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हिंदी दैनिक ‘यशोभूमि’ मुंबई में अपने पाठकों के विश्वास का मजाक उड़ा रहा

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बहुत से हिंदी दैनिक प्रकाशित होते हैं। परन्तु इनमें से सर्वाधिक पढ़े जाने वाले समाचार पत्र की बात की जाती है तो आंकड़ों से इतर लोग निर्विवाद रूप से यशोभूमि का नाम लेते हैं। इस समाचार पत्र का एक मजबूत पाठक वर्ग है, जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड तथा राजस्थान सहित मुंबई में निवासरत अधिकांश हिंदी भाषियों का समावेश है।  सबसे मजबूत पाठक वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले इस समाचार पत्र के संपादकीय टीम के सदस्यों के गैर जिम्मेदराना रवैए से समाचार पत्र की छवि खराब हुई है। साथ ही साथ पाठकों के विश्वास को भी गहरा आघात पहुंचा है।

16/5/2017 को प्रकाशित समाचार

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बहुत से हिंदी दैनिक प्रकाशित होते हैं। परन्तु इनमें से सर्वाधिक पढ़े जाने वाले समाचार पत्र की बात की जाती है तो आंकड़ों से इतर लोग निर्विवाद रूप से यशोभूमि का नाम लेते हैं। इस समाचार पत्र का एक मजबूत पाठक वर्ग है, जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड तथा राजस्थान सहित मुंबई में निवासरत अधिकांश हिंदी भाषियों का समावेश है।  सबसे मजबूत पाठक वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले इस समाचार पत्र के संपादकीय टीम के सदस्यों के गैर जिम्मेदराना रवैए से समाचार पत्र की छवि खराब हुई है। साथ ही साथ पाठकों के विश्वास को भी गहरा आघात पहुंचा है।

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16/5/2017 को प्रकाशित समाचार

17/5/2017 प्रकाशित भूल सुधार

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उल्लेखनीय है कि हिंदी दैनिक यशोभूमि 16 मई 2017 को प्रकाशित अंक के प्रथम पृष्ठ पर “नीतिश कुमार बोले, हम इतने मूर्ख नहीं जो 2019 में पीएम पद का दावेदार बनेंगे” शीर्षक से फोटो सहित खबर छपी थी, परंतु मैटर में “नई दिल्ली/हेग” की डेडलाइन से अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में चल रही कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई की खबर थी। अब यशोभूमि के संपादकीय मंडल के सदस्यों की किन शब्दों में तारीफ करें कि उन्हें यह भी देखने की  फुरसत नहीं कि शीर्षक क्या है? फोटो क्या है और खबर क्या जा रही है?

इस तरह की लापरवाही तथा अपनी भावनाओं के साथ हुए खिलवाड़ से आक्रोशित पाठकों ने समाचार पत्र के कार्यालय में फोन करके अपना क्षोभ जताया तो संपादक महोदय ने अगले दिन “भूल सुधार” छाप कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। परन्तु समाचार पत्र की छवि को यशोभूमि के प्रबुद्ध संपादकीय मंडल ने जो क्षति पहुँचाई है उसके लिए उनकी किन शब्दों में तारीफ करें यह एक विचारणीय प्रश्न है।

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मुंबई से पत्रकार धर्मेन्द्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट.

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2 Comments

2 Comments

  1. Prashant Shishodiya

    June 16, 2018 at 7:53 am

    अछा लगा,पाठक तो आहत होते ही हैं।

  2. अविन

    March 29, 2019 at 11:30 am

    डिजिटल एडिशन भी अपडेटेड नहीं है आज 29 मार्च को 28 मार्च का अखबार वेब पोर्टल पर उपलब्ध है जबकि चाहिए यह था कि 29 मार्च का अखबार वेब पोर्टल पर होता!

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