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सुख-दुख

दुनिया का हर व्यक्ति आपका रिश्तेदार है, जानिए कैसे

विजय सिंह ठकुराय-

पिता और माँ, ये दो आपके पैरेंट हैं। आपके पिता और मां के अलग-अलग दो पिता और माँ होंगे। इस हिसाब से आपके 4 ग्रैंडपैरेंट्स और 8 ग्रेट-ग्रेंड-पेरेंट्स हुए। इस हिसाब से चलते हुए अगर प्रजनन की औसत आयु 30 साल मानते हुए गणना की जाए, तो सिर्फ़ 40 पीढ़ी अर्थात 1200 साल पहले आपके रक्त-पूर्वजों की कुल संख्या 1000 अरब से ज्यादा होगी।

जी हाँ, सिर्फ़ आप अकेले इंसान के 1000 अरब पूर्वज।

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अब सोचिए कि वर्तमान में जीवित 8 अरब लोगों के पूर्वजों का हिसाब इसी तरह निकाला जाए तो 1200 साल पहले दुनिया में इतने इंसान होने चाहिएं जिन्हें रखने के लिए पृथ्वी तो क्या, समूचा ब्रह्मांड छोटा पड़ जाए। ये सरासर असंभव बात प्रतीत होती है।
तो गलती कहाँ है?

गलती यह है कि – हमने इस गणना में सहोदर संबंधों को नजरअंदाज कर दिया था। अर्थात, पृथ्वी पर मौजूद मानवों के पूर्वज अलग-अलग न होकर एक ही वंशबेल से संबंध रखते थे।

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पिछले कुछ हजार सालों में इतिहास लेखन, डीएनए मैपिंग, गणित और कंप्यूटर सिमुलेशन की सहायता से हम यह पता कर सकते हैं कि पिछले कुछ हजार या लाख सालों में किसी भी समय पृथ्वी पर इंसानों की मोटी-मोटी जनसंख्या कितनी रही है। वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि आज से लगभग 60 हजार साल पहले धरती पर इंसानों की कुल संख्या 10 हजार से भी कम थी।

1200 साल पहले की बात करूं, तो तत्कालीन विश्व की जनसंख्या लगभग 20 करोड़ थी। अगर ऊपर बताई गई गणित के हिसाब से 1000 अरब को 20 करोड़ से भाग दें तो पता चलता है कि उस समय मौजूद हर व्यक्ति फैमिली ट्री की हमारी कैलकुलेशन में 5000 बार रीपीट होता है। इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि उस समय मौजूद 5000 व्यक्तियों का आज हमारी 8 अरब की जनसंख्या से डायरेक्ट रक्त संबंध है। अब इस हिसाब को समय में उल्टा लेकर चलते जाइये, ये नम्बर कम होते-होते एक वक्त ऐसा आएगा, जब इतिहास में हुआ एक सिंगल व्यक्ति भी हम सबका डायरेक्ट पूर्वज सिद्ध होगा। तो कब आता है वह समय?

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इस तरह की पापुलेशन मैपिंग के मैंने बहुत से रिसर्च पढ़े हैं। थोड़ा-बहुत अंतर सब में है। कुछ कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति 3000 साल पहले हुआ था। मैं अधिकतम सीमा पकड़ लेता हूँ, जो कि 7000 साल है। अर्थात, 7000 साल पहले इस धरती पर जितने इंसान जीवित थे, वो सीधे तौर पर विश्व के प्रत्येक जीवित मनुष्य के रक्तसंबंधी कहे जा सकते हैं।

और सरल शब्दों में — अगर किसी टाइम मशीन में बैठकर आप बीते 7000 साल के किसी भी कालखंड में जा सकें, तो चाहें जंगल में आखेट कर रहा राजकुमार हो, अथवा लकड़ियां काटता लकड़हारा, विद्वान हो अथवा निरक्षर, समृद्ध हो अथवा दरिद्र, जो भी इंसान आपको इस 7000 साल में दिखे, आप उसके सामने श्रद्धा से शीश नवां सकते हैं, क्योंकि वह कहीं न कहीं आपके परिवार, आपके रक्तसंबंध का हिस्सा है।

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मेरी बातों का अर्थ यह है कि आज भले ही हम विश्व के अलग-अलग हिस्सों में बसें हैं। हमारी भाषा, हमारी संस्कृति, हमारे रंगरूप चाहें अलग हो। भले ही आपसी मनमुटाव हमें संघर्ष के लिए प्रेरित करते हों, पर वैज्ञानिक तौर पर हम सब एक हैं। एक परिवार से उत्पन्न हुए हैं और वो परिवार, मात्र 7000 साल की समयसीमा के अन्दर इस धरती पर मौजूद रहा है…
ब्रह्मांड का इतिहास बेहद विशाल है पर मनुष्यता का इतिहास बेहद नवीन।

तो आज के बाद, पार्किंग में खड़ी गाड़ी में कोई स्क्रैच मार जाए, अथवा डिलीवरी बॉय पिज़्ज़ा लाने में देरी कर दे, अथवा ऑफिस देरी से आने पर बॉस की खरीखोटी सुनने को मिल जाये
फिर भी, किसी पर गुस्सा नहीं करने का बॉस…
ये घर का मामला है।

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1 Comment

1 Comment

  1. Shailendra Kumar Srivastava

    March 26, 2023 at 3:56 pm

    Wah wah wah. Very informative and exclusive logic with facts. Regards. Dr Shailendra Srivastava, Lucknow

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