलीप मंडल का ही है, सो उसे यहां कॉपी पेस्ट कर रहा हूं. इसमें दिलीप जी ने कहा है कि वे नया अकाउंट खोलकर चोर दरवाजे से नहीं आना चाहते.
बेशक ना आएं, पर मैं मानता हूं कि मुहब्बत और जंग में सब जायज है. अगर आपको अपनी बात कहनी है, किसी भी मंच पर, तो आपको कोई चाहकर भी कोई नहीं रोक सकता. कितना रोक लेगा कोई!!! इसके लिए आपको सारे जतन करने चाहिए.
बहरहाल, दिलीप जी का पक्ष किसी मित्र की वॉल से कॉपी कर यहां पेस्ट कर रहा हूं.
” उनसे कोई शिकायत नहीं है, जो मेरे नाम की नक़ली प्रोफ़ाइल बनाकर उस पर कुछ कुछ लिख रहे हैं। यह सब शरीर से बड़े हो चुके कुछ बच्चों का खेल है। डायपर पहनकर जो विरोध और विमर्श का तमाशा कर रहे हैं, उन बेचारों पर तो नाराज़ हो पाना भी मुश्किल है। उनकी भाषा उनका परिचय है, उनके हिसाब से उनका “संस्कार” है। प्लीज़, उन्हें माफ़ कर दीजिए।
जो लोग मेरे बारे में संदेह में हैं, उनसे सिर्फ यह कहना है कि अगर आपको अब भी नहीं मालूम कि मैं क्या लिख सकता हूँ और क्या नहीं, तो यह आपकी समस्या है। मैं आपकी मदद करने के मूड में नहीं हूँ।
लेकिन फेसबुक, तुम्हें क्या हो गया है? हो सकता है कि तुम्हें हजारों की संख्या में शिकायतें मिली होंगी कि मेरा एकाउंट फ़र्ज़ी है। चला होगा कोई कैंपेन। लेकिन तुम्हारे पास मेरी आईडी है, फ़ोन नंबर है। एक बार पूछ लेते। कोई सरकारी पहचान माँग लेते। वेरिफाई कर लेते। लेकिन तुमने बिना कुछ पूछे, एकाउंट डिसेबल कर दिया। क्यों? सरकार का दबाव था? या RSS की शिकायत थी? या आपके दफ़्तर के किसी जातिवादी स्टाफ़ की निजी खुन्दक है? किसी की भावना आहत हो गई है क्या? चलो बता भी दो। शर्माने की क्या बात है?
अगर मेरे लिखे से किसी को शिकायत है, किसी की मानहानि हुई है, शांति व्ववस्था को ख़तरा है, सौहार्द नष्ट हो रहा है, IPC की किसी धारा का उल्लंघन हुआ है, तो कानूनी व्वस्थाओं के तहत कार्रवाई का रास्ता सबके लिए खुला है। लेकिन फेसबुक चलाने वाले, खासकर उसके इंडिया ऑफ़िस में बैठे लोग, बताएँ कि ऐसी किसी शिकायत के बग़ैर, आपने एक एकाउंट को डिसेबल करने का फैसला क्यों किया?
कोई तो वजह होगी?
बताओ फेसबुक, क्यों बंद किया एकाउंट? वैसे तो रास्ता यह है कि मैं एक और एकाउंट खोल लूँ। लेकिन चोर दरवाज़े से मैं क्यों आऊँ? चोर दरवाज़े से, छिपकर एकाउंट बंद करने का काम तो तुमने किया है फेसबुक। शर्म आनी चाहिए। अब आपका यह क्लेम तो खंडित है कि आप विचारों और आइडिया के लिए एक सर्वसुलभ डेमोक्रेटिक मीडियम हैं।
फेसबुक,
क्या आपको पता है कि भारतीय संविधान में विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विधान है। आप रॉंग साइड में चल रहे हो फेसबुक महोदय। मैंने आपका चालान काट दिया है।.—-“
नदीम अख्तर के एफबी वाल से
manoj rahi
August 24, 2015 at 8:49 pm
Priya Dilip ji, apke barey mein kafi pata ker chuka hun, per aap hain ki milney-milaney ki koshish hi nahin kerte…! Pl. apna mobile no. dijiye… mainey bhadas4media ke madhyam se kai bar apka details manga, per sab vyarth raha.
Apka purana Mitra…
mera mobile no… 9935833496