वरिष्ठ पत्रकार पलाश विश्वास अपने फेसबुक वॉल पर लिखते हैं: सांप की मति मारी गयी कि और कोई नहीं मिला, भड़ास को डंस लिया!उम्मीद है कि सारे सांपों के जहर के दांत उखाड़ने की उसकी मुहिम से डरकर सांपों से डर डर कर जीने वाली हमारी मीडिया बिरादरी कम से कम इस सर्पदंश के बाद डरना छोड़ देगी। यशवंत, भड़ास के ताजा फेसबुक स्टेटस से परेशान हूं। मीडिया के महाबदमाशों से निपटने के लिए यह अपना बदमाश सांप से अपना बचाव नहीं कर सका और डंसवा कर यूपी के पत्रकार जलाओ राज में अस्पताल में है। वैसे सांपों से हमारा वास्ता हर वक्त है। मीडिया में सांप ही सांप भरे पड़े हैं। यशवंत को भी डंसवाने की आदत होगी। उम्मीद है कि इस काटे का असर न होगा।
सांप के डंस लेने से गाजीपुर के अस्पताल में पड़े यशवंत सिंह
मेरा घर बदल गया है,जो अब भाइयों का घर है बसंतीपुर में, वहां पिता, ताऊ और चाचा की झोपड़ियों का साझा संसार था और बाकायदा हमारी ताई की बेडरूम में काले नागों की महासभा लगती थी। जहां तहां सांप थे हमारे घऱ में, बिस्तर में सांप। सर पर सांप। पांव में लिपटा सांप। नलके पर सांप। शादी के बाद जहां तहां सांप, वे भी काले जहरीले पालतू से सांपों को देख सविता की हालत खराब। हमने लाख समझाया कि अब तक हमारे घर में किसी को जहरीले नागों ने डंसा नहीं है। बहन भानू को जो दो बार सांप ने काटा, वे विषहीन बुरबक थे, जो हमारे घर में रहने के अदब से अनजान थे।
इसलिए मीडिया हो या सत्ता,काले जहरीले नागों से हमें डर नहीं लगता। जनमजात तो हुए यूपी वाले ही।भले ही अब उत्तराखंडी हैं। यूपी वाले ससुरे बदमाशों से कम बदमाश कभी होते नहीं हैं। अपना यशवंत भी कम बदमाश नहीं है। उम्मीद है कि सारे सांपों के जहर के दांत उखाड़ने की उसकी मुहिम से डरकर सांपों से डर डर कर जीने वाली हमारी मीडिया बिरादरी कम से कम इस सर्पदंश के बाद डरना छोड़ देगी। अब बसंतीपुर में सांप दीखते नहीं हैं कि वह भी सीमेंट के जंगल में तब्दील है। गनीमत है कि सविताबाबू को बहुत पहले ही सांपों की सोहबत की आदत हो गयी। यशवंत ने फेसबुक पर पूरे मामले को लेकर कई स्टेटस लिखा है, जो इस प्रकार हैं-
Yashwant Singh : ”आज सुबह साढ़े चार बजे छत से नीचे फ्रिज से पानी की बोतल निकालने गया तो अँधेरे कमरे में सांप महाराज ने डस लिया। खुद ड्राइव करके अस्पताल गया और एडमिट हो गया हूँ। 24 ऑवर ऑब्जरवेशन के लिए रखा गया है। जहर का असर है लेकिन हल्का फुल्का। नीम की पत्ती आज मीठी लग रही है। मुझे तो अब सांप भाईसाब की चिंता हो रही है। मुझे काट के वो ज़िंदा बच पाए होंगे या नहीं!”
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Yashwant Singh : ”यूपी में हूँ। यहीं एक गाँव में सांप ने काटा। जिला अस्पताल में अंडर ऑब्जरवेशन हूँ। नींद ना लेने की हिदायत है। एक तीमारदार दोस्त ने फ़ोटो क्लिक कर भेजा है। कई दोस्तों के फोन आ रहे हैं। सबसे कहना है कि जहर शरीर में है लेकिन स्थिति कण्ट्रोल में है। सांप के डँसते ही निकलते खून वाले जगह को दबा दबा के जहर मिश्रित ब्लड बाहर किया। फिर कपड़े से कस के बाँधा। डॉक्टर्स ने तीन इंजेक्शन दिए। लेकिन मुझे सांप सर की चिंता है। उन पर मेरा जहर कितना असर किया होगा!”
युवा पत्रकार अवनींद्र सिंह अमन ने अपने फेसबुक वॉल पर यूं लिखा है…
Avanindr Singh – AMAN : आप सभी लोग ईश्वर से प्रार्थना करिए मेरे मार्गदर्शक Yashwant Singh भैया जल्द स्वस्थ हों. ईश्वर यशवंत भैया को जल्द स्वस्थ करे. मीडिया जगत के हीरो और मेरे मार्गदर्शक भड़ास4मीडिया के संस्थापक संपादक यशवंत सिंह जी पिछले कुछ दिनों से अपने गाव आए हुए है। कल पूर्वांचल में जमकर बारिश हुई जिससे अब गावो में सर्प बिच्छू के काटने का खतरा मडरा रहा है। आज सुबह भैया जब छत पर टहल रहे है उसी वक़्त सर्प ने उन्हें डस लिया। भैया ने तत्काल प्राथमिक उपाय के बाद जिला अस्पताल गए जहा से अब वह घर पर है। लेकिन दूरभाष पर हुई बातचीत में भैया जी ने बताया कि अभी रुक रुक कर मूर्छा आ रही है लेकिन स्थिति नार्मल है। बाबा विश्वनाथ से मैं प्रार्थना करता हू कि ईश्वर उन्हें मेरे मार्गदर्शन के लिए जल्द स्वस्थ करे। मैं आप सभी मित्र लोगो से करबद्ध प्रार्थना करता हू कि जो लोग मुझे प्यार करते है अपना समझते है वह मेरे भैया के जल्द स्वस्थ होने के लिए दुआ करे मैं आप सबका आभारी रहूँगा।
मेट्रो मीडिया स्पीक यानि एमएमएस नामक फेसबुक पेज पर ये प्रकाशित हुआ है…
MMS : MMS #Update… Renowned Media activist Yashwant Singh have been put under observation in hospital following a snake bite. Team MMS pray for his safety and speedy recovery.
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह का लैटेस्ट फेसबुक स्टेटस…
Yashwant Singh : अस्पताल से छुट्टी. बिलकुल फिट्ट हूं. होइहें वही जो राम रचि राखा. आप सभी का दिल से आभार. खुद ड्राइविंग करते हुए अस्पताल आते वक्त मैंने एक बार गहराई से सोचा कि मान लो मैं अगर मर जाता हूं तो मुझे अभी तुरंत क्या क्या काम कर लेना चाहिए और किससे क्या क्या कह देना चाहिए. और, ये भी सोचने लगा कि इस द्वार खड़े मौत ने अगर मुझे अपने साथ चलने को मजबूर ही कर दिया तो क्या इसका मुझे मलाल होना चाहिए या क्या मेरे पास जीने के लिए कोई ऐसा पर्याप्त शेष तर्क आधार मौजूद है जिसके कारण मौत के खिलाफ जीवन के पक्ष में ठोस सार्थक हाय हाय रूदन क्रंदन करूं. ऐसे ढेर सारे सवालों का जवाब ना में आया. मेरे पास कहने बताने रोने डरने के लिए कोई बहाना न था. यानि मुझे जीवन जीने में जो मजा आता रहा है उतना ही मरने में मजा आएगा. दृष्टि और समझ की उदात्तता ने मुझे अदभुत बना दिया है. ये अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने जैसा लग सकता है लेकिन इसे सिर्फ वही समझ सकता है जिसने जीवन मौत सुख दुख आंसु खुशी देह विदेह बंधन मुक्ति को अलग-अलग नहीं बल्कि एक संपूर्ण सतरंगी परिघटना समझने का शानदार प्राकृतिक मौलिक दर्शन समझ लिया हो. थैंक्यू दोस्तों, अपार स्नेह के लिए सैकड़ो फोन काल्स, सैकड़ों कमेंट्स, सैकड़ों सदिच्छाओं भरे लाइक्स के लिए. आप सभी साथियों ने मेरे को लेकर जो सोचा, लिखा, अभिव्यक्त किया, उसके लिए दिल से शुक्रगुजार हूं. वैसे एक बात कहना चाहूंगा… मैं उन इनविजिबल अथाह उर्जा पुंज का हिस्सा हूं जो कथित सजीव नरमुंडों से भरी इस दुनिया की दृश्यता सीमा के आर-पार है. वो उर्जा पुंज विदेह हैं. वो दिखते हैं, महसूस होते हैं, साथ होते हैं, सपोर्ट करते हैं, साहस देते हैं. लेकिन देह धरों की भीड़ इसे समझ न पाएगी. उनकी समझदारी की सीमाओं पर देह धरे होने का पहरा जो है. पर साथी समझना तो पड़ेगा एक न एक दिन सबको क्योंकि प्रकृति ने सबके भीतर मनुष्यता से संपूर्णता की तरफ यात्रा का आटो अपडेट वर्जन का पूंछ इंस्टाल करने के लिए रख छोड़ा है और ये समय-समय पर मैसेज भी देता रहता है कि हे गुरु, आप का वर्जन पुराना पड़ गया है और इसे अपडेट करिए. वो लिंक भी भेजता है. वो सर्वर कनेक्टविटी के बारे में भी बताता है. पर हम हैं कि इसे हर बार पेंडिंग, लेटर, क्लीयर आदि पर क्लिक कर लटका देते हैं. हम अपनी खोलों के भीतर जैसे घुसे थे, वैसे ही घिरे रहते हैं और वैसे ही बने रहना चाहते हैं. आटो अपडेशन थोड़ा रिस्क देता है, थोड़ा समझ देता है, थोड़ा नया चलने करने की ओर इशारा करता है, नए पैकेज फीचर देता है. तो, इसे सीखने समझने के लिए लीक तो तोड़ना पड़ता है पर हम हैं कि लकीर के फकीर हैं. उम्मीद है जीवन और मृत्यु के उत्सव को समान भाव से लिया करेंगे, मैं भी, आप भी, और हर हाल में उत्सवधर्मी बना रहेंगे, मैं भी, आप भी. मैंने तो आज सांप काटे के बाद बहुत कुछ बहुत नजदीक से और बहुत गहरे से देखा महसूसा है. आज जीवन और मौत दोनों के प्रति उत्सवधर्मिता की मात्रा थोड़ी और बढ़ गई है.
और हां, साथी सांप को भी शुभकामनाएं. वो अपना जीवन जिये. वो अपना काम करे.
विमलेश गुप्ता
June 25, 2015 at 10:23 am
यशवन्त जी जल्द स्वस्थ्य हो ईश्वर से मेरी यही कामना है
KASHINATH MATALE
June 25, 2015 at 10:45 am
GOD SAVE COM. YASHWANT BHAI.
PRARTHANA KARTA HU KI SAP KA ZAJAR JYADA NA FAIALE. AUR YASHWANT BHAI JALDI HI TANDRUST HO JAYE.
गोपाल जी राय
June 25, 2015 at 11:06 am
साँप चेक कर रहा था की उसके पास जहर है या नहीं
Dr Madhu Sudan Nair
June 25, 2015 at 12:27 pm
ये सास्वत सत्य है की एक दिन इस गोले को छोड़ के सबको जाना ही है पर आप भाग्यवान है1 हो जीते जी वो अनुभव को भी प्राप्त कर लिए, जो बताने के लिए शायद कोई बचता नहीं है ! पर ये तो शोध का विषय है! की आखिर यह सक्ति पुज मर के जाता कहा है ! क्या मौत के बाद भी जीवन है ! मेरा आपका कोई रिस्ता नहीं है हम आपस में सिर्फ फेसबुक पे ही जुड़े है ! न मैंने आपको देखा न ही आपने मुझे पर सुबह ही जैसे पोस्ट को पढ़ा अचानक एक ander से खलबली मच गयी काफी मसक्कत किया में भी पहुंच सकु पर आपका फ़ोन उठ ही नहीं रहा था . जैसे ही ये जानकारी हुयी की आप सकुशल है – काफी रिलैक्स महसूस किया – ये भावात्मक आवेश है जो सिर्फ महसूस किया जा सकता है 😆
Puneet Nigam
June 25, 2015 at 12:34 pm
यशवन्त जी,
जल्द ही आपको स्वास्थ लाभ प्राप्त हो ऐसी मेरी कामना है। रही बात सांप की तो वो जहर रीचार्ज कराने आया होगा।
dhirendra pratap sin
June 25, 2015 at 12:54 pm
bhagvan ka shukra h ki ap sahi salamat h.abhi post dekha to pata chala.ap bhale hi sanyasi aur videh v parloukik man k swami h ham jaise duniyadari wale to jivan se pyar karte h aur maout se darte bhi h to isliye mujhe chinta hui…ap swasth rahe ham sab ka purv ki bhati margdarshan karte rahe aisi prabhu se prartha na h.
Deepak Sengupta
June 25, 2015 at 3:45 pm
Yashwant Ji जल्द स्वस्थ्य हो ईश्वर से मेरी यही कामना है
baikunth shukla
June 26, 2015 at 1:19 am
sanp yashavant bhai se jahar lene aaya tha.yeh sochkar ki yashavant bhai katate hain to koson door baitha aadami chhatptane lagta hai. aur mujhe to pas jakar katna padta hai, apna jahar purana ho gaya ab yashavant bhai ka jahar kam kar raha hai. kyun na unse thoda jahar le lun.
baikunth shukla
June 26, 2015 at 1:31 am
sanp yashavant bhai ko katne nahi aaya tha. unse jahar lene aaya tha kyunki use pata hai ki yashavant bhai ke dansh se koson door baitha aadmi chhatptane lagta hai. aur mujhe pas jakar katna padta hai, jisme khatra adhik hai
kunvar sameer shahi
June 26, 2015 at 8:01 am
aap swasth ho gye jankar bahut achha laga bhai sahab …jai ho mahakall ki
Munawer
June 26, 2015 at 4:33 pm
सांप भी कहीं डर से काँप रहा होगा. जल्द स्वस्थ हों 🙂
हरिमोहन
June 27, 2015 at 6:38 am
हम दरअसल जिन्हें सांप या दूसरा खतरनाक प्राणी समझते हैं वे भी हमें अपनी दुनिया का सांप ही समझते हैं. हमने उनके बिल छीन लिए, उनकी दुनिया के दुश्मन हो गए.
वैसे हम एक और वर्ग के लिए सांप है, आभिजात्य वर्ग के लिए और भ्रष्टाचार से जीवन-यापन करने वाले जगत के लिए भी हम सांप ही हैं, हम अपनी कलम से काटते है न उनको, उसका कोई मन्त्र थोड़े ही है उनके पास….