विनोद कापड़ी इन दिनों काफी परेशान और अपनी सुरक्षा को लेकर सशंकित हैं। फिल्म प्रदर्शन की तैयारियों के सिलसिले में वह मुंबई में हैं। अंधेरी वेस्ट (मुंबई) के वीआईपी प्लाजा में मौजूद साउंड स्टूडियो के मालिक ने उन्हें बताया है कि हरियाणवी वेशभूषा वाले तीन लोग उन्हें पूछते हुए स्टूडियो पहुंचे थे। डरे-सहमे कापड़ी ने पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई है।
पत्रकार से फिल्म डायरेक्टर बन गए विनोद कापड़ी की फिल्म ‘मिस टनकपुर हाजिर हो’ के खिलाफ मुजफ्फरनगर के भैंसी गांव से खाप ने फरमान जारी किया है। अहलावत खाप ने कहा है कि जो भी फिल्म के निर्देशक का सिर कलम करेगा, उसे 51 भैंस इनाम में दी जाएगी। आरोप है कि फिल्म में खापों की गरिमा पर सवाल खड़े किए गए हैं। फिल्म में अपमानजक बातें कही गई हैं। खाप ने केंद्र सरकार और सेंसर बोर्ड से फिल्म के पर रोक लगाने की मांग की है।
यशवंत सिंह लिखते हैं- ‘मिस टनकपुर हाजिर हों’ नाम से इस फिल्म का मुख्य चरित्र है ‘मिस टनकपुर’। ये एक भैंस है। सच्ची में। पूरा ताना-बाना एक भैंस के साथ बलात्कार को लेकर बुना गया है। अब आप कहेंगे कि भैंस से बलात्कार? जी हां, भैंस से बलात्कार। मुझे मालूम है, अब आपका मूड उखड़ गया होगा और इस विकृत किस्म के सब्जेक्ट पर बनी फिल्म को देखने से तौबा कर लेंगे। लेकिन एक चीज ध्यान रखिए. आजकल कामेडी के लिए पोर्न, सेमी पार्न, द्विअर्थी संवाद टाइप चीजें ही सुपरहिट हैं, सो, विनोद कापड़ी को भी फिल्म हिट कराने के लिए भैंस से बलात्कार और फिर इस मामले की सुनवाई, गांव में पंचायत, अधिकारी, डाक्टर, पुलिस, मीडिया, कोर्ट आदि संस्थाओं-व्यक्तियों के चरित्रों को शामिल करते हुए, समेटते हुए फिल्म की पूरी पटकथा का निर्माण करना पड़ा। इन्हीं ‘मिस टनकपुर’ को कोर्ट में हाजिर कराने के लिए जब आवाज लगायी जाती है तो एक भैंस को कोर्ट के अंदर ले जाया जाता है। वैसे, थोड़ा अजीब है न? एक संपादक अपने सहकर्मी से रेप की कोशिश में गिरफ्तारी की लटकती तलवार को झेल रहा है वहीं दूसरा पूर्व संपादक एक भंइसिया से रेप के सब्जेक्ट को लेकर फिल्म बना डाला।’