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‘फेक न्यूज फैक्ट्री” अब Ravish Kumar पर काम कर रही है!

Dinesh Choudhary : ‘फेक न्यूज फैक्ट्री” अब Ravish Kumar पर काम कर रही है। यह अब बहुत आसान हो गया है। बस एक झूठी खबर को किसी भी प्लेटफॉर्म पर छोड़ दीजिए, उचक्के उसे लपक कर रक्त-बीज की तरह फैला देंगे। आप सफाई देते घूमते रहिए। अव्वल तो आपकी बात ही सामने नहीं आएगी, या जब आएगी तब तक ‘ठप्पा’ लग चुका होगा। बहुत बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है, जिनके लिए कन्हैया ‘देशद्रोही’ है। फेक न्यूज फेक्ट्री में सबसे ज्यादा उत्पादन देश-द्रोहियों का ही हो रहा है, क्योंकि बाज़ार में इसकी बड़ी माँग है।

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Dinesh Choudhary : ‘फेक न्यूज फैक्ट्री” अब Ravish Kumar पर काम कर रही है। यह अब बहुत आसान हो गया है। बस एक झूठी खबर को किसी भी प्लेटफॉर्म पर छोड़ दीजिए, उचक्के उसे लपक कर रक्त-बीज की तरह फैला देंगे। आप सफाई देते घूमते रहिए। अव्वल तो आपकी बात ही सामने नहीं आएगी, या जब आएगी तब तक ‘ठप्पा’ लग चुका होगा। बहुत बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है, जिनके लिए कन्हैया ‘देशद्रोही’ है। फेक न्यूज फेक्ट्री में सबसे ज्यादा उत्पादन देश-द्रोहियों का ही हो रहा है, क्योंकि बाज़ार में इसकी बड़ी माँग है।

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अब इस कथित ‘सोशल मीडिया’ से भी जी घबराने लगा है। समय तो यह खाता ही है, बहुत तनाव भी देने लगा है। यकीन नहीं होता कि अपना समाज इतना जहरीला हो चुका है, या यह पहले ही था, पर इस मंच के न होने से पता नहीं चल पाता था। टीवी की खबरें पहले ही छूट गयी हैं क्योंकि चैनल वालों ने खबरें देना छोड़ दिया है। वे भी अब फेक्ट्री का हिस्सा बन गए हैं।

सरकार खुले में शौच करने से मना कर रही है और इधर फेसबुक/ ट्विटर/व्हाट्स एप मानसिक विकारों का ऐसा शौचालय बन रहा है, जहाँ तिनके की भी आड़ नहीं है। खुले में शौच जाने वाले तो कम से कम अपना मुँह छुपा लेते हैं, यहाँ तो मुँह-दिखाई ही सबसे पहले होती है।

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यह भयंकर निराशा का दौर है। समाज की संरचना अपनी होती है। वह खुद को बनाती है, बिगाड़ती है और फिर उसे ठीक भी करती चलती है। गलत भी होती है तो केवल तब तक जब तक कि सच की अवधारणा सामने न आ जाए। सामाजिक गलतियाँ गैर-इरादतन होती हैं।

पर केवल धनपशुओं की कभी न खत्म होने वाली अंधाधुंध हवस के लिए जब लम्पट और आपराधिक राजनीति इस बुनियादी संरचना को बिगाड़ने में लग जाए तो ऐसे समाज को गर्त में जाने से कोई नहीं रोक सकता। औरों का नहीं पता, मेरे अपने संस्कार ऐसे हैं कि मैं अपने सबसे प्रबल शत्रु को भी, जिससे मैं कितनी भी नफ़रत कर लूँ, माँ की गाली नहीं दे सकता। तो इस गालियों से भरे मंच का क्या किया जाए? कोई रास्ता सूझता हो तो कृपया बताएँ।

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रंगकर्मी और सोशल एक्टिविस्ट दिनेश चौधरी की एफबी वॉल से.

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