शाहजहाँपुर/लखनऊ (उ.प्र.) : उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री से लोहा लोने वाले जुझारू पत्रकार जगेंद्र सिंह की मौत हो गई। पुलिस द्वारा डाली गई दबिश के दौरान जलकर घायल हुए जगेंद्र सिंह ने आज लखनऊ के सिविल अस्पताल में आखरी साँस ली।
दूसरे चित्र में जलने के बाद गंभीर हालत में जगेंद्र सिंह
लम्बे समय से सोशल मीडिया पर लिख रहे पत्रकार जगेन्द्र सिंह पिछले दिनों पुलिस दबिश के दौरान गंभीर रूप से जल गए थे। जलने के उपरांत उन्हें शाहजहांपुर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां से उन्हें डाक्टरों ने लखनऊ के सिविल अस्पताल रेफर कर दिया। वहां 60 प्रतिशत से अधिक जल जाने के कारण हालत में सुधार नहीं हुआ। आज सुबह हालत बिगड़ जाने के कारण उन्हें मेडिकल कालेज ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
जगेंद्र सिंह ने अपने एफबी वॉल पर एक जून को अपनी आखिरी पोस्ट में लिखा था- ”उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा एमएलसी टिकट के प्रबल दावेदार अमित यादव उर्फ रिंकू की राह में रोड़े अटकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राममूर्ति ने रिंकू को राजनीति में आने से रोकने के लिए अपने कई करीबियों को टिकट की लाइन में लगवा दिया है।
”दरअसल राममूर्ति सिंह वर्मा ने जिन लोगों को एमएलसी के टिकट के लिए लाइन में लगाया है उनके भी भले नहीं हैं। सपा में भितरघात कराकर वह एक हाथी वाले अपने करीबी को टिकट दिलाने की जुगत में लगे हैं। आज भले ही विधायक राजेश यादव व सपा जिलाध्यक्ष तनवीर खां उनके कंधे से कधा मिलाकर खड़े नजर आ रहे हों, लेकिन सच यह है कि चेयरमैनी के चुनाव में उन्होने एक प्रत्याशी को मैदान में उतारकर तनवीर खां की राह में भी रोड़े अटकाए थे। विधानसभा चुनाव में उन्होने भाजपा प्रत्याशी की मदद की थी। भितरघात की पुरानी आदत के कारण बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। मौका परस्त राजनीति करने वाले राममूर्ति सिंह वर्मा 2017 में देखो किस पार्टी में नजर आएं।”
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mamta yadav
June 8, 2015 at 6:28 pm
एक पत्रकार ने उत्तरप्रदेश के एक मंत्री के खिलाफ आवाज उठाई। अंजाम! उस पत्रकार को जला दिया गया! वह आखिरी दम तक कहता रहा कि इसमें मंत्री का हाथ है उसके घर पर पहले भी जानलेवा हमला हो चुका है। लेकिन सरकार का गुलाम पंगु सिस्टम क्या करता? कुछ नहीं। सोशल मीडिया पर सारे जमाने की फिक्र जताने वाले पत्रकार भी शांत हैं। क्यों? हर तरफ पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं जो खुलकर बोल रहे हैं, लिख रहे हैं।
यहां वे पत्रकार जरूर ध्यान दें जो नेताओं मंत्रियों के साथ फोटो खिंचाकर खुद को धन्य महसूस करते हुये पब्लिसिटी करते रहते हैं। अगले बार जब फोटो खिंचाने खडे हों तो उनसे ये जरूर कहें कि पत्रकारों की सुरक्षा खासकर निष्पक्ष लिखने वाले पत्रकारों क सुरक्षा के लिये भी कुछ करें। विधानसभाओं में लोकसभा—राज्यसभाओं में।