Sudhir Singh : यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पर एक महिला के फ़र्ज़ी आरोपो पर ढोंगी पत्रकार चटखारे और मिर्च मसाले लगा परोस रहे हैं और जब उन पर कार्यवाही होती है तो ढोंगी पत्रकारो का समूह चिल्लपों कर रहा है। आजादी की अभिव्यक्ति पर हमला बता रहा है। मैं ऐसे पत्रकारो से पूछना चाहता हूँ कि क्या कोई ऐसी ही सिरफिरी महिला आप पर आरोप लगा दे और पुलिस आप पर महिला उत्पीड़न का स्वभाविक केस लगा कर जेल भेज दे तो आपको कैसा लगेगा।
योगी आदित्य नाथ पर मसालेदार खबर परोस ये पत्रकार सोचते हैं कि योगी का चरित्र भी भारत के उन राजनेताओं की तरह है जो अपनी जिस्मानी भूख मिटाने के लिए दो-दो पत्नियां रखते हैं। दोनों से औलाद पैदा कर परिवार में मार कराते हैं। या राजभवन में लड़कियों के साथ नंगे पकड़े जाते हैं। या बुढ़ापे में जवान महिलाओं से शादी करते हैं। सैकड़ो उदाहरण हैं राजनीति में। कथित पत्रकार गण महंत से राजनेता बनने के बाद योगी के चरित्र को भी उसी नजरिये से देखने समझने लगे। या यूं कहें कि सोचते हैं जैसे हर राजनेता का चरित्र हनन किया गया और कुछ नहीं हुआ सो योगी योगी भी खेल लेते हैं।
लेकिन इन कथित पत्रकरों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को समझने के पहले उनके इतिहास को समझना होगा। योगी सांसद और मुख्यमंत्री बाद में हैं, पहले देश की गौरवशाली पीठ गोरखनाथ के महंथ हैं। जिस पीठ में बाल्यकाल में सोने की तरह तपा कर महंथ बनाया जाता है, योगी आदित्यनाथ हिंदुस्तान की उस पीठ के महंत हैं। जहाँ हर स्त्री को मां की नजर से देखा जाता है। चलिये गोरखपुर में आप लोगों को दिखा दें जहाँ हजारों योगी रहते हैं। वही योगी पूरे देश के गांवों में घूम घूम कर भीख मांग कर जीते हैं।
आपके गांवों में भी गेरुवा कपड़ों में लिपटा कंधे पर गेरुवा झोला डाल सारंगी बजाते हुए ‘माई भिक्छा दे दे’ पुकारते हुए जाते तमाम योगी दिखे होंगे। ये योगी उसी पीठ के शिष्य हैं। इस पर कम से कम इस हिंदुस्तान की किसी माँ और बहन ने कभी शक नहीं किया। रमता योगी बहता पानी। कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ जो एक भी सबूत दे दे कि किसी योगी ने किसी महिला को बुरी नजर से देखा भी हो। यह कमीने पत्रकार उस योगी के चरित्र को रसभरी सत्यकथा सच्ची कहानियां की तरह लिख कर चटखारे लगा कर परोस रहे हैं।
आप हिंदुस्तान की किसी कोर्ट में ही बता दीजिए कि किसी योगी के खिलाफ किसी कोर्ट में महिला के साथ दुर्व्यहवहार का एक भी मुकदमा है। मौलाना तो सरेआम बच्चियों से मदरसों में बलात्कार करते हैं। ऐसे 100 मुकदमे होंगे। कम से कम अगर पत्रकारिता कर रहें हैं तो पत्रकार अपनी मर्यादा को भी बरकरार रखें। नहीं तो इनकी वजह से समाज में पत्रकारिता का स्तर भी गिरता नजर आएगा। मेरे लेख से कोई मुझे भाजपाई का टैग न दे। पत्रकारिता पर चिल्ल पों मची, सो हमने भी लिख दिया।
सुधीर सिंह ‘गब्बर’
रिपोर्टर
भारत समाचार न्यूज चैनल
पीटीआई न्यूज़ एजेंसी
आज़मगढ़।
मोबाइल- 9454337444
Nehal
June 12, 2019 at 2:44 pm
बहुत अच्छे से जानते हैं चरित्र… एक के बदले दस को मारने की धमकी देने वाला महंथ.. मुस्लिम महिलाओं की क़ब्रों को खोद कर उनका रेप करने वाले बयान का समर्थन करने वाला महंथ…. दंगों की आग में घी डालने वाला महंत… IPC की संगीन धाराओं का हार पहने वाला महंथ…. मुसलमानों के क़त्लेआम पर ख़ुश होने वाला महंथ…..
जे पी सिंह
June 12, 2019 at 3:07 pm
इस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता वरना खेल जाने का डर है
बहुत कुछ है जिसकी पर्दादारी है,दूसरों को उकसाएं मत यह मेरा विनम्र आग्रह है
Lal
June 12, 2019 at 8:28 pm
साहेब यदि जनता के प्रतिनिधि के रूप में आए है तो सवाल तो उठाना लाजमी है।
हां यदि योगी जी केवल एक मेहनत ही रहेंगे तो उनसे सवाल नहीं होगा। क्योंकि मठाधीश का अपना एक गौरव होता है।
लेकिन ???????
Mrityunjay mishra
June 13, 2019 at 11:30 pm
हर खबर, खबर नही होती।विश्वसनीयता के धरातल पर पुष्ट समाचार जो लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के साथ समाज को सीख देने वाला हो, उसे खबर कहते हैं। पत्रकारिता एक गम्भीर दायित्व है। नेताओं की आलोचना खूब हो, लेकिन उनमें तथ्य हो न कि सुर्खियां बटोरने की अंधी दौड़।