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साहसी पत्रकार यशवंत सिंह पर हमला करने वालों के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई करे सरकार : शंभूनाथ शुक्ल

Shambhunath Shukla : वरिष्ठ पत्रकार Yashwant Singh पर हुए हमले पर पत्रकार जगत चुप है. असहिष्णुता को लेकर हल्ला-गुल्ला करने वालों ने भी एक शब्द नहीं कहा. जबकि यशवंत पर हमला सही में एक ज़मीनी पत्रकार पर हमला है. पत्रकारों की अपनी रोज़ी-रोटी और उसकी अपनी अभिव्यक्ति के लिए सिर्फ यशवंत सिंह ही लड़ रहे हैं. उन्होंने मीडिया हाउसेज और सत्ता की साठगाँठ की परतें उजागर की हैं.

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Shambhunath Shukla : वरिष्ठ पत्रकार Yashwant Singh पर हुए हमले पर पत्रकार जगत चुप है. असहिष्णुता को लेकर हल्ला-गुल्ला करने वालों ने भी एक शब्द नहीं कहा. जबकि यशवंत पर हमला सही में एक ज़मीनी पत्रकार पर हमला है. पत्रकारों की अपनी रोज़ी-रोटी और उसकी अपनी अभिव्यक्ति के लिए सिर्फ यशवंत सिंह ही लड़ रहे हैं. उन्होंने मीडिया हाउसेज और सत्ता की साठगाँठ की परतें उजागर की हैं.

लेकिन अब न तो वामपंथी न दक्षिणपंथी कोई भी संगठन उनके साथ खड़ा हो रहा है. बहरहाल कोई हो न हो, लेकिन मैं इस साहसी और कर्मठ पत्रकार यशवंत सिंह पर हुए हमले की कड़ी भर्त्सना करता हूँ. मैं फेसबुक के अन्य साथियों से भी अपील करूँगा कि वे साथी यशवंत पर हुए हमले की निंदा करें और सरकार पर दबाव डालें कि वह हमलावरों के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई करे.

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कई अखबारों में संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला के उपरोक्त एफबी स्टेटस पर आए ढेरों कमेंट्स में से कुछ चुनिंदा इस प्रकार हैं….

Nirmal Kumar जिस तरह की पत्रकारिता यशवंत सिंह जी करते हैं मुझे पहले से अंदेशा था कि ऐसा होगा। आज की तारीख में ईमानदार को कोई देखना नहीं चाहता। ईमानदारी एक ऐसी रौशनी की तरह हो गयी है जो चहुँ ओर व्याप्त बेईमानी और भ्रष्टाचार के अँधेरे को चीरती है इसलिए इन धतकर्मों में लिप्त लोग रौशनी के स्त्रोत को ही बंद करने में लगे हैं काली कोठरी के रोशनदान को बंद करने में लगे हैं। धिक्कार है डरपोक सियासतदानों पर।

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Thakur Ramsingh Chhonkar सचतो यह है कि दक्षिणपंथी और वामपंथी दोनों ही पत्रकार अपने-अपने खेमों में चिपके हुए हैं और एक दूसरे पर वाक प्रहार कर रहे हैं। निष्पक्ष और अखबार के पुराने पत्रकार का आज के दौर में कोंन साथ देगा। मीडिया पतन के दौर में हैं।

Amitaabh Srivastava हर तरह की हिंसा, मारपीट घोर निंदनीय है. एक ऐसे समय में जबकि समूची पत्रकार बिरादरी की साख तमाम वजहों से संकट में है, इस तरह की घटनाएं, उस संकट को और गहरा करती हैं

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Anshuman Shukl आपने ये मुद्दा उठाया देख कर अच्छा लगा। आप पर भरोसा है आप पक्ष पात नहीं करते। रही बात इस मुद्द्दे कि तो यशवंत भाई तो उनको माफ करने को भी तैयार हैं लेकिन ये दोनों मुँह छुपाए घूम रहे है। अपना फेसबुक और ट्विटर भी बंद कर दिए है। बाकी सभी वरिष्ठ पत्रकार मौन है। शायद मन ही मन सोच रहे है अच्छा हुआ मारा गया बहुत बमचक मचाये था।

Sanjay Sharma Sir कटु सत्य तो यह है कि हिंदी पत्रकारों को अंग्रेज़ी पत्रकार के मुक़ाबले आज भी दोयम स्थिति का सामना करना पड़ता है चाहे विरोध हो या समर्थन । अंग्रेज़ी वाले हो हल्ला ज़्यादा मचाते है हिंदी वाले रस्म अदायगी। विचारधारा का फ़र्क़ तो है ही।

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Pradeep Tiwari यशवंत सिंह पर हुए हमले की मध्यप्रदेश के सभी पत्रकार संगठनों ने अलग अलग ढंग से अलग अलग तरीके से निंदा की। कोई भी पत्रकार यशवंत की हत्या पर विरोध ना करे, ऐसा कहां हो सकता है।

Asha Shailly जिसके बारे में कोई बोल नहीं रहा उसके पक्ष में आप बोल रहे हैं यह महत्वपूर्ण है। यहाँ बिकाऊ मीडिया को चारा नहीं मिला होगा। एक बात और समझ में आती है और वो यह कि यदि यशवंत वामपंथी होते या हिन्दुओं को गरियाने वाले होते तो लोग खूब उछलते। क्योंकि यह निष्पक्ष रहे इस लिए इनका पक्ष बिकाऊ मीडिया नहीं ले रहा। पर हम आप के साथ हैं। हम सरकार से अनुरोध करेंगे कि सरकार इन हत्याओं, आक्रमण कारियों पर जांच बैठाए और ऐसे अपराधियों को बेनकाब करे जो सरकार को कठघरे में खड़ा करते हैं।

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Shiv Kumar Dixit हमे जो करना है कर्तव्य के रूप में, हम करते चले। शब्दद्रोहियों का समाज शताब्दियों से रहा है, इनके सिंहासनों का इतिहास खोजे नहीं मिलता लेकिन शब्द रहता है, केवल यही रहता है जैसे राम नहीं केवल राम शब्द बचा। कोई पत्रकार हो शिक्षक हो लेखक हो इनका काम जोखिम का है तो फिर डर या अपेक्षाओं का बोझ क्यों लादें। समय का जबड़ा किसने देखा, शम्भुजी, भाग्यवाद की बात नहीं कह रहा हूँ। नाक की सीध में चलने की बात कह रहा हूँ, जितने बार रोका जाएगा फिर उसी रास्ते पर चल देंगे। आतंक की भर्त्सना के साथ, अभिवादन।

Ranjana Tiwari बिलकुल ..सर जो हमारी आवाज को बुलंद करते है अपनी कलम से आज वही पत्रकार सुरक्षित नहीं.. बेहद दुखद।

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Niranjan Sharma यशवंत सिंह जी जैसे संघर्षशील पत्रकार पर हमला अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है ! इस कृत्य की जितनी भी निंदा की जाए कम है!

Hemraj Singh Chauhan सहमत सर उनके द्वारा एफआईआर करने के बाबजूद वो पकड़ से बाहर हैं, दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए

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Abhay Dwivedi यह घटना अत्यंत निंदनीय है। लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ पर हो रहे हमले बन्द होने चाहिए।

Gopal Rathi एक ही तरह के कुछ मुद्दे राष्ट्रीय चिंता बन जाते है और कुछ मुद्दे स्थानीय भी नही बन पाते ?

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Ajay Kumar Shukla गौरी लंकेश की हत्या पर पूरी मीडिया ने हल्ला मचा दिया वही मीडिया यसवंत जी के लिए कुछ नही बोल रही क्योंकि यहां उसकी राजनीतिक रोटियां नही सिक पाएंगी। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

Shariq Ahmad Khan हम सख़्त मज़म्मत करते हैं

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Pradeep Mahajan सबसे पहले आरोपियों पर कानूनी कार्यवाही करा कर मुकदमा बनाया जाए Yashwant Singh

Sukesh Sharma Attack on Yashvant is really attack on PATRAKARITA.

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Sujeet Singh Prince शुक्ला जी जब तक आप जैसे लोग सच्चाई का साथ देते रहे गे, यशवंत भाई साहब हरामखोरों को सबक सिखाते रहेंगे.

Usmaan Siddiqui बिल्कुल सही बात कही आपने Shambhunath Shukla सर.. आई एम टोटली एग्री विद यू… ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद…

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Shweta R Rashmi बड़े चैनल और अखबारों के पैरोकारों को जगाएं… हम लोग तो पहले दिन से निंदा कर रहे हैं और कदम से कदम मिला रहे हैं।

Jai Narain Budhwar हर तरह की हिंसा के खिलाफ खड़े होना पड़ेगा। चुनी हुई चुप्पियां नहीं चलेंगी।

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Satish Tyagi यशवंत पर हुआ हमला निंदनीय है। हम रोहतक के कितने ही साथी भड़ास के ज़रिए यशवंत से जुड़े हैं। हमें उनकी फिक्र है और हम पूरी शिद्दत से उनके साथ खड़े हैं।

Kailash Prasad Sharma एक निन्दा करने से नहीं, जबरदस्त विरोध होना चाहिए, तभी कुछ होगा सर…

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Mahendra Agrawal बहुत ही निंदनीय, पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं एकजुटता की आवश्यक्ता है

Yasmeen Kausar Athar ये कब हुया?

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Shambhunath Shukla चार दिन पहले. दिल्ली में ऐन संसद के पास.

Yasmeen Kausar Athar Omg… सभी वरिष्ठ पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान की जाए…. वरना सरकार इसकी, ज़िम्मेदार होगी…

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डॉ.धनञ्जय सिंह भर्त्सना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो……..सही बात करनेवाला आदमी आज अकेला पड़ता जा रहा है, यह हमारे समय की सबसे बड़ी विडंबना है

Awadh Sharma भाई ये यशवन्त सिंह तथाकथित सेकूलरों को खुश नहीं करते होंगे

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ब्रजभूषण प्रसाद सिन्हा यशवंत जी ने अपनी फोटो भी फेसबुक पर पोस्ट की थी पर वे वामपंथी नहीं हैं, इसलिए रवीश जैसे पत्रकार भी चुप है।

Shalabh Mani Tripathi बेहद अफ़सोसजनक और दुर्भाग्यपूर्ण !!

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Abhinav Chauhan सर, उनके बारे में बोलने से किसी की दुकान नहीं चलनी, इसलिए कोई नहीं बोलेगा।

Shambhunath Shukla यहाँ आप निंदा करिए, कौन चुप है कौन नहीं यह अलग प्रश्न है.

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Chander Mohan Singla यशवंत जी पर हमला पत्रकारिता पर हमला नही मानते चापलूस मीडिया कर्मी ।

Ashok Kumar Kaliramna मैं निंदा करता हूँ हमले की

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Rakesh Pandey वरिष्ठ पत्रकार यशवंत सिंह पर हमले की कड़ी निंदा, आरोपी शीघ्र पकड़े जाय।

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