मैं चिन्मॉय सरकार, वेस्ट बंगाल के मालदा ज़िले के कालियाचक से हूँ. बंगाली मीडियम स्कूल से पढ़ा हूं. बंगाल के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं. पत्रकारिता को पेशा बनाऊंगा, ये सपना स्कूल में पढ़ते समय से ही देखता था. न्यूज़ के साथ जुड़ाव था तो टीवी रेगुलर देखता था. एक दिन Zee News में एक टीवी विज्ञापन देखा कि “अगर आप पत्रकारिता के क्षेत्र में बनाना चाहते है पहचान तो देश के प्रतिष्ठित मीडिया हॉउस Zee Media के Zee Institute Of Media & Arts (ZIMA) कुछ चुनिंदा बच्चों को दे रहा है मौका… जल्द अप्लाई करें, आसन संख्या सीमित है.”
उस विज्ञापन में सुधीर चौधरी और दिलीप तिवारी (Zee MP CG के एडिटर) का फोटो भी दिखाया जा रहा था. Zee News का लोगो बार बार फ्लैश किया जा रहा था. ये टीवी विज्ञापन देखने के बाद एक मेल किया तो अगले दिन कॉल आई. इसमें कहा गया कि मैं Zee News से बोल रहीं हूँ, क्या आप यहाँ अप्लाई करना चाहते है? इसके बाद इनके जो भी Entrance Exam, interview था, वो पूरा करके एक साल के TV Journalism कोर्स में दाखिला लिया. कोर्स फीस है 2 लाख 87 हज़ार रुपये. मेरे लिए ये कोर्स फ़ीस बहुत ही ज्यादा था. बावजूद इसके सपने पूरे करने के लिए मोटे ब्याज दर पर पर्सनल लोन लेकर फीस भर दिया. उस टाइम ही मैंने पचासों बार पूछ लिया था कि प्लेसमेन्ट कंफर्म होगा न. तब इनके तरफ से भरोसा दिया गया था कि हमारे लगभग 9/10 न्यूज़ चैनल है इसलिए हम 100% प्लेसमेंट करा देंगे.
क्लास स्टार्ट होते ही हमारे साथ धोखा शुरू हो गया था… एक दिन के लिए भी न रिपोर्टिंग की क्लास हुई न एंकरिंग की… बस हर दिन बैठ के ही टाइम निकल जाता था.. जब हमने क्लास के लिए कहा तो जवाब मिला कि इसके लिए HR वालों को मेल किये हैं, वो भेजेंगे… आगे ये भी कहा गया कि मीडिया में किसी के पास टाइम नहीं है, कोई मिल ही नहीं रहा है क्लास लेने के लिए… साल भर में कुल 5/7 वीडियो एडिटिंग की थ्योरी और कैमरा के प्रैक्टिकल क्लास हुए हैं… रोचक कहानी तो ये कि कोर्स शुरू होने के छह महीने बाद एक दिन सुधीर चौधरी और अगले दिन रोहित सरदाना को बुलाकर इंट्रोड्यूस किया गया और क्लास में जमकर फोटो सेशन चला…
बाद में पता चला कि ये तो बस प्रमोशन के लिए था जिसे फेसबुक और वेबसाइट में अपडेट किया गया है ताकि बाकी लुभाने के लिए देश भर के बच्चों को ये बोला जाए कि हमारे यहां सुधीर और रोहित जी क्लास लेते हैं… इसके बाद इन दोनों में से एक दिन भी कोई नहीं आया… बीच बीच में एकाध दिन किसी किसी को बुलाकर जमकर फोटो ली जाती थी हमारे साथ… एक बड़ा फ़्रॉड काम हमसे करवा लिया है Zee Media ने… मेरे और बाकी तीन दोस्तों से एक एक कर चार टीवी एड शूट करवा लिया जिसमें हमें ये कहने के लिए कहा गया कि हम यहां से पढ़के प्रैक्टिकल सब कुछ सीख के Zee Media में जॉब कर रहे हैं, आप भी एडमिशन लीजिये… मुझे बांग्ला में कहने के लिए कहा गया था ताकि ये बंगला चैनल Zee 24Ghanta में चला सकें… ये एड On Air भी किया गया है… ये सब कोर्स के बीच में ही करा लिया गया… तब इंटर्नशिप भी नहीं शुरू हुया था… इसके बाद जब इंटर्नशिप शुरू हुआ तो हमने सोचा कि हम यहाँ रिपोर्टिंग सीखेंगे… लेकिन हमें ये नही पता था कि हमारे नसीब में तो बस बाइट काटना और प्रिंट लेना ही सीखना मंजूर था… न हमे कुछ क्लासेस के दौरान कुछ सीखने को मिला, न और कहीं…
असली परेशानी तब शुरू हुई जब जब कोर्स ख़त्म हुया और हमने इनसे प्लेसमेंट के लिए कहा… पिछले तीन महीने से मैं ZIMA यानि Zee Institute Of Media & Arts वालों का चक्कर लगा रहा हूं… हर दिन मुझे ये कहा जा रहा है कि हमने Zee News के HR को मेल कर दिया है, देखो हो जाएगा, वेट करो। ऐसा भी वाकया हुआ कि हमारे एक सहपाठी को सिक्योरिटी गार्ड को बुलाकर धक्का मार के निकाल दिया गया था। ग़लती बस ये थी कि इसने ZIMA वालों से प्लेसमेंट के लिए पूछ लिया था। जॉब मिलना न मिलना अलग बात, लेकिन इन्होंने किसी को intervew के लिए भी Zee Media या अन्य किसी चैनल में HR के पास नहीं भेजा। बस पैसा हड़प लिया।
मेरे बाकी सहपाठी यहाँ से थक हार कर चले गए हैं। बस मैं अकेला चक्कर काट रहा हूँ। मैं घर भी नहीं जा सकता क्योंकि मोटे ब्याज दर में लोन है मेरा। अब इतना सारा पैसा कैसे लौटाऊंगा, ये सोचकर मैं और मेरे परिवार वाले परेशान हैं। बेरोजगार तो हूँ ही, ऊपर से दिल्ली में रहने का इतना खर्च। ये लोग मुझे तीन महीने से बस घुमा रहे हैं। क्या करूँ, कुछ समझ में भी नहीं आ रहा है। इस झूठ के लिए हमने एस्सेल ग्रुप के अध्यक्ष सुभाष चंद्र जी से बहुत बार संपर्क करने की कोशिश की है लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। बहुत बार मेल करने के बाद भी कोई रिप्लाई नहीं आया है।
shabnam
September 9, 2017 at 3:21 pm
क्या NDTV में भी ऐसे हालात है ? क्या इंस्टीटूट्स या इस तरह के स्कूल्ज को चुनना एक अच्छा ऑप्शन नहीं है ? मीडिया हाउसेस में नौकरी के लिए भटकते-भटकते ये तो एहसास हुआ कि अधिकतर नामी व बड़े मीडिया हाउस बिना किसी एक्सपीरियंस के इंटर्न भी नियुक्त नहीं करते फ्रेशर तो बहुत दूर की बात है ? सवाल उठता है कि कहा से लाये एक्सप्रिएंस जब कोई फ्रेशर रखने को तैयार ही नहीं है ?