Connect with us

Hi, what are you looking for?

बिहार

वेब पोर्टलों से संबंधित डीआईजी का कार्रवाई करने का आदेश तुगलकी फरमान : डब्ल्यूजेएआई

पटना। वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने बिहार पुलिस मुख्यालय के डीआईजी मानवाधिकार द्वारा बगैर आरएनआई पीआईबी रजिस्ट्रेशन के राज्य में चल रहे न्यूज पोर्टलों और यूट्यूब चैनलों की जाँच कर कार्रवाई करने के आदेश को रद्द करने की माँग की है। एसोसिएशन ने राज्य के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक से इस आदेश को अविलम्ब निरस्त करने की मांग करते हुए कहा है कि यह आदेश बगैर विभागीय तकनीकी को जाने हुए दिया गया है जिससे आम पत्रकार जो वेब फॉर्मेट से जुड़े हैं उनमें असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। गौरतलब है कि “वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया” वेब पत्रकारों के मान सम्मान और हितों के रक्षार्थ देश के सर्वथा एकमात्र निबंधित संगठन है। एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनन्द कौशल और राष्ट्रीय महासचिव अमित रंजन ने इस विषय में राज्य के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री, डीजीपी, सचिव सूचना एवं जनसंपर्क और निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क को ज्ञापन भेज कर उक्त आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया है।

दरअसल एक पत्रकार संगठन के तथाकथित प्रदेश अध्यक्ष द्वारा 23 जून को मुख्यमंत्री बिहार को एक शिकायती पत्र भेज कर बिहार में बगैर आरएनआईध् पीआईबी के रजिस्ट्रेशन के अवैध रुप से चल रहे न्यूज पोर्टलों और यूट्यूब चैनलों का संचालन कर फर्जी पत्रकारिता का आरोप लगाते हुए ऐसे लोगों पर कठोर कार्रवाई की माँग की गई थी। उक्त शिकायती पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा बिहार पुलिस मुख्यालय को इंडोर्स किया गया। जिसके आधार पर पुलिस उप महानिरीक्षक (मानवाधिकार) बिहार पटना ने 05 अगस्त को एक आदेश जारी कर सभी एसएसपी एसपी को बगैर आरएनआईध् पीआईबी रजिस्ट्रेशन के न्यूज पोर्टलों की जाँच कर कार्रवाई करने और कार्रवाई से पुलिस मुख्यालय को अवगत कराने का निर्देश दिया।

संगठन ने अपने ज्ञापन और संलग्नकों के माध्यम से स्पष्ट किया है कि वेब पोर्टलों के माध्यम से देश भर में की जा रही वेब पत्रकारिता के नियमन और नियामक संगठन अब तक नहीं बन पाने के कारण इनके निबंधन की कोई व्यवस्था नहीं है। आरएनआई पीआईबी द्वारा वेब न्यूज पोर्टलों का निबंधन अब तक शुरु नहीं किया गया है। संगठन ने शिकायतकर्ता के फेसबुक वाल जहाँ से संगठन को इस पूरे प्रकरण की जानकारी प्रथमतः प्राप्त हुई का स्क्रिनशॉट अपने ज्ञापन के साथ संलग्न किया है जिसमें बगैर आर एन आईध् पीआईबी रजिस्ट्रेशन के न्यूज पोर्टलध् यूट्यूब चैनल को फर्जी अवैध बताने वाले शिकायतकर्ता ने एक कमेंट का जबाब देते हुए खुद ही लिखा है कि ‘‘ न्यूज पोर्टलों के निबंधन की अभी कोई व्यवस्था नहीं है‘‘। अतः ये एक ओर ये खुद कहते हैं कि अभी न्यूज पोर्टलों के निबंधन की व्यवस्था नहीं है तो वहीं दूसरी तरफ निबंधन का ही मुद्दा उठा कर न सिर्फ वेब पत्रकारिता पर फर्जी पत्रकारिता, अवैध वसूली और तमाम आरोप मढ़ कर अपमानित और प्रतिष्ठा हनन करते हैं तो वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार को अपने झूठ, साजिश, जाल फरेब और धोखाधड़ी में फँसा कर मनमाफिक आदेश हासिल कर लेते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

एसोसिएशन ने कहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायती पत्र प्राप्त होने से लेकर पुलिस मुख्यालय के डीआईजी मानवाधिकार द्वारा आदेश जारी करने तक कहीं भी शिकायती पत्र में वर्णित तथ्यों और आरोपों की जाँच नहीं की आवश्यकता महसूस नहीं की गयी और न आरएनआई पीआईबी से ही यह जानने की कोशिश की गयी कि न्यूज पोर्टलों के निबंधन की क्या व्यवस्था है और एक यांत्रिक आदेश जारी कर दिया गया बल्कि राज्य के बड़ी संख्या में लोकतंत्र के चैथे स्तंभ को अपमानित और प्रतिष्ठा हनन भी कर दिया गया। सरकार को भली भांति विदित है कि इस डिजीटल युग में राज्य में 40- 45 साल से मीडिया के विभिन्न फार्मेट में पत्रकारिता करने वाले अनेकशः बार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों द्वारा भी बड़ी संख्या में न्यूज पोर्टलोंध् यूट्यूब न्यूज चैनलों का संचालन किया जा रहा है। स्वयं राज्य सरकार पत्रकार बीमा योजना, पत्रकार पेंशन योजना, डीएवीपी में शामिल करने के लिए वेब पत्रकारों से भी आवेदन आमंत्रित करती है। राज्य का सूचना विभाग ‘‘बिहार वेब मीडिया 2020‘‘ लाने की तैयारी कर रहा है तब क्या अधिकारियों को जानकारी नहीं कि देश में वेब पोर्टलों के निबंधन और नियमन के लिए कोई आधिकारिक संस्था नहीं है जहाँ वे रजिस्ट्रेशन करा सकें।

यह भी गौरतलब है कि भले ही किसी वेबसाइट को मान्यता प्रदान करने का प्रावधान बिहार सरकार या केंद्र ने नहीं किया हो, इसके बावजूद कोई वेबसाइट, यू ट्यूब चैनल अवैध नहीं होते। क्योंकि वेबसाइट जिस भी सर्वर प्रोवाइडर से लिये ध् खरीदे जाते हैं, वहां संचालकों का पूरा विवरण लिया जाता है और वे वहीं पंजीकृत होते हैं। यू ट्यूब चैनल भी यू ट्यूब पर रजिस्टर्ड होते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनन्द कौशल ने बताया कि पत्रकारिता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अन्तर्गत शामिल है जिसके कुछ अपवादों को छोड़ कर अनुमति लेने की जरुरत नहीं होती। वेब पोर्टलों के माध्यम से वर्ष 1992 से अमेरिका के शिकागो में ‘शिकागो टाईम्स‘ पूरे विश्व में की जा रही वेब पत्रकारिता गूगल पर डोमेन खरीद कर की जाती है जिस पर देश की सरकार का कोई प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं है। बावजूद इसके न्यूज पोर्टलों के नियमन और नियामक संगठन की व्यवस्था अभी तक देश की सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के टाईम बाऊंड निर्देश के बावजूद नहीं कर सकी है लिहाजा देश भर में कोई भी न्यूज पोर्टल निबंधित नहीं हो सका है। ऐसे में एक शिकायती पत्र पर बगैर जाँच के मशीनी अंदाज में जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा तुगलकी फरमान जारी कर देना न सिर्फ प्राकृतिक न्याय के विरूद्ध है बल्कि राज्य में वेब पत्रकारों और वेब न्यूज पोर्टलों के साथ बड़ी साजिश है जिसे वेब पत्रकार हर्गिज सहन नहीं करेंगे।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष माधो सिंह ने कहा पत्रकारिता अभिव्यक्ति की आजादी के अन्तर्गत आती है, वेब पत्रकारों को किसी निबंधन की जरुरत नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

राष्ट्रीय महासचिव अमित रंजन ने कहा कि संगठन लोकतंत्र के चैथे स्तंभ पर इमरेंजी लगाने की साजिश और न्यूज पोर्टलों के संचालक पत्रकारिता जगत के आईकॉनों के इस अपमान और प्रतिष्ठा हनन के विरूद्ध चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर चुका है। हमने अभी ज्ञापन दिया है इस पर कार्रवाई का इंतजार कर जरुरत पड़ने पर संगठन अपने आंदोलन को सड़क और न्यायालय तक ले जाएगा।

संगठन के संरक्षक प्रवीण बागी, रजनीकांत पाठक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रजनीश कांत, हर्षवर्धन द्विवेदी, अमिताभ ओझा, आशीष शर्मा, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश अश्क, टेक्निकल कमिटी के अमरेन्द्र कुमार सिंह, लव सिंह, बिहार प्रभारी कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राष्ट्रीय सचिव निखिल केडी वर्मा, मुरली मनोहर श्रीवास्तव, सुरभित दत्त, टी. स्वामीनाथन, संयुक्त सचिव मधूप मणि पिक्कू, डॉ. लीना, डॉ. राजेश अस्थाना, जीतेन्द्र सिंह, पंकज कुमार, मनोकामना सिंह, मंजेश कुमार, पटना चैप्टर अध्यक्ष बालकृष्ण, उपाध्यक्ष इंद्रमोहन पांडेय, सूरज कुमार, सचिव मनन मिश्रा, छपरा चैप्टर अध्यक्ष संजय कुमार पांडेय, सचिव कबीर अहमद, अकबर इमाम, सूरज कुमार और संगठन से जुड़े सैकड़ों वेब पत्रकारों ने इस आदेश के विरुद्ध नाराजगी व्यक्त करते हुए तत्काल प्रभाव से इसे वापस लेने की माँग की है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मूल खबर-

न्यूज पोर्टल या डिजिटल न्यूज चैनल का संचालन अवैध कैसे?

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. राजीव सक्‍सेना

    August 13, 2020 at 10:47 pm

    जहां तक मेरी जानकारी में है, वेवपोर्टल आर एन आई में पजीकृत नहीं होते। पी आई बी का अधि‍कार क्षेत्र सरकारी सूचना प्रदाता भर का है,वह सरकार की नीति‍ के अनुसार पत्रकारों को मान्‍यता देता है।डी ए वी पी टर्नओवर के हि‍साब से वि‍ज्ञापन को एम्‍पैनल्‍ड करती है। सरकार को वेवपोर्टल संबधी नीति‍ बनानी चाहि‍ये,जि‍समें पंजीकरण और मान्‍यता के अला अलग प्रावि‍धान हों। जबकि‍ मान्‍यता सरकार का हमेशा अपना अधि‍कार क्षेत्र और इसकी परि‍भाषाये रही हैं । जि‍नको उपकृत करना चाहती है,वे मान्‍यता की श्रेणी में आ जते हैं। वैसे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक रि‍ट फाइल होनी चाहि‍ये,जससे कि‍ सरकार मनमानी छोड कर कानून के दायरे में आकर बात कर सके। सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक कई वेव पोर्टलों पर आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement