Ratan Bhushan
नोएडा के डी एल सी पी के सिंह ने निकाली भड़ास… बोला, तुम पत्रकार इसी लायक हो… आज नोएडा के डी एल सी श्री पी के सिंह ने पत्रकारों और माननीय सुप्रीम कोर्ट के बारे में मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर कुछ ऐसा कहा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के अख़बार कर्मियों के बारे में चाहे जो कहा या किया, लेकिन राज्य सरकार के ये प्यादे, जो कहने के लिए वर्कर के हितैषी हैं, मालिकानों के लिए ही काम करते हैं।
डी एल सी और उनका पूरा कार्यालय मजीठिया से जुड़े केस को पहले तो गलत तरह से रेफर करते हैं और केस को मालिकानों के कहे के मुताबिक लंबे समय तक कैसे लटकाया जाये, इस काम में उलझे रहते हैं। वर्कर जब इस बारे में बात करता है, तो डी एल सी पी के सिंह का जवाब होता है कि आप लोग इसी के काबिल हो। आप सब को मालिकों ने निकाल कर सही किया है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी आपका साथ नहीं दिया।
दैनिक जागरण के 42 वर्कर का टर्मिनेशन का केस डी एल सी नोएडा में चल रहा था, जिसे ऐसे स्टाफ के हाथ में सौंपा गया, जो इस काम के लिए अधिकृत ही नहीं था। कार्यालय ने उसे यहाँ से कानपुर एल सी कार्यालय के लिए भेजा, तो उसे वहां से हाथोंहाथ वापस भेज दिया गया। कहा गया कि फाइल नहीं भेजा जाये, सिर्फ रेफरेन्स की कॉपी भेजिए। जब वर्कर को इस बारे में पता चला, तो कुछ लोग डी एल सी कार्यालय पूछताछ के लिए गए। वहां यह बताया गया कि हम इसे जल्द सुधार कर भेजेंगे।
इसी क्रम में डी एल सी ने अपने एक सहयोगी ए एल सी श्री प्रभाकर मिश्रा से इस बारे में बात की तो उनका कहना हुआ कि हम इसकी फिर से तारीख लगाएंगे, लेकिन इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। साहब कहेंगे तो हम काम करेंगे। वर्कर 23 अगस्त को डी एल सी कार्यालय गए, तो साहब नहीं आये थे। फोन पर पूछने पर उन्होंने कहा कि तबियत खराब है। आज नहीं आऊंगा। वर्कर आज भी कार्यालय गए, तो 1 बजे डी एल सी आये। उनसे मिलकर इस बारे में बात की तो उन्होंने मिश्रा जी को बुला लिया और बात की। इस बारे में बात हो ही रही थी और जल्द रास्ते निकालने की बात हो रही थी, इसी बीच पी के सिंह बोल पड़े, आपको निकाल कर मालिक ने अच्छा किया है। आप लोग इसी लायक हो। इसीलिये सुप्रीम कोर्ट ने भी आपकी बात नहीं सुनी। वर्कर को डी एल सी की यह बात अच्छी नहीं लगी, वे नाराज़ हो गए। वर्कर ने कहा कि हम 3 साल से सड़क पर हैं और आप ऐसी बात कर रहे हैं? आपको केस जल्द सुनना चाहिए , लेकिन आप ऐसी बातें कर रहे हैं? तो मिश्रा जी ने कहा, हम आपको इसके लिए सम्मन भेजेंगे। तब आप आइयेगा। पहले हमारे पास आने की जरूरत नहीं है।
इन सबकी बातों से यह संभव है कि ये लोग मजीठिया के केस को डिले करना चाहते हैं, इसके एवज में कंपनी इनकी जेबें गर्म कर रही होंगी।इन्हें वर्कर का हित नहीं साधना है।अख़बार मालिक के मुकाबले सुप्रीम कोर्ट भी इनकी नज़र में कुछ नहीं। ये डी एल सी मालिकों के हित की जुगत में इसलिए रहते हैं कि उनसे इनका भला होता है। खाने पीने से लेकर घूमने और न जाने क्या क्या सुविधाएँ इन्हें पेशगी के रूप में मिलती हैं।नोएडा में पहले बी के थे, अब पी के आये हैं। इनका भी रवैया उनसे अलग नहीं होगा?
चाहे जो हो, वर्कर ने भी ठान लिया है कि ये डी एल सी मालिकानों के इशारे पर केस को चाहे जितना लटकाएं, सब इनकी ऊपर तक शिकायत करेंगे। ये सरकारी लोग बूढ़े होने को आये लेकिन कम कैसे करना है यह मालूम नहीं। दरअसल ये सब इसी तरह वर्कर के केस को लटकाते हैं, मालिकों से मजा पाते हैं।लेकिन देर से ही सही, मजीठिया तो वर्कर लेकर ही रहेंगे।
मजीठिया क्रांतिकारी रतन भूषण की एफबी वॉल से.