Nitesh Tripathi : कल बेस्ट एंकर का अवार्ड पाने वाली अंजना कश्यप का ये कारनामा देखा आपने… मुद्दत हो गए न्यूज़ चैनल नहीं देखता. अगर कभी-कभार किसी चैनल पर चला भी गया तो बस नीचे चल रही ब्रेकिंग पट्टी देखता हूं कि क्या कुछ नया ताजा है. पुलवामा हमले के संबंध में कल शाम कुछ नया अपडेट तलाशने के वास्ते ‘आज तक’ पर चला गया. पट्टी निहार रहा था इतने में स्टूडियो में बैठी अंजना कश्यप को पटना में बैठे रिपोर्टर से जोड़ दिया जाता है. रिपोर्टर रोहित पुलवामा हमले में शहीद हुए जवान संजय के घर जाकर उनकी बेटियों से बात करता है. स्टूडियो में अंजना के साथ रक्षा विशेषज्ञ और भाजपा, कांग्रेस के प्रवक्ता भी मौजूद रहते हैं.
अपने पिता को खोने के बाद दोनों बेटियां रिपोर्टर के सामने बदहवास बैठी हुई हैं, रिपोर्टर पूछता है-बताइए आप अपने पिता को किस तरह से याद करती हैं, पहली बेटी रूबी फफकते हुए रो पड़ती है और कहती है बोलने लायक कुछ है ही नहीं. यही जवाब रिपोर्टर के मुंह पर एक तमाचा है, लेकिन बेशर्म वहां बैठा रहता है. बेटी आसुओं के सैलाब के बीच फिर कहती है, हम क्या बोलें-बोलने लायक कुछ है नहीं. पर नीच रिपोर्टर वहीं बैठा रहता है.
फिर रिपोर्टर अंजना के कहने पर छोटी बेटी वंदना से पूछता है ,बताइए आप अपने पिता को कैसे याद करती हैं. दूसरी बेटी भी रोते-बिलखते लड़खड़ाती जुबान से कहती है कि पापा दिन-भर में तीन-चार बार पूछते हैं खाना खाए कि नहीं तुम लोग. अगला सवाल पूछा जाता है- आप ये बताइए वंदना आप क्या चाहती हैं कि पिता की शाहदत का बदला कैसे लिया जाए. फिर रिपोर्टर अगला सवाल दागता है. दोनों बेटियां कुछ भी बताने के हालत में नहीं होती हैं.
जिसका बाप मरा हो, उसके घर जाकर आप जबरदस्ती उसे खींचकर कैमरे के सामने लाते हैं और उससे सवाल पूछते हैं. और सवाल भी ये कि आप अपने पिता को कैसे याद करती हैं, इसके अलावा कुछ और उल जुलूल सवाल थे…..आखिर हम इतने संवेदनहीन कैसे हो सकते हैं. ऐसे मौकों पर पत्रकारिता के नाम पर सेंटिमेंट बेचकर इस पेशे को आगे बढ़ाया जा रहा है. आखिर सवाल पूछने वाले में और स्टूडियो से बैठकर ताकीद करने वाले में क्या रत्ती भर भी गैरत नहीं बची है. कैसे जाहिल, अनाड़ी, संवेदनहीन लोग पत्रकारिता को कलंकित कर रहे हैं. हम दिमागी रूप से इतने मर, सड़ गए हैं कि जरा सा भी भेद नहीं कर पा रहे. ये मानसिक कूड़ा हमें बर्बाद न के दे. कल अंजना को बेस्ट एंकर का अवार्ड भी मिला है. नीचे सवाल-जवाब का वीडियो पटक रहा हूं, 14 मिनट आगे बढ़ाकर फिर सुनियेगा…
युवा पत्रकार और मीडिया विश्लेषक एन. त्रिपाठी की एफबी वॉल से.
उपरोक्त पोस्ट पर आएं ढेरों कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं…
Mamta Yadav : एक तो 5 साल की बच्ची के मुंह मे माइक ठूस रहा था वो रोये जा रही थी। इन हरामखोरों को वहीं निपटाएं अगर हम आप जैसे हों। लानत है यार। इनके कारण खुद के मीडिया में होने पर शर्म आती है। क्या जात है ये और ये इनकी औकात। इनके बाप मरें तो कोई पूछे इनसे कि कैसा लग रहा है।
Nitesh Tripathi : ज्यादातर महिला एंकर टीपी रीडर हैं, गाल बजाने के सिवा उन्हें कुछ आता नहीं.
Bhardwaj Archi : मैं खुद नहीं जाती किसी न्यूज चैनल पर भाई क्योंकि हल्ला के अलावा कुछ नहीं होता इनके पास! सब के सब ज्यादा और ज्यादा परोसने के चक्कर मे ज्यादती करते नजर आते हैं साफ – साफ अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अतिक्रमण करते हुए!
Tanveer Warsi : वीर जवान की शहादत पर सदमे में डूबे परिवार से बेतुके ओर कष्ट दायक प्रश्न इन बिकाऊ चेनल ओर एंकर की निम्न स्तर की सोच उजागर करते है….जो ख़ुद ही किसी के दुःख पर मरहम नही बल्कि मिर्च लगाने का काम करते है…शर्मनाक…
Harb S Tatla : Paid media is helping FEKU to hide his failure or Its a conspiracy by BJP to cash in votes
Vishwas vyas
February 19, 2019 at 7:59 pm
अंजना ओम कश्यप को धिक्कार है और देश के ऐसे सभी पत्रकारों को भी जो अपने आप को पत्रकार कहते है कौन सी सरकार गिराई है इनकी खबर ने फिर भी पत्रकार का तमगा लादकर घूमते है ? संवेदन हीन बाते ही इनका स्तर गिरा देती है धिक्कार है इन पर तो अपनो को खोने का ग़म इनको क्या पता [email protected]
Bhavi
February 20, 2019 at 7:09 am
Anjana Ho ya koi or, sabhi apne Aap ko mahan saabit karne Me lage pade he. Ye log newsroom me beth kar aise bolte he jaise duniya ka saara gyan in logo me hi he. Sharm to ab bachi nahi he. Inse bolo ki Bharat ka aam aadmi inse jyada gyan rakhta he. Logo ne news channel dekhna band kar diya he kyunki har patrakar kheme me bandh gaya he. Koi congressi he to koi bjp ya sapa ka. Are in logo ke pass dalit, sunny Leone, Bollywood, priyanka Chopra ka pet, dipika ki shadi ke alawa kuchh He hi Nahi. Kuchh patrakaro ko lagta He ki ve hi gyani he jo sabki samiksha karne baith jaate he kuchh kaam hi Nahi he inke pass.
kamal kant sharma
March 11, 2019 at 1:01 pm
pta nahi is ko journalist kis ne bna diya ha
sahi mayno me to ye purani hindi filmo ki khalnayak ha.
na bolne ka lahza, na baat karne ki tamiz,
farzi chennal ha .