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पुण्य प्रसून की ‘सूर्या समाचार’ संग आज शुरू हुई ये पारी कब तक चलेगी?

एन. त्रिपाठी-

छह महीने बेरोजगार रहने के बाद पुण्य प्रसून बाजपेयी एक बार फिर आज से सूर्या चैनल के साथ अपनी नई पारी का आगाज़ करेंगे. पत्रकारिता में पुण्य के करियर ग्राफ पर नजर डाला जाए तो आज उनकी नई शुरुआत से पता चलता है कि वे अर्श से फर्श पर आ गिरे हैं. तो क्या इसके पीछे घर का खर्च चलाने के लिए कहीं न कहीं से पैसे का जुगाड़ होना है या पुण्य पत्रकारिता को जीना चाहते हैं. लेकिन दूसरी ओर सवाल ये भी है कि अगर आपका संस्थान आपके साथ नहीं है तो आप कैसे पत्रकारिता को जी पाएंगे, या मुखर होंगे. पिछले दो चैनल आज तक और एबीपी को छोड़ने के पीछे पुण्य का सत्ता के खिलाफ टकराव बड़ी वजह है.

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पुण्य प्रसून की छवि अक्सर सरकार और सिस्टम पर सवाल उठाने वाले पत्रकार के तौर रही है. जब-जब उन्हें संस्थान से खुलापन मिला उन्होंने पत्रकारिता की धार दिखाई, लेकिन जैसे ही वो ज्यादा मुखर हुए उसी चैनल ने उन्हें चांप दिया और एक हद में रहने का संदेश दे डाला. लेकिन सच तो ये भी है कि जब तक चैनल और मालिक आपके साथ नहीं है आप चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते. अगर आपको खुलकर दिखाने का, लिखने का प्लेटफार्म नहीं मिलेगा तो आप क्या कर लेंगे? एक पत्रकार, पत्रकार अपने संस्थान से बनता है. जब तक संस्थान खुलापन नहीं देगा तब तक आपके सारे टैलेंट अंदर ही दफन हो जाएंगे. मसलन कल को पुण्य जैसे लोग ZEE चले जाएं तो क्या कर लेंगे. लाख हाथ मल लें, खबर वही चलेगी जो खुशामद के लिए चलनी है. आप लाख तेज-तर्रार क्यों न हों, कैसी भी ख़बरें क्यों न निकाल लें लेकिन जब तक संस्थान का सपोर्ट नहीं है आपकी पत्रकारिता कोरी है.

पुण्य प्रसून बाजपेयी

बहरहाल प्रसून बाजपेयी आज शाम पांच बजे से सूर्या समाचार के साथ लाइव होंगे. वे प्राइम टाइम संभालेंगे. चैनल के नए रिलॉन्चिंग को लेकर अख़बार में विज्ञापन के साथ सोशल मीडिया पर खूब प्रचार प्रसार चल रहा है. खबरों के मुताबिक प्रसून वहां डेढ़ घंटे का शो ‘जय हिंद’ लेकर आएंगे जिसका समय रात नौ बजे होगा. अब देखना यह है कि इस चैनल में प्रसून की धार तेज रहती है या कुंद, क्या तेवर वही पुराने रहेंगे या अब मीडिया में खुद के लिए कम विकल्प देखकर रुख में नरमी रहेगी. प्रसून की पारी यहां कितनी लंबी होगी ये भी देखने लायक होगा. फिलहाल प्रसून वाजपेयी को नई पारी शुभकामना. ज्ञात हो कि यह चैनल प्रिया गोल्ड बिस्किट वालों का है.

युवा पत्रकार एन. त्रिपाठी की एफबी वॉल से.

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पुण्य प्रसून बाजपेयी सूर्या समाचार के एडिटर इन चीफ बने!

https://www.facebook.com/bhadasmedia/videos/227791344770957/
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3 Comments

3 Comments

  1. निकुंज त्रिवेदी

    February 9, 2019 at 11:23 am

    लेकिन सूर्या समाचार के मालिक अच्छे नहीं हैं। उन्हें पहले दिन से ही टीआरपी और बिज़नेस चाहिए। ऐसी स्थिति में कोई टिक नहीं पाता है, ऐसा कई बार हो चुका है। अतः, पुण्य जी भी ज्यादा दिन तक नहीं रह पाएंगे यहां, इसलिए नहीं कि वे सरकार विरोधी प्रोग्राम चलाएंगे परंतु इस प्रोग्राम से बिस्कुट कम्पनी के मालिक जो संयोग से सूर्या के भी मालिक हैं, उनको रातों रात टीआरपी में 300 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी चाहिए होगी। ऐसे में देखना है पुण्य जी कितनी जल्दी यहां भी छोड़ जाते हैं। वैसे, यदि चैनल का मालिक सब्र करे तो पुण्य जी चैनल को काफी दूर तक ले जाएंगे।
    जय श्री राम….

  2. Sujeet kumar gupta

    February 9, 2019 at 9:00 pm

    सूर्या समाचार चैनल को मैं अपनी ओर से बधाई देता हूँ ।
    अन्य चैनलों के जैसा डिवेट को ना रखें इससे चैनल की बदनामी होगी । हम चाहते मुद्दे पर बहस हो । और सबको मौका मिले । अपना पक्ष रखने का। ऐसा नही की हमे मिला और फिर दूसरा टपक जाता है। विपक्षी टाइम बीच जबाब नही दे पाता।

    आज जो हालात है । सच्चाई दिखाने कहने से डर जैसे लगने लगा है । कहि कुछ बोले तो कहि देशद्रोही कहकर मरबा ना दे । क्योंकि सर्टीफ़िकेट बाटने की मशीन जो फ्रांस से लाए । jio के हाथों डील कर रहे है ।
    कुछ वर्षों से घुटन महशुश होने जैसे लगने लगा है ।
    दूसरी बात डिवेट देखने का बड़ा शौक रहता है ।
    मन मैं हर चैनलो का डिवेट लगभग देखता हूं सिर्फ ZEE NEWS को छोड़ कर । वाकी तो पूरा सही नही है। पर 1% ही मात्र बच्चा है ।
    चैनलों ने तो जैसे लग रहा कि रामदेव बाबा दुकान
    मोदी का दलान लगने लगने लगा है ।

  3. Ranjeet singh

    February 10, 2019 at 12:14 pm

    सूर्य समाचार, ऐसा लग रहा है जैसे लोकल न्यूज़ चैनल हो। लेकिन फिर अगर प्रिय प्रसून बाजपेयी फिरसे हाथ मलते हुए भाजपा मोदी और राष्ट्रवादियों को कोसना चाहते हैं तो जनता को उनका स्वागत करना चाहिए।
    जब तक सरकार की बुराई करने वाला कोई नहीं होगा सरकार की अच्छाई भी किसी को पता नहीं चलेगी।
    लेकिन देखने वाली बात तो बस इतनी सी है कि अपने प्रसून भाई कांग्रेस के शासन काल में भी सरकार की वार्ता नहीं बीजेपी पर ही निशाना साधते थे।

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